चंबल नदी से रेत का अवैध उत्खनन रुक नहीं रहा है। रेत का वाहन किसी की जान ले ले या माफिया पुलिस-प्रशासन पर हमला कर दे तो अफसर कुछ दिन सक्रिय हो जाते हैं, फिर पहले की तरह रेत का कारोबार चालू हो जाता है। इन दिनों आगरा-मुंबई हाईवे हो या एमएस रोड, हर जगह रेत की मंडियां खुलेआम लग रही हैं।
माफिया का दुस्साहस देखिए कि डीएफओ बंगले से 100 मीटर दूर, एसपी-कलेक्टर बंगले के सामने बेखौफ होकर ट्रैक्टर चालक रेत बेच जाते हैं। दैनिक भास्कर ने सोमवार को जब शहर के चारों कोनों पर रेत उत्खनन का हाल जाना तो स्थिति चौंकाने वाली मिली।
वहीं चंबल नदी से रेत का अवैध उत्खनन रोकने के लिए हाईकोर्ट के निर्देश पर एसएएफ के 120 जवानों की कंपनी मुरैना में तैनात है लेकिन इस कंपनी के जवानों को तभी रेत के वाहन पकड़ने का अधिकार है, जब वन विभाग के डीएफओ, रेंजर, अधीक्षक उनके साथ हों। गंभीर बात यह है कि अफसर सिर्फ पेट्रोलिंग करके लौट आते हैं। जबकि शहर में खुलेआम रेत के वाहन खड़े हो रहे हैं।
हाईकोर्ट के आदेश पर तैनात एसएएफ के 120 जवानों को रेत पकड़ने का अधिकार नहीं
यहां रेत की मंडी, बेखौफ माफिया ग्राहकों को बेच रहा अवैध रेत
1. धौलपुर रोड : अंबाह बायपास के ठीक सामने, जहां से डीएफओ ऑफिस व बंगला महज 100 से 200 मीटर दूर होगा। सड़क के दोनों ओर रेत से भरे 10-10 ट्रैक्टर खड़े थे और माफिया के इशारे पर इन ट्रैक्टरों के ड्राइवर-क्लीनर बेखौफ होकर राहगीरों को रोक-रोककर पूछ रहे थे कि रेत चाहिए तो आ जाईए। 2. जौरा : पीजी कॉलेज बिल्डिंग से थोड़ा आगे निकलते ही रेत से भरी चार से पांच ट्रैक्टर-ट्रॉलियां सड़क किनारे खड़ी थीं। पूछने पर ट्रैक्टर चालक बोले-2 हजार की ट्रॉली ले जाओ। जब उससे पूछा कि घर तक पहुंचा दोगे तो बोला-हां आप तो जगह बताईए, रेत की ट्रॉली पहुंच जाएगी। 3. एसपी बंगला : रेत से भरी ट्रैक्टर-ट्रॉली तेज रफ्तार से बंगले के दूसरी साइड की रोड पर आई। यहां एक निर्माणाधीन मकान के सामने रेत पटक दिया गया। इसके बाद ट्रैक्टर ड्राइवर वाहन को तेजी से दौड़ाते हुए निकल गया। उसके साथ आए बाइक सवार बाद में गृहस्वामी से रेत के रुपए लेकर निकल गए। 4. बड़ोखर मंडी: शहर में रेत की सबसे बड़ी मंडी यहीं नजर आई।यहां सड़क के दोनों ओर तकरीबन 20 से 25 रेत की ट्रैक्टर-ट्रॉलियां खड़ी थीं। हर ट्रैक्टर पर एक ड्राइवर व एक-एक युवक तैनात थे, जो निगरानी कर रहे थे। ताकि पुलिस व अन्य कोई वाहन आए तो सबको अलर्ट कर दे।
रेत के वाहनों से 2 साल में 12 लोगों की जान गई
रेत उत्खनन रोकने में अक्षम टास्क फोर्स (जिला प्रशासन, पुलिस, वन विभाग) की लापरवाही इसी से पता चलती है कि 2 साल में रेत के वाहन करीब 12 लोगों की जान ले चुके हैं। रेत रोकने को लेकर एक ग्रामीण की मौत पर वन विभाग के ही 8 जवानों पर एफआईआर हो चुकी है। रेत माफिया पर नकेल कसने वाली अधीक्षक श्रद्धा पंद्रे पर छह से अधिक हमले हुए लेकिन रेत उत्खनन रोकने के लिए नियमित कार्रवाई नहीं होती।
टास्क फोर्स लगातार कार्रवाई कर रहा
वन विभाग को टास्क फोर्स का भरपूर सहयोग मिल रहा है। हमारे अफसर लगातार गश्त भी कर रहे हैं। शहर में प्रवेश के कई प्वाइंट हैं। ऐसे में रेत के वाहन अंदर आ जाते होंगे। हम कार्रवाई भी लगातार कर रहे हैं।
रविंद्र स्वरूप दीक्षित,डीएफओ मुरैना
Copyright © 2022-23 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.