शहर भर में शनिवार को भाई दूज का पर्व उत्साहपूर्वक मनाया जा रहा है। घर-घर में बहनें अपने भाइयों के माथे पर तिलक कर उनकी लंबी उम्र के साथ-साथ कल्याण और सुख-समृद्धि की कामना कर रही हैं। भाई भी अपनी बहनों पर स्नेह लुटाते हुए उन्हें सुंदर-सुंदर उपहार दे रहे हैं। साथ ही जीवनभर रक्षा का वचन दे रहे हैं। इसके साथ-साथ भाई दूज पर कायस्थ समाज कलम-दवात की पूजा कर रहा है। दौलतगंज, कटीकाटी चित्रगुप्त मंदिरों सहित अन्य जगहों पर भगवान चित्रगुप्त की विधि-विधान से पूजन किया गया।
पंडित सत्य प्रकाश विद्यार्थी ने बताया कि भाई दूज की द्वितिया तिथि पडवा की रात 11 बजकर 14 मिनट से लग गई, जो शनिवार शाम 7 बजकर 44 मिनट तक रहा। इस दिन भाइयों को तिलक लगाने का शुभ मुहूर्त दोपहर 1.10 बजे 3.21 बजे तक रहा। इस तरह तिलक करने का शुभ मुहूर्त दो घंटा 11 मिनट तक पर दिन में कभी भी बहनें अपने भाइयों को तिलक कर सकती हैं। पांच दिवसीय दीपोत्सव का समापन भाइदूज पर्व के साथ शनिवार हो जाएगा। इस दिन यम ने बहन यमुना को रक्षा का वचन दिया था, इसलिए इसे यम द्वितीया भी कहते है। इस दिन बहने भाइयों को घर बुलाकर भोजन करा रही हैं। उनकी आरती उतार रही हैं। भाई बहन को उपहार दे रहे हैं।
भगवान चित्रगुप्त की घर-घर और मंदिरों में हुई पूजा
भाईदूज पर भगवान चित्रगुप्त की भी पूजा की जाती जै। शहर में दौलतगंज, कटीघाटी सहित अन्य चित्रगुप्त मंदिर में भगवान चित्रगुप्त की पूजा के साथ ही कलम-दवात की पूजा की जा रही है। कायस्थ समाज की ओर आयोजन किए जा रहे हैं। कायस्थ समाज के द्वारा चित्रगुप्त् मंदिरों में पूजा पाठ के अलावा कई तरह के आयोजन जैसे उनकी प्रदर्शनी, उनके बारे में युवा जान सकें इसलिए उनकी कहानी को डिजिटल सुनाया जा रहा है।
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