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रेलवे स्टेशन डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (आईआरएसडीसी) की टीम ने हाल में नैरोगेज को सिटी ट्रेन के तौर पर चलाने के लिए साइट का सर्वे किया था। टीम ने ग्वालियर स्टेशन से मोतीझील तक 8 किमी के दायरे में सिटी ट्रेन के तौर पर चलाने के लिए सुझाव दिया है। सिंधिया रियासत की विरासत को जिंदा रखने और पर्यटकों को लुभाने के लिए यह ट्रेन चला सकते हैं। अब जानकार कह रहे हैं कि एक साल से ग्वालियर-सबलगढ़ और श्योपुर के बीच चलने वाली नैरोगेज ट्रेन रद्द है।
इस ट्रेन के 42 कोच और 11 इंजन रेलवे स्टेशन के यार्ड में खड़े हैं। इसके साथ ही ग्वालियर रेलवे स्टेशन से लेकर मोतीझील तक ट्रैक भी बना हुआ है। इस कारण इस ट्रेन को ट्रायल के तौर पर चलाया जा सकता है। ऐसा हाेने पर लोगों का इस ट्रेन के प्रति रुझान पता चल जाएगा।
आईआरएसडीसी का सुझाव...हेरिटेज लुक में तैयार किए जाएं कोच
आईआरएसडीसी ने अपने सर्वे में कहा है कि नैरोगेज ट्रेन हेरिटेज लुक में होना चाहिए। इससे पर्यटक आकर्षित होंगे। सिटी ट्रेन के तौर पर 2 से 4 कोच की ट्रेन चला सकते हैं। इस ट्रेन के चलने से ट्रैफिक भी कम होगा। कांकड़ा में चलने वाली नैरोगेज की तरह ग्वालियर की नैरोगेज भी पर्यटकों के बीच चर्चा का विषय बनेगी।
हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला से शुरू होकर कालका तक जाने वाली नैरोगेज ट्रैक को वर्ल्ड हैरिटेज दर्जा दिया गया है। ये विश्व धरोहर रेल मार्ग पहाड़ों और घुमावदार मोड़ों से होकर पहाड़ों की रानी शिमला तक सैलानियों को पहुंचाता है। इससे पर्यटकों के बीच यह ट्रेन सबसे अधिक पसंदीदा है। इस तरह ग्वालियर में सिटी ट्रेन के तौर पर चलाने पर पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।
संसाधन पर्याप्त, सिटी ट्रेन के तौर पर चला सकते हैं
प्रस्ताव मिला तो सिटी ट्रेन चलाने का परीक्षण करेंगे
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