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जिला प्रशासन ने पानी राेकाे अभियान के तहत ग्राम पांडाेला स्थित तालाब के गहरीकरण कार्य पर 9 लाख रुपए खर्च किए थे, वहीं वार्डों से निकले वाला कचरा फेंका जा रहा है। 16 बीघा क्षेत्रफल में फैले इस तालाब में कचरा व गंदगी भरने से पानी प्रदूषित हाे गया है। तालाब की जलधारण क्षमता भी घट रही है। बारह महीने लबालब रहने वाला पांडाेला का तालाब सर्दी में ही सूखने की कगार पर पहुंच गया है।
सफाईकर्मी तथा स्थानीय लोग राेजाना बड़ी मात्रा में कचरा तालाब किनारे फेंक रहे हैं। कचरे के कारण पानी सड़ांध मारने से वातावरण में 24 घंटे बदबू फैलती है। ग्राम पंचायत की लापरवाही और प्रशासन की अनदेखी के चलते तालाब पूरी तरह कचरा से पट चुका है। तालाब किनारे बने घाटाें पर भी कचरा पड़ा हुआ है। पांडाेला की जीवनरेखा कहे जाने वाले तालाब का पानी अब लाेगाें के हाथ धाेने लायक भी नहीं रहा है।
कचरा डालने की प्रवृत्ति के चलते पहले ही अतिक्रमण की गिरफ्त में सिकुड़ चुके इस तालाब के अस्तित्व पर संकट मंडरा रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार जलाशय में कचरे के कारण कई घातक बीमारियौे के जीवाणु पैदा हाेने का खतरा रहता है। तालाब की मौजूदा दुर्दशा काे लेकर जागरूक लाेगाें ने पंचायत व प्रशासन के अधिकारियों काे पत्र लिखा है। वहीं ग्राम पंचायत के सरपंच एवं प्रधान का कहना है कि सफाईकर्मियाें द्वारा तालाब में कचरा फेंकने पर राेक लगा रखी है। तालाब में गंदगी फैलाने से राेकने के लिए लाेगाें काे जागरूक करने की बात कही है।
भू-जल रीचार्ज में अहम भूमिका निभाता है तालाब, लेकिन कचरा डालने से सिकुड़ता जा रहा है
करीब 10 हजार की आबादी वाले ग्राम पांडाेला का तालाब सैकडों साल पुराना और 16 बीघा क्षेत्रफल में बना हुआ है। यह तालाब भूजल स्तर काे रीचार्ज करने में अहम भूमिका निभाता है। लेकिन पिछले कुछ साल से अतिक्रमण के साथ ही कचरा डालने के कारण तालाब हर साल सिकुड़ता जा रहा है। कस्बे के वरिष्ठ नागरिक सेवानिवृत्त पंचायत अधिकारी शंकरलाल तिवारी का मानना है कि भूजल स्तर बनाए रखने और लाेगाें की निस्तारी जरूरतों की पूर्ति के लिए रियासतकाल में यह तालाब बनाया गया था। कूड़ा-कचरा फेंकने व साफ-सफाई पर ध्यान नहीं देने के कारण धीरे-धीरे तालाब का अस्तित्व खत्म हो जाएगा। इससे जल संकट की विकट स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
पंचायत व प्रशासन के अफसरों को लिखा पत्र
तालाब में कचरा फेंकने की प्रवृत्ति के चलते चारों तरफ बहुत ज्यादा गंदगी हो गई है। बारह महीने लबालब रहने वाला यह तालाब इस साल भी सर्दी में ही सूखने की कगार पर पहुंच गया है। इससे कस्बे में भूजल स्तर चिंताजनक ढंग से गिर रहा है। तालाब की सफाई एवं कचरा डालने पर प्रभावी राेक की मांग काे लेकर पंचायत एवं प्रशासन के अधिकारियों पत्र भी लिखा है।
-हनुमान तिवारी, सामाजिक कार्यकर्ता पांडाेला
कचरादान रखने के बावजूद लोग तालाब में फेंक देते हैं गंदगी
ग्राम पंचायत द्वारा स्वच्छता अभियान के तहत कस्बे में कूड़ेदान रखने की व्यवस्था की है। सफाईकर्मियाें द्वारा कचरा फेंकने की शिकायत पर हमने कार्रवाई करते हुए इस पर राेक लगाई है। लेकिन स्थानीय लाेगाें के जागरूक नहीं हाेने से घराें से निकलने वाला कचरा तालाब किनारे डाल देते हैं। इससे तालाब का पानी खराब हाे गया है। ग्राम पंचायत कचरा डालने वालाें पर सख्ती करेगी।
-ओमप्रकाश आर्य, प्रधान, ग्राम पंचायत पांडाेला
जलाशयाें में कचरा फेंकने से उत्पन्न जीवाणु फैलाते हैं घातक बीमारियां
जल प्रदूषण एक गंभीर समस्या है। जल प्रदूषण मानव व जलीय जीव दोनों के लिए नुकसानदेह है। जलाशयों में कचरा फेंकने से कई तरह के कवक व जीवाणु उत्पन्न होते हैं जो घातक बीमारियों को जन्म देते हैं। जल प्रदूषण के कारण लाेगाें में कई प्रकार की बीमारियां फैलने का खतरा रहता है।
-डाॅ. सुभाषचंद्र, प्राेफेसर, वनस्पति एवं पर्यावरण विभाग, पीजी काॅलेज श्याेपुर
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