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बाइक पर यदि 3 सवारी बैठीं मिलती हैं तो ट्रैफिक पुलिस बाइक को जब्त कर चालान कोर्ट में पेश कर सकती है, लेकिन ओवरलाेड बसों के मामले में ऐसा नहीं है। परिवहन विभाग बिना परमिट और ओवरलोड संचालित हो रहीं बसों को जब्त तक नहीं करता। सात दिन में ग्वालियर में 8 बसें बिना परमिट संचालित मिलीं जबकि 32 में यात्री ओवरलाेड थे। आश्चर्य ये है कि एक भी बस का चालान काेर्ट में पेश नहीं किया गया।
तर्क दिया जा रहा है कि परिवहन विभाग काे इसके अधिकार नहीं हैं। जबकि हकीकत इससे अलग है। परिवहन विभाग और पुलिस काे बिना परमिट व ओवरलोड मिलने वाले यात्री वाहनाें काे जब्त कर काेर्ट में चालान पेश करने का अधिकार है, लेकिन परिवहन विभाग के अफसरों ने ऐसा नहीं किया। सवाल ये है कि यात्रियों की जान जोखिम में डालने वालों पर नरमी क्याें बरती गई?
सवाल: एक्ट एक तो पुलिस और परिवहन की कार्रवाई अलग क्यों
बिना परमिट चलने वाली बस को जब्त करना चाहिए
ओवरलोडिंग बस पर जुर्माने का प्रावधान है। जबकि बिना परमिट यदि बस पकड़ी जाती है तो मोटर व्हीकल एक्ट के तहत जब्ती कर कोर्ट में चालान पेश किया जा सकता है। ऐसा हाेने पर बस कोर्ट से ही छूटेगी। बिना परमिट वाली बसों से समझौता शुल्क नहीं लिया जा सकता।
-राकेश सिन्हा, सेवानिवृत्त, डीएसपी ट्रैफिक
एफआईआर का अधिकार न होने से कड़ी कार्रवाई नहीं हो पाती
बिना परमिट और ओवरलोड बसाें के मालिकाें पर अभी तक दंडात्मक कार्रवाई नहीं हो सकी है। वज- माेटर व्हीकल एक्ट में इन लाेगाें पर एफआईआर दर्ज करने का प्रावधान नहीं है। इस मामले में जुर्माना लगाने और परमिट निरस्त करने का अधिकार विभागीय अफसराें काे दिया गया है।
-डाॅ. एमपी सिंह, सेवानिवृत्त आरटीओ
एक्सपर्ट- एक्ट में बस मालिक के खिलाफ एफआईआर का प्रावधान नहीं
ओवरलोडिंग और बिना परमिट के यदि बस पकड़ी जाती है तो माेटर व्हीकल एक्ट के मुताबिक बस मालिक के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं कराई जा सकती। यदि बस मालिक समझौता शुल्क भरने से इनकार करता है तो संबंधित के खिलाफ कोर्ट में मामला पेश किया जा सकता है। परमिट नियमाें का उल्लंघन करने पर प्राधिकार सुनवाई के बाद नोटिस निरस्त कर सकता है। इसके साथ ही वाहन का रजिस्ट्रेशन रद्द करने की कार्रवाई की जा सकती है।
-गीतेश मारवा, एडवोकेट
क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकार में एक अफसर पर 9 संभागों का जिम्मा
ग्वालियर | डिप्टी ट्रांसपोर्ट कमिश्नर अरुण सिंह के पास प्रदेश के 10 में से 9 संभाग में क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकार (आरटीए) अध्यक्ष का प्रभार है। इस कारण बसों के परमिट से जुड़े मामलों की सुनवाई और कार्रवाई में देरी होना लाजिमी है। अभी तक प्रदेश में 10529 बसों की जांच हो चुकी है। इनमें से अधिकांश बस जुर्माने के बाद छोड़ी जा चुकी हैं। मंगलवार को आरटीओ एसपीएस चौहान ने 9 बसों की परमिट खत्म करने को लेकर नोटिस जारी किया है। अब इनकी सुनवाई प्राधिकार में होगी। प्राधिकार का काम बसों को परमिट जारी करना और निरस्त करने का होता है। नियम के तहत प्रत्येक संभाग में एक आरटीए का अध्यक्ष होना चाहिए।
प्रभार ज्यादा होने से काम प्रभावित
मेरे पास 9 संभागों का प्राधिकार का प्रभार है। इससे कामकाज प्रभावित होता है। इस बारे में मैंने शासन को अवगत करा दिया है।
-अरुण सिंह, डिप्टी ट्रांसपोर्ट कमिश्नर व अध्यक्ष, क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकार, ग्वालियर संभाग
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