ग्वालियर में आखिरकार 30 दिन बाद हाइड्रोलिक मशीन हादसे और नगर निगम के तीन कर्मचारियों की विभागीय जांच पूरी हो गई है। इन 30 दिन में कई बार जांच पर सवाल खड़े हुए। देरी से शुरू हुई जांच में 12 लोगों के बयान हुए हैं। कुछ कर्मचारी आए ही नहीं। हाइड्रोलिक मशीन, प्लेटफार्म देने वाली कंपनी ने भी अपना पक्ष रखा है। जांच में सामने आया है कि 14 अगस्त को हर स्तर पर लापरवाही और गड़बड़ी नजर आई है।
चाहे वह लापरवाही से अनट्रेंड स्टाफ को काम पर भेजना हो या हाइड्रोलिक मशीन को मैन्युअली ऑपरेट करना हो। सोमवार को मामले की जांच पूरी हो चुकी है। फायर ऑफिसर उमंग प्रधान को दोषी ठहराया जा सकता है। साथ ही हाइड्रोलिक मशीन देने वाली कंपनी से भी अभी खतरे के बादल नहीं हटे हैं। उन्हें भी दोषी माना जा सकता है। तीन दिन में जांच रिपोर्ट बाहर आ सकती है।
यह है पूरा मामला
ग्वालियर में 14 अगस्त की सुबह महाराज बाड़ा स्थित नगर निगम के भवन पर लगे भारतीय झंडे की डोली बदलने के लिए नगर निगम कर्मचारियों को तत्कालीन प्रभारी फायर ऑफिसर उमंग प्रधान ने पहुंचाया था। यह करीब 65 फीट की ऊंचाई पर झंडे की डोरी बदलने के बाद अचानक हाइड्रोलिक क्रेन के जैक और प्लेटफार्म उखड़ने और टूटने से क्रेन नीचे आ गिरी थी। इसमें नगर निगम के तीन कर्मचारियों की मौत हो गई थी। स्वतंत्रता दिवस से ठीक एक दिन पहले इतना बड़ा हादसा होने के बाद काफी हंगामा खड़ा हुआ था। खुद मुख्यमंत्री ने तत्काल मृतक कर्मचारियों के परिवारों को आर्थिक सहायता और नौकरी की बात कही थी।
30 दिन बाद जांच पूरी
इस मामले में जिला पंचायत CEO किशोर कान्याल ने जांच के लिए तत्कालीन फायर ऑफिसर उमंग प्रधान को कई बार नोटिस भेजा, जांच में अपना पक्ष रखने के लिए कहा, लेकिन वह उपस्थित नहीं हुए हैं। उन्होंने ही तीनों कर्मचारियों को झंडा की डोरी बदलने लापरवाही से भेजा था। हादसे के बाद से ही वह लगातार गायब हैं। न तो वह दफ्तर में आमद देने पहुंचे हैं न ही घर पर हैं। लगातार सूचनाएं भिजवाने के बाद भी वह अपना पक्ष रखने नहीं आए हैं। इस मामले में जांच अधिकारी ने कुल 12 लोगों के बयान दर्ज किए हैं। जिनमें कुछ प्रत्यक्षदर्शी भी हैं।
कंपनी को भी नहीं दी जा रही है क्लीन चिट
हाइड्रोलिक मशीन, प्लेटफार्म देने वाली कंपनी को भी जांच में क्लीनचिट नहीं मिली है। जांच में सामने आया है कि हाइड्रोलिक प्लेटफार्म ठीक से काम नहीं करने की सूचना पूर्व में भी फायर कर्मियाें ने दी थी, लेकिन इस संबंध में कोई कार्रवाई नहीं की गई। इस संबंध में कंपनी की ओर से भी पक्ष रखा गया है कि कंपनी ने मोटी फाइल जांच अधिकारी को सौंपी है। जिसमें कहा गया है कि प्लेटफार्म ऑटो मोड के स्थान पर मैन्युअल ऑपरेट किया जा रहा था। जिस कारण हादसा हुआ। ऑटो मोड पर होता तो हादसे से पहले अलार्म जरूर बजता।
जांच लगभग पूरी हो चुकी है
हादसे की जांच का काम लगभग पूरा हो गया है। दो से तीन दिन में इसकी रिपोर्ट तैयार हो जाएगी। इस दौरान यदि किसी की जरूरत पड़ती है तो संबंधित कर्मचारी-अधिकारी को फिर बुलाया जा सकता है।
किशोर कान्याल, जांच अधिकारी व CEO जिला पंचायत
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