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मनुष्य जीवन में गुरू का आशीर्वाद जरूरी है। मनुष्य कई प्रकार की अभिलाषा ओं को लेकर कर्म में तत्पर रहता है लेकिन कभी-कभी कर्म करने के बाद भी सफलता नहीं मिलती। अनेक प्रकार की विपत्तियां आती हैं, मन विचलित रहता है। परिवार में तरह-तरह के कष्टों का सामना करना पड़ता है।
लेकिन इन सबका निवारण गुरू के आशीर्वाद से ही संभव है। गुरू का अर्थ भी तभी सार्थक होता है जब गुरु अपने शिष्यों को कष्ट से मुक्ति दिला दे। यह बात रामपुरकलां के गेतनपुरा में चल रहे भागवत सप्ताह कथा के अंतिम दिन भागवताचार्य दुर्गेश मुद्गल ने कही। कथा श्रवण कराते हुए उन्होंने कहा कि जो भक्त प्रभु कार्य अपने निजी कर्तव्य और निष्ठा से निभाते हैं, भगवान उन भक्तों को सब कुछ देते हैं। कथा प्रसंग में भागवत आचार्य ने कहा कि भगवान द्वारकाधीश श्री कृष्ण ने 16 हजार 108 विवाह कर प्रेमग्रंथ को श्रेष्ठ बनाया।
पॉजिटिव- आपकी सकारात्मक और संतुलित सोच द्वारा कुछ समय से चल रही परेशानियों का हल निकलेगा। आप एक नई ऊर्जा के साथ अपने कार्यों के प्रति ध्यान केंद्रित कर पाएंगे। अगर किसी कोर्ट केस संबंधी कार्यवाही चल र...
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