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रेत खनन-परिवहन में अफसरों के साथ बढ़ती तनातनी के बीच रेत कंपनी एमपी सेल्स ने कलेक्टर को पत्र देकर जिले की रेत खदानों के ठेके को सरेंडर कर अपनी जमा सिक्युरिटी राशि वापस मांगी है। कंपनी ने पत्र में कहा है कि हमने उच्चतम बोली पर ग्वालियर जिले की सभी खदानें ठेके पर ली थीं। लेकिन सभी प्रक्रियाएं पूरी करने के बाद कंपनी द्वारा सिर्फ 6 घाट पर ही रेत खनन व वहां से परिवहन, विक्रय का काम शुरू किया गया।
जिले के अधिकांश घाट पर रेत ही नहीं है और स्वीकृत रॉयल्टी की क्षमता के अनुरूप भी रेत नहीं निकल रही। जिस वजह से मासिक किस्त निकालने में भी कंपनी को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इसलिए हम 6 महीने पहले ठेका सरेंडर करने के लिए सूचना दे रहे हैं।
एमपी सेल्स के डायरेक्टर आशुतोष माहेश्वरी के मुताबिक, मुख्यमंत्री ने स्पष्ट निर्देश दिए थे कि वैध खनन-परिवहन की व्यवस्था को प्रभावी बनाया जाए और माफिया पर कार्रवाई हो। लेकिन ग्वालियर के कुछ अधिकारी माफिया को छोड़ वैध खनन-परिवहन को ही टारगेट कर रहे हैं।
एसडीएम की टीम ने पकड़ी रॉयल्टी वाली गाड़ी, विवाद
बुधवार रात को भितरवार क्षेत्र में जिला प्रशासन की टीम ने रेत से भरे डंपर पकड़े और जब्ती में ले लिए। जिसके बाद बिरजू शिवहरे ने एसडीएम अश्विनी रावत को कॉल कर बताया कि जो गाड़ी पकड़ी गई है। उसकी रॉयल्टी कटी हुई है और रॉयल्टी की गाड़ी पकड़ी जाएगी। तो रेत ही नहीं बिकेगी, सरकार को दिया पैसा कंपनी कैसे निकालेगी। इस पर श्री रावत ने कहा कि रॉयल्टी रसीद ड्राइवर के पास नहीं थी इसलिए पकड़ी है। दोनों के बीच काफी विवाद हुआ, जिसकी ऑडियो क्लिप भी गुरुवार को सोशल मीडिया पर वायरल होती रही। इसके बाद ये मामला कलेक्टर कौशलेंद्र सिंह तक पहुंचा और रॉयल्टी चेक कर गाड़ियां छोड़ी गईं।
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