ग्वालियर में 9 साल की कोरोना पॉजिटिव बच्ची को स्टेरॉयड देने का मामला सामने आया है। बच्ची मुरैना की रहने वाली है। वह तीन दिन पहले पॉजिटिव हुई थी। इस दौरान मुरैना के एक प्राइवेट डॉक्टर ने स्टेरॉयड की सलाह दी। बच्ची के पेरेंट्स उसे तीन दिन से स्टेरॉयड दे रहे थे। यह बात कलेक्टर और बच्ची के पिता से बातचीत के दौरान पता चली। कलेक्टर ने पीडियाट्रिक डॉक्टरों से बात की। उन्होंने स्टेरॉयड को बच्चों के लिए खतरनाक बताया। इसके बाद स्टेरॉयड मना किया गया। दूसरी लहर में संक्रमितों को ठीक होने के बाद ब्लैक फंगस के पीछे स्टेरॉयड प्रमुख वजह बना था।
32 बच्चे कोरोना की चपेट में
ग्वालियर में 1 जनवरी से लेकर 6 जनवरी के बीच 32 बच्चे कोरोना वायरस की चपेट में आए हैं। इनमें से 7 बच्चों की उम्र तो 9 साल से भी कम है। सबसे बड़ी समस्या इन बच्चों के कोरोना प्रोटोकॉल के तहत ट्रीटमेंट की है। ग्वालियर कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने मोतीमहल स्थित कंट्रोल कमांड सेंटर से कोविड पॉजिटिव बच्चों के पेरेंट्स से कॉल कर बात की। बच्चों को दिए जा रहे इलाज पर चर्चा की है। अब पीडियाट्रिक डॉक्टरों की एसोसिएशन कोरोना में बच्चों के इलाज की एडवाइजरी जारी करेगी।
कलेक्टर ने जब अभिभावकों से बच्चों की स्थिति, ट्रीटमेंट और कोविड होने के कारणों को जाना तो हैरान करने वाले तथ्य सामने आए। महिला बाल विकास अधिकारी राजीव सिंह ने बताया ग्वालियर में 9 साल से कम आयु वाले 7 बच्चे कोविड पॉजिटिव हुए हैं और 10 से 18 वर्ष तक की आयु वाले 25 बच्चे कोविड से संक्रमित हैं। यह सभी होम आईसोलेशन में हैं। यह सभी ट्रेवल हिस्ट्री वाले बच्चे हैं। कोई बटिंडा, अमृतसर, दिल्ली, मुंबई, मेरठ, ऋषिकेश आदि शहरों से बच्चे आए हैं और इस दौरान ही वे संक्रमण की चपेट में आए।
इलाज को लेकर डॉक्टरों ने स्टेरॉयड को बताया घातक
बातचीत के दौरान एक बच्ची के पिता ने बताया कि वह मुरैना के किसी प्राइवेट डॉक्टर की सलाह पर बच्ची को निर्धारित ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल के साथ स्टेरॉयड भी दे रहे हैं। कलेक्टर ने पीडियाट्रिक डॉक्टरों से चर्चा की, जिसमें शुरूआत में बच्चों को स्टेरॉयड दिए जाने को डॉक्टरों ने घातक और गैर जरूरी बताया। इसके बाद बच्चों के कोरोना इलाज के लिए एडवाइजरी की आवश्यकता महसूस की गई। कलेक्टर ग्वालियर ने डॉक्टरों से इसकी एडवाइजरी जारी करने के लिए कहा है।
क्यों दिया जाता है स्टेरॉयड और क्यों है खतरनाक
ऑक्सीजन लेवल कम होने और इंफेक्शन बढ़ने में मरीजों को स्टेरॉयड दिया जाता है। कोरोना की दूसरी लहर में इसका खूब इस्तेमाल किया गया है। इसका असर बाद में देखने को मिला। मरीजों के ठीक होने के बाद उन्हें ब्लैक फंगस हो गया था। लंबे समय तक स्टेरॉयड लेने से यह दिक्कत आती है।
बच्चों को कतई नहीं दिया जाना चाहिए
ग्वालियर के सीनियर पीडियाट्रिक सीपी बंसल ने कहा, बच्चों को स्टेरॉयड नहीं देना चाहिए। बुखार होने पर सिर्फ पेरासिटामोल ही देना चाहिए।
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