ग्वालियर में बेटियों की सुरक्षा और ऐसी शिकायतें जिसमें वह सामने आकर शिकायत नहीं कर सकती हैं , ऐसी शिकायतों को जानने और उन पर तत्काल एक्शन लेने के उद्देश्य से पुलिस अफसरों ने बेटी की पेटी योजना का शुभारंभ किया था। योजना के 7 दिन बाद पेटी खोली भीं गई तो बड़ी रोचक शिकायतें मिलीं थीं। किसी छात्रा ने कॉलेज के पास पान की गुमटी पर खड़े होने वाले लड़कों के घूरने की शिकायत की तो किसी ने स्कूल के बाद मनचलों की। पुलिस ने एक्शन भी लिया। पर अफसर बदले तो योजना भी धरी की धरी रह गए। महीनों से शहर के स्कूल, कॉलेज व कोचिंग सेंटर के आसपास लगी 41 बेटी की पेटी को खोला तक नहीं गया है। इन पर लापरवाही का धूल भी चढ़ गई है। रविवार को समाजसेवी किरन खेनवार ने फिर से इस बेटी की पेटी योजना को गंभीरता से लेने का मुद्दा उठाया है। अब मांग उठी है तो अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक हितिका वासल ने भी कहा है कि वह जल्द इस पूरे मामले को दिखवाएंगी कि आखिर पेटी को क्यों नहीं खोला जा रहा है।
तत्कालीन IG राजाबाबू की थी यह सोच
ग्वालियर शहर में महिलाओं की सुरक्षा के लिए बेटी की पेटी योजना की शुरुआत तत्कालीन IG ग्वालियर रेंज राजाबाबू सिंह और तत्कालीन SP नवनीत भसीन ने 19 दिसंबर 2019 को शहर के अलग-अलग पॉइंट पर 41 बेटी की पेटी लगाई गई थीं। उस दौरान पुलिस ने थानास्तर पर पेटी को तबज्जो भी दिया था। इस पेटी में कितनी शिकायत आई थीं। थाना प्रभारी उस समय पर पेटी को खोल कर देखते थे और कार्रवाई भी करते थे, लेकिन इन अफसरों के तबादले के बाद इस बेटी की पेटी से पुलिस ने नजर फेर लीं। ज्यादातर जगहों से यह पेटियां ही गायब हो गई हैं। जहां यह पेटी लटकी रह गई हैं उन्हें खोला नहीं जाता। इन पेटियों पर लटक रहे तालों पर जंग भी लग चुकी है।
अफसर बदते ही बदल गए काम
शहर में पुराने अफसरों के जाने और नए अफसरों के आने के बाद बेटी की पेटी को भी थाना प्रभारी भूल गए। नए अफसर जब आते हैं तो पुराने अफसरों ने क्या किया। उनकी प्लानिंग को ज्यादा तबज्जो नहीं दी जाती है। वहीं ऐसी तमाम योजनाएं हैं जिन्हें चालू करने वाले अफसरों के तबादले के बाद महकमा बेमतलब की बात मान कर भूल जाता है। क्योंकि अफसर के बदलने पर नया अधिकारी अपने प्लान को लागू कराता है। नए टॉस्क और प्लानिंग पर जोर देता है। ऐसा ही इस बेटी की पेटी योजना के साथ हुआ है।
समाजसेवी ने बेटी की पेटी देखकर जताया दुख
रविवार को बेटी की बेटी के बारे में समाजसेवी किरण खेनवार का कहना है कि 2019 में जब पेटिया लगाई गईं तो इनको लगाने का उद्देश्य यह था कि जो महिलाएं और बेटियां खुलकर अपनी शिकायत दर्ज नहीं करा सकती है वह इन बेटी की पेटी में गुमनाम शिकायत कर सकती थीं। जिस पर पुलिस एक्शन लेने के बाद तत्काल कार्रवाई भी कर सकती थी। इससे उस बेटी की समस्या भी दूर हो जाती और उसका नाम भी सामने नहीं आता 19 दिसंबर 2019 को इन पेटियों को लगाने के बाद पुलिस ने जब पहले सात दिन बाद उन्हें खोला तो कुछ रोचक शिकायतें भी सामने आई थीं, लेकिन इसके बाद अब जब मैं इनको देखने आई तो इनके तालों तक पर जंग लग गई है। महीनों से खोला तक नहीं गया है। शायद पुलिस बेटियों की सुरक्षा करना भूल गई है। उन्होंने पुलिस विभाग से फिर से इस महत्वकांक्षी योजना को गंभीरता से लेने की बात कही है।
यहां पर लगाई गई थीं बेटी की पेटी
प्रेस्टीज कॉलेज-1, गर्ल्स कॉलेज मुरार-1, गर्ल्स स्कूल मुरार-1, एमिटी यूनिवर्सिटी-1, आईएचएम, महाराजपुरा-1, रायसिंह का बाग कोचिंग एरिया में-3 पड़ाव-8, कंपू-8, थाटीपुर-8, माधौगंज-8 में बेटी की पेटी लगाई गई थीं। जब यहां पेटी लगाने के बाद पहली बार उन्हें खोला गया था तो इसमें रोचक शिकातये भी मिली थीं।
अधिकारी ने बेटी की पेटी को दिखवाने की कही बात
महिला सुरक्षा के लिए लगाई गई बेटी की बेटी के बारे में जब एडिशनल एसपी हितिका वासल से बातचीत की तो उनका कहना था कि बेटी की पेटी पर हम पूरा ध्यान देंगे और देखेंगे कि उसमें क्या-क्या कंप्लेंट आ रही है और इस बेटी की पेटी को और बढ़ावा दिया जाएगा।
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