ग्वालियर हाईकोर्ट की युगल पीठ से फॉरेंसिक साइंस के सीनियर साइंटिस्ट अखिलेश भार्गव को बड़ी राहत मिल गई है। हत्या के एक मामले में फॉरेंसिक एक्सपर्ट की जांच पर सवाल खड़े करते हुए हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने विभागीय जांच के आदेश दिए थे। 24 फरवरी 2022 तक DGP मध्य प्रदेश से पालन प्रतिवेदन रिपोर्ट मांगी थी। इस मामले में हाईकोर्ट की सिंगल बेंच के आदेश पर डबल बेंच ने रोक लगा दी है।
बहोड़ापुर थानाक्षेत्र में भीकम सिंह पर पत्नी रचना बघेल की गला दबाकर हत्या का आरोप है। रचना ने अपने पिता को फोन पर सूचना दी थी कि उसका पति मारपीट कर रहा है। 11 मई 2021 को शाम साढ़े पांच बजे रचना के पिता पहुंचे तो घर के अंदर से मारपीट व चिल्लाने की आवाज आ रही थी। पिता ने देखा कि भीकम गला दबाकर हत्या कर रहा था।
घटना के बताए समय और रिपोर्ट में अंतर
बहोड़ापुर थाने में हत्या का मामला दर्ज किया गया। पोस्टमार्टम की रिपोर्ट में भी गला दबने से मौत का कारण सामने आया था। भीकम सिंह बघेल ने हाई कोर्ट में जमानत याचिका दायर की थी। केस डायरी व फॉरेंसिक साइंस के वरिष्ठ वैज्ञानिक की रिपोर्ट में घटना के समय में अंतर था। घटना शाम साढ़े पांच बजे की बताई जा रही थी, जबकि वैज्ञानिक की रिपोर्ट में घटना रात 2.30 बजे की बताई गई।
रिपोर्ट में कोर्ट को दिखी लापरवाही
इस विरोधाभाष के चलते हाईकोर्ट ने वरिष्ठ वैज्ञानिक अखिलेश भार्गव को तलब किया था। हाईकोर्ट ने उनसे कुछ सवाल किए। इस रिपोर्ट में कोर्ट को लापरवाही नजर आई, जो अभियोजन की कहानी को संदिग्ध बना रही थी। आरोपित को सीधा फायदा मिल रहा था। कोर्ट ने उनकी विभागीय जांच के आदेश दिए थे। साथ ही मध्य प्रदेश के DGP को 24 फरवरी 2022 तक रिपोर्ट पेश करने के लिए आदेश दिया था। सीनियर साइंटिस्ट अखिलेश भार्गव ने अपने खिलाफ आए इस आदेश को युगल पीठ में चुनौती दी। युगल पीठ ने विभागीय जांच के आदेश पर रोक लगा दी।
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