ग्वालियर में भ्रष्टाचार निवारण के लिए बनी विशेष कोर्ट ने रक्षा समिति ग्वालियर के तहसील संयोजक (उपनिरीक्षक) हरीश शर्मा को आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने पर भ्रष्टाचार का दोषी मानते हुए चार साल का सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही दो करोड़ रुपए आर्थिक जुर्माना भी किया है। यह मौका है जब प्रदेश में आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने वाले किसी आरोपी पर इतना भारी भरकम जुर्माना लगाया गया है। कोर्ट ने इस मामले को आधार बनाकार भ्रष्टाचार करने वालों को नसीहत देने का मैसेज दिया है। विशेष न्यायाधीश एवं अपर सत्र न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण आदित्य रावत ने आरोपी हरीश शर्मा (54) तहसील ग्राम संयोजक रक्षा समिति ग्वालियर निवासी 16 नेहरू कॉलोनी थाटीपुर को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की विभिन्न धाराओं के तहत अपराध में दोषी पाते हुये यह सजा सुनाई। अभियोजन के अभियोजन संचालनकर्ता विशेष लोक अभियोजक राखी सिंह ने घटना के बारे मे बताया कि मोहन मंडेलिया द्वारा आरोपी हरीश शर्मा उपनिरीक्षक तहसील संयोजक ग्राम रक्षा समिति ग्वालियर के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने की शिकायत की थी।
उक्त शिकायत में दिए गए बिंदुओ के गोपीनीय वैरीफिकेशन करने पर वह सही पाए गए। जिस पर जांच रिपोर्ट विशेष पुलिस स्थापना लोकायुक्त भोपाल की ओर भेजी गई। जिसकी समीक्षा के बाद आरोपी हरीश शर्मा के खिलाफ प्राथमिक जांच रजिस्टर्ड की गई थी। प्राथमिक जांच तत्कालीन निरीक्षक केएस नागर द्वारा की गई और उन्होंने जांच में आरोपी हरीश शर्मा के नाम तथा परिजन के नाम अनुपात से अधिक मतलब 381 गुना आय से अधिक संपत्ति अर्जित करना पाया गया। आरोपी हरीश शर्मा के विरूद्ध अपराध पंजीवद्ध कर प्रकरण विवेचना में लिया गया विवेचना के दौरान अभियोग पत्र न्यायालय के समक्ष पेश किया गया माननीय न्यायालय ने अभियोजन के द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य एवं दस्तावेज से सहमत होकर आरोपी को कारावास एवं जुर्माना कर किया गया।
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