न्यायाधिपति शील नागू के मार्गदर्शन में शनिवार को उच्च न्यायालय खण्डपीठ ग्वालियर में भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए नेशनल लोक अदालत लगाई गई। नेशनल लोक अदालत के लिये हाईकोर्ट में बनी खण्डपीठों द्वारा कुल 367 मामलों का आपसी सहमति के आधार पर निराकरण किया गया। साथ ही मोटर दुर्घटना क्लेम के अपील प्रकरणों में पीड़ित पक्षकारों को एक करोड़ 82 लाख 3 हजार से अधिक रूपए अतिरिक्त क्षतिधन के रूप में दिलाए गए।
इसी तरह एक मामले में BSF जवान की पत्नी के प्रकरण में बिजली कंपनी द्वारा 17 हजार रुपए बकाया दिखाकर नोटिस थमा दिया गया था। पर लोक अदालत में मामला सुलझाया गया। बिजली कंपनी को अपनी गलती पर सुधारने के लिए कहा गया है। जबकि फौजी की पत्नी ज्योति सिंह को बिल में राहत दी गई है।
अचानक घर दे गए 34 हजार का बिल, अब कम किया
- एक अन्य मामले में गोल पहाड़िया के मस्जिद वाले सैयद के पास रहने वाले 60 वर्षीय चांद खां का मामला भी रोचक है। पहले उनका हर महीने 2500 रुपए के लगभग बिजली का बिल आता था, लेकिन 1 दिन बिजली विभाग के कर्मचारी आए और उनके हाथ में 34 हजार रुपए का बिल थमा दिया। उनका कहना था कि तुम्हारे घर पर कलर करने वाला कंप्रेसर चलता है जिससे तुम्हारे घर पर लगे मीटर से अधिक खपत हो रही है इसलिए तुम्हारा इतना बिल आया है। अगर बिल का भुगतान नहीं करोगे तो चोरी का प्रकरण बना देंगे। अपने गहने गिरवी रखकर ब्याज पर पैसा उठाया और 25 हजार रुपए जुटाए। 10 हजार रुपए बिजली विभाग ने कम कर दिए। शेष भुगतान का सेटलमेंट लोक अदालत में हुआ है।
सड़क दुघर्टना में मिला बीमा क्लेम
- उच्च न्यायालय खण्डपीठ ग्वालियर में नेशनल लोक अदालत के तहत प्रकरणों के निराकरण के लिये न्यायाधिपति जिसमें 30 मार्च 2014 को प्रशांत नामक व्यक्ति आयशर ट्रक में बैठकर शिवपुरी से भिण्ड आ रहा था। ट्रक चालक द्वारा तेजी एवं लापरवाहीपूर्वक से चलाया जा रहा ट्रक पलट गया, जिसमें प्रशांत की ट्रक के नीचे दबने से मृत्यु हो गई। चालक ट्रक को छोड़कर भाग गया। उच्च न्यायालय खण्डपीठ ग्वालियर की लोक अदालत में मोटर दुर्घटना क्लेम अधिकरण ग्वालियर द्वारा मृतक के वारिसान को दिलाए गए क्षतिधन में साढ़े चार लाख रूपए की वृद्धि की गई।
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