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भास्कर खास:अफ्रीका से ‘दान’ में मिलेंगे चीते, 5 साल में 40 आएंगे लेकिन कोविड तय करेगा, इस वर्ष या उसके बाद

ग्वालियर2 वर्ष पहलेलेखक: वीरेंद्र बंसल
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भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) के डीन वायवी झाला। - Dainik Bhaskar
भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) के डीन वायवी झाला।
  • भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) के डीन वायवी झाला से भास्कर की विशेष बातचीत

74 साल पहले विलुप्त हुए चीतों को भारत में फिर से बसाने का काम आसान नहीं है। कोरोना वायरस का संक्रमण और उसके कारण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विमानों की आवाजाही प्रभावित होने से नवंबर 2021 तक चीतों को मध्यप्रदेश के 768 किलाेमीटर में फैले कूनो पालपुर अभयारण्य में रीलोकेट करने की डेडलाइन आगे भी बढ़ाई जा सकती है।

भारत सरकार अभी साइटीस कन्वेंशन के तहत अनुमति नहीं ले सकी है, जाे कि लुप्त प्राय वन्यजीवों के अंतरराष्ट्रीय आदान-प्रदान से पहले अनिवार्य है। साउथ अफ्रीका और नामीबिया के लुप्त प्राय वन्यजीव ट्रस्ट (एनडेंजर्ड वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट) ने भारत को बिना काेई भुगतान लिए दान में चीते देने की मंजूरी दे दी है। इस प्रोजेक्ट में अहम भूमिका निभा रहे भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) के डीन वायवी झाला से दैनिक भास्कर ने बात की...

रीलोकेशन से पहले चीतों के तमाम तरह के टेस्ट होने के साथ वैक्सीन लगाई जाएंगी, कोविड टेस्ट भी होगा

  • तय टाइमलाइन के मुताबिक क्या नवंबर तक अफ्रीका के चीते कूनो में आ जाएंगे?
  • अभी ये कहना मुश्किल है। चीतों को लाने की समय-सीमा नवंबर तक की तय है लेकिन चीते दिसंबर में आएंगे या फिर फरवरी 2022 में, ये कोविड की स्थिति पर निर्भर करेगा। अभी उत्तराखंड में 15 दिन का लॉकडाउन बढ़ने से हमारा काम मुश्किल हो गया है। इसी तरह यदि मप्र या अफ्रीका में कोविड के कारण फिर ऐसे हालात बने तो देरी होगी। मप्र सरकार यदि कूनो में तैयारियां पूरी कर ले तो चीते जल्दी भी लाए जा सकते हैं। इसके लिए 5 वर्ग किमी में बनाई जा रही फेंसिंग सबसे अहम है।
  • कूनो सेंक्चुरी में कुल कितने चीते लाए जाएंगे, पूरा प्लान क्या है?
  • कूनो में अभी 8 से 12 चीते लाए जाएंगे। इनमें 5-6 नर और शेष मादा होंगी। रीलोकेशन के बाद चीतों को करीब 4 महीने कूनो में स्पेशल एनक्लोजर (बाड़ा) में रखा जाएगा। इसके बाद इन्हें छोड़ दिया जाएगा। 5 साल में कूनो में 40 चीते लाए जाएंगे।
  • किस संस्था से हमें चीते मिल रहे हैं और कितने रुपए में?
  • अफ्रीका और नामीबिया में वन्यजीवों का संरक्षण करने वाले लुप्तप्राय: वन्यजीव ट्रस्ट ने हमें 8 से 12 चीते डोनेट की रजामंदी दी है। यानी हमें इसके लिए कोई भुगतान नहीं करना पड़ेगा। ट्रस्ट अपने गेम रेंज से चीतों को रेसक्यू करेगा और केज में हमें सौंपेगा। इसके बाद विमान से इन्हें भारत लाया जाएगा।
  • चीताें काे भारत लाने के लिए क्या अंतरराष्ट्रीय मंजूरी मिल चुकी हैं?
  • नहीं, अभी इस बारे में कार्रवाई चल रही है। हमें साइटीस (CITES यानी जंगली जीवों और वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन का संक्षिप्त नाम ) से अनुमति लेना है। इसके लिए प्रस्ताव अभी नहीं भेजा गया है। यह कार्रवाई हम जल्द करेंगे। हमें उम्मीद है कि ये अनुमति हमें बिना किसी दुविधा की मिल जाएगी।
  • चीतों को भारत लाने से पहले किस तरह के टेस्ट होंगे, क्या कोविड टेस्ट भी होगा?
  • किसी भी प्रजाति को एक देश से दूसरे देश में ले जाने से पहले कई तरह की बीमारियों के टेस्ट किए जाते हैं। कई तरह की वैक्सीन भी चीतों को लगाई जाएगी। चूंकि टाइगर-चीता में कोविड वायरस आ सकता है इसलिए ये टेस्ट भी किया जाएगा।
  • चीताें के कूनाे में बसने से क्या परिवर्तन आएगा?
  • इससे जंगल काे फायदा होगा और पर्यटकों की आवाजाही बढ़ने से श्योपुर और आसपास के क्षेत्र में रहने वाले लोगों की आमदनी बढ़ेगी।
  • क्या चीतों की बसाहट के बाद कूनो में एशियाई सिंहों को लाने का प्रोजेक्ट संभव होगा? या यह प्लान अब खत्म मानें।
  • यह तय करना भारत सरकार का अधिकार क्षेत्र है। वैसे गुजरात सरकार सहमति दे दे तो अभी भी एशियाई सिंह कूनो में लाए जा सकते हैं। चीता आने के बाद सिंह लाने में कोई दिक्कत नहीं है।
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