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शहर में जिस समय कोरोना पीक पर था, उस समय सरकारी लैब के साथ ही निजी लैब में भी बड़ी संख्या में लोग जांच कराने पहुंच रहे थे। सितंबर- अक्टूबर में शहर में कोरोना संक्रमण के रिकार्ड मामले सामने आए। सरकारी लैब की जांच पर संदेह के चलते कई लोगों ने हजारों रुपए पैसे खर्च कर कोविड की जांच कराई। यही कारण रहा कि इस अवधि में शहर की पांच निजी लैबों में हर रोज औसतन 70 लोगों जांच के लिए पहुंच रहे थे।
एचआरसीटी (चेस्ट) की जांच भी खूब हुई। स्थिति यह थी कि कोरोना के पीक के समय शहर में हर रोज 20-22 एचआरसीटी हो रहे थे, लेकिन दिसंबर से कोरोना के केस में आई कमी के कारण निजी लैब में कोविड की जांच के मामले बहुत कम हो गए हैं। यहां तक की एचआरसीटी कराने वाले की संख्या में भी बहुत तेजी से गिरावट आई है। कोरोना के मामलों में कमी आने पर चिकित्सकों ने राहत की सांस ली है, फिर भी उन्होंने आगाह किया है कि लोग कोरोना से बचाव को लेकर सावधानी बरतते रहें।
कब कैसी रही स्थिति
सितंबर से नवंबर
दिसंबर से फरवरी
केस कम इसलिए जांचें भी कम लेकिन अभी भी सावधान रहने की जरुरत
15 जनवरी से शहर में संक्रमण के मामले कम होना शुरू हुए। विशेषकर 1 फरवरी से तो संक्रमण के मामलों में काफी कमी आई। इस कारण निजी लैब और सेंटर में जांच कराने वालों की संख्या कम हो गई है। हालांकि, जिस तरह से पिछले कुछ दिनों में केस फिर से बढ़ने लग गए हैं, ऐसे में अभी भी सावधानी बरतने की जरूरत है।
- डाॅ. अजय पाल सिंह, एसोसिएट प्रोफेसर, मेडिसिन विभाग, जीआरएमसी
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