लोकायुक्त पुलिस ने शहर के वार्ड क्रमांक-2 में पदस्थ आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ईना चौहान के घर सुबह छह बजे जब छापा मारा तो उनका पूरा परिवार सो रहा था। आय से अधिक संपत्ति के मामले में छापा मारने पहुंची टीम को घर से सिर्फ पांच सौ रुपए नगद मिले हैं।
हालांकि लोकायुक्त पुलिस ने कुल संपत्ति 50 लाख रुपए की मिलने की बात कही है। इसमें 31 लाख रुपए कीमत का उनका साल 2008 में बने मकान आंका गया है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता से इस संबंध में पूछताछ की गई तो उन्होंने बताया कि उनके रिटायर्ड प्रोफेसर ससुर ने यह मकान उन्हें बनवाकर दिया हैँ। लोकायुक्त पुलिस ने इस मामले में आय से अधिक संपत्ति का प्रकरण दर्ज करते हुए जांच शुरू कर दी है।
प्रदेश में किसी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के यहां लोकायुक्त छापे की यह संभवत: पहली कार्रवाई है। श्योपुर शहर के वार्ड क्रमांक-2 में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के पद पर पदस्थ ईना चौहान के शिवपुरी रोड स्थित अग्रसेन कॉलोनी वाले निवास पर लोकायुक्त की टीम ने छापा मारा। इस कार्रवाई में कार्यकर्ता के मकान की कीमत पीडब्ल्यूडी के हिसाब से 31 लाख रुपए आंकी गई। उनके आरडी बैंक खाते में 5 लाख रुपए और दो अन्य खातों में 70-80 हजार रुपए का ब्यौरा मिलने की जानकारी लोकायुक्त पुलिस ने दी है। घर में पल्सर बाइक और अन्य बेशकीमती सामान मिला है।
मेरे ससुर ने दिया मकान, जितेंद्र ने की झूठी शिकायत
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ईना चौहान ने कहा कि उनकी झूठी शिकायत रंजिशन जितेंद्र उर्फ कल्ला के द्वारा की गई है। उन्हें उक्त मकान उनके ससुर रिटायर्ड प्रोफेसर ने बनाकर दिया है, यह सभी जानते है। इसके अलावा मेरे बैंक खातों में 15 हजार से ज्यादा नही है। जितेंद्र उर्फ कल्ला से चर्चा के लिए उनके मोबाइल नंबर 9303876220, 9826288603 पर कई बार कॉल किए, लेकिन उनसे संपर्क नही हो सका।
शिकायत पर आरोप- खाद्यान्न में गड़बड़ी कर बनाई गई संपत्ति
लोकायुक्त पुलिस को की गई शिकायत में आरोप लगाया गया कि कार्यकर्ता ने आंगनबाड़ी के खाद्यान्न में गड़बड़ी करते हुए यह संपत्ति बनाई है। मासूम बच्चों का निवाला छीनकर यह पैसा कमाया गाय। अब टीम यह जांच कर रही है कि इनके द्वारा क्या-क्या गड़बड़ी की गई। इनके आंगनबाड़ी केंद्र पर करीब 70-80 बच्चे दर्ज हैं।
स्व-सहायता समूह की अध्यक्ष हैं कार्यकर्ता, जबकि सरकारी नाैकरी वाला ऐसा नहीं कर सकता
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता किसी भी स्व सहायता समूह की अध्यक्ष नहीं हो सकती। लेकिन अपने ही विभाग में मध्याह्न भोजन बांटने के लिए चलाए जाने वाले समूह में वह अध्यक्ष हैं। यह समूह शहर के कई आंगनबाड़ी केंद्रों पर मध्याह्न भोजन बांटने का काम करता है।
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ने भी माना है कि वह महादेव स्व-सहायता समूह की अध्यक्ष हैं, लेकिन जैसे ही उन्हें यह पता चला कि कार्यकर्ता समूह में नहीं रह सकती है तो उन्होंने खुद अध्यक्ष पद से हटाने के लिए समूह से कहा है। लेकिन उन्हें अभी उन्हें हटाया नहीं गया। वहीं डीपीओ ओपी पांडे से इस संबंध में पूछा तो उन्होंने बताया कि यह संभव ही नहीं है कि एक कार्यकर्ता किसी समूह की अध्यक्ष हो। ऐसा कोई समूह नहीं हैं, जिसमें कार्यकर्ता अध्यक्ष पद पर हों।
50 लाख से अधिक संपत्ति
इनकी सर्विस के दौरान सिर्फ 12 लाख की इनकम हुई है, लेकिन मकान 30 लाख है जो कि सर्विस के बाद में बना है। इसके कोई प्रमाण नही है कि इन्हें मकान इनके ससुर ने बनाकर दिया है। इसके अलावा इनके आरडी खाते में 5 लाख व दो अन्य खातों में 70-80 हजार रुपए है। नकद हमें सिर्फ 500 रुपए घर से मिले है। इस तरह से इनके पास 50 लाख से अधिक की संपत्ति मिली है।
कविंद्र सिंह, टीआई, लोकायुक्त ग्वालियर
शिकायत पर आरोप- खाद्यान्न में गड़बड़ी कर बनाई गई संपत्ति
लोकायुक्त पुलिस को की गई शिकायत में आरोप लगाया गया कि कार्यकर्ता ने आंगनबाड़ी के खाद्यान्न में गड़बड़ी करते हुए यह संपत्ति बनाई है। मासूम बच्चों का निवाला छीनकर यह पैसा कमाया गाय। अब टीम यह जांच कर रही है कि इनके द्वारा क्या-क्या गड़बड़ी की गई। इनके आंगनबाड़ी केंद्र पर करीब 70-80 बच्चे दर्ज हैं।
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