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कृष्ण और सुदामा जैसी मित्रता आज कहां है। द्वारपाल के मुख से पूछत दीनदयाल के धाम, बतावत आपन नाम सुदामा सुनते ही द्वारिकाधीश नंगे पांव मित्र की अगवानी करने राजमहल के द्वार पर पहुंच गए। यह सब देख वहां लोग यह समझ ही नहीं पाए कि आखिर सुदामा में ऐसा क्या है जो भगवान दौड़े दौड़े चले आए।
बचपन के मित्र को गले लगाकर भगवान श्रीकृष्ण उन्हें राजमहल के अंदर ले गए और अपने सिंहासन पर बैठाकर स्वयं अपने हाथों से उनके पांव पखारे। कहा कि सुदामा से भगवान ने मित्रता का धर्म निभाया और दुनिया के सामने यह संदेश दिया कि जिसके पास प्रेम धन है वह निर्धन नहीं हो सकता। राजा हो या रंक मित्रता में सभी समान हैं और इसमें कोई भेदभाव नहीं होता।
सुदामा श्रीकृष्ण की मैत्री यह कथा लाल्लौर स्थित सिद्ध बाबा मंदिर पर चल रही भागवत कथा के अंतिम दिन शुक्रवार को पंडित रूपेंद्र उपाध्याय श्रद्धालुओं को सुना रहे थे। कथावाचक ने सुदामा चरित्र का भावपूर्ण सरल शब्दों में वर्णन किया कि उपस्थित लोग भाव विभोर हो गए।
भागवत कथा के बीच में भजन-संगीत की धार्मिक प्रस्तुती हुई। शाम को भागवत आरती के बाद पांडाल में उपस्थित सभी श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरण किया गया। इस मौके पर पारीक्षत मुन्नालाल डंडोतिया, प्रयाग नारायण डंडोतिया, रमेश डंडोतिया आदि मौजूद थे। शनिवार को यहां हवन-अनुष्ठान के बाद भंडारे का आयोजन किया जाएगा।
शहर से सटे घुरैया बसई गांव में चल रही भागवत कथा शुक्रवार को रुक्मणी विवाह एवं सुदामा चरित्र की कथा के साथ सम्पन्न हो गई। शनिवार को यहां भागवत कथा का समापन होने पर ग्रामीणों ने भंडारे का आयोजन किया है। जहां चंबल के संत हरिगिरी महाराज विशेष रूप से उपस्थित रहकर ग्रामीणों को नशा छोड़ने, दहेज प्रथा त्यागने, बेटी बचाओ का संदेश देंगे।
यहां बता दें कि चंबल अंचल में संत हरिगिरी महाराज के प्रति लोगों की गहरी आस्था है तथा उनका संदेश सुनने के लिए हजारों लोग आते हैं।
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