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समर्थन मूल्य पर खरीदी शुरू हुए 12 दिन गुजर चुके हैं। अंचल में सरकारी खरीद केंद्रों पर सरसों का एक दाना भी बिकने नहीं आया, लेकिन मंडी में सरसों बेचने वाले किसानों की लंबी कतार है। कारण, मंडी में सरसों 5600-5800 रुपए प्रति क्विंटल बिक रही है, जबकि समर्थन मूल्य 4650 रुपए प्रति क्विंटल है। पहली बार किसानों को सरसों का इतना ज्यादा भाव इसलिए मिल रहा है क्योंकि सरसों के तेल में जिन दूसरे तेलों (राइसब्रान, पाम, सोया) की मिलावट की जाती थी, उनका आयात बंद होने से ये सरसों के तेल से भी ज्यादा महंगे हो गए हैं।
यानी, इन तेलों को सरसों के तेल में मिलाना फायदे का सौदा नहीं बचा। ऐसे में सरसों का शुद्ध तेल बनाना मिल मालिकों की मजबूरी हो गया है। तेल व्यापारियों ने अभी से सरसों का स्टॉक करना शुरू कर दिया है। मुरैना के व्यापारी भिंड, दतिया और श्योपुर में सरसों खरीदने जा रहे हैं। मालूम हो कि प्रदेश के सरसों के कुल उत्पादन में से 70 प्रतिशत पैदावार ग्वालियर- चंबल के मुरैना, भिंड, श्योपुर, ग्वालियर और दतिया मेंं होती है।
जानिए... सरसों तेल में दूसरे तेल मिलाने से व्यापारियों ने क्यों की तौबा
1. एक साल पहले सरसों तेल का भाव 80 रुपए प्रति लीटर था और रासइब्रान, पाम, सोया ऑइल 60 से 65 रुपए प्रति लीटर । बुधवार को ऑइल मार्केट में सरसों तेल (टैंकर भाव) 129.20 रुपए प्रति लीटर और विदेशी तेल के आयात पर रोक की वजह से पाम ऑइल 134 रुपए प्रति ली, रिफाइंड 127 रुपए प्रति ली, सूरजमुखी रिफाइंड 160 रुपए प्रति ली, सोया डिगम 129 रुपए प्रति ली और कॉटन रिफाइंड 140 रुपए प्रति लीटर रहा। अब व्यापारी सरसों से महंगे तेल को मिलावट करने के लिए खरीदने के बजाय सीधे सरसों खरीदकर शुद्ध तेल का उत्पादन कर रहे हैं।
2. ब्लैंडेड लाइसेंस (मिश्रित तेल बनाने का लाइसेंस) के नाम पर व्यापारी सरसों तेल में 50 से 60% दूसरे तेल जैसे राइसब्रान, सोया, पाम, रिफाइंड की मिलावट करते थे। लेकिन केंद्र सरकार ने हाल ही में नोटिफिकेशन जारी किया है कि 8 जून 21 से ब्लैंडेड का काम बंद होगा। कारोबारी सिर्फ सेपरेट तेल यानी, सरसों, सोया, पाम, रिफाइंड, राइसब्रान ही बेच सकेंगे। मतलब, एक तेल में दूसरे तेल की मिलावट पूरी तरह बंद होगी। भविष्य में मिलावट बंद होने की संभावना को देखते हुए तेल कारोबारी सरसों की बंपर खरीदी कर रहे हैं।
मप्र में हब बनेगा मुरैना, 10 बड़े नए प्लांट चालू होंगे
मुरैना में सरसों तेल की अभी 30 से 32 इकाइयां हैं। तेल कारोबार से जुड़े 2 बड़े ग्रुप सलोनी और अडानी भी यहां इकाइयां स्थापित कर रहे हैं। इसके अलावा 8 बड़े प्लांट स्थानीय तेल कारोबारी लगा रहे हैं। इसके बाद सरसों तेल उत्पादन के मामले में मुरैना मप्र का हब कहलाएगा।
7 लाख क्विंटल सरसों का उत्पादन: देशभर में इस बार 90 से 95 लाख क्विंटल सरसों का उत्पादन हुआ है। इसमें 7 लाख क्विंटल सिर्फ मुरैना में हुई है। मुरैना कृषि मंडी सहित अंबाह, पोरसा, जौरा, कैलारस व सबलगढ़ की मंडी में फरवरी, मार्च व अप्रैल के 6 दिन में 3 लाख क्विंटल सरसों की खरीदी हो चुकी है।
सोया-रिफाइंड महंगा होने से बढ़ी सरसों की मांग, मिलावट रुकेगी
विदेशी तेल जैसे सोया, पाम, राइसब्रान का उत्पादन कम होने एवं आयात बंद होने से इनकी कीमतें बढ़ गई। व्यापारी तेल की आपूर्ति बनाए रखने के लिए सरसों 5600 से 5800 रुपए क्विंटल में खरीद रहे हैं। इससे लोगों को शुद्ध तेल ताे मिलेगा लेकिन कीमतें बढ़ेंगी। -मनोज अग्रवाल, सचिव, मिलर्स एसोसिएशन मुरैना
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