करैरा अनुविभाग के दिनारा कस्बा क्षेत्र में सरकारी स्कूलों में छात्र छात्राओं से मनमाने ढंग से ट्यूशन फीस वसूली जा रही है। सरकारी स्कूलों में 9 से 12वीं तक के बच्चों से शाला विकास व खेल शुल्क के नाम पर फीस की वसूली है। जबकि कोरोना वायरस के चलते स्कूलों में कोई गतिविधियां नहीं हुई। सभी स्कूल एक साल से बंद हैं।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सोमवार को ही कहा है कि स्कूल किसी भी छात्र से ट्यूशन फीस के अलावा कोई अन्य शुल्क नहीं लेंगे। सीएम के बयान के अनुसार तो इस बार सरकारी स्कूलों में छात्रों से कोई फीस नहीं ली जानी चाहिए। कारण, सरकारी स्कूलों में ट्यूशन फीस लगती ही नहीं है। इसके बावजूद सरकारी हाईस्कूल और हायर सेकंडरी स्कूलों में छात्रों से डेढ़ से दो हजार रुपए फीस वसूली जा रही है। इसमें शाला विकास के नाम पर भी छात्रों से 200 से 300 रुपए लिए जा रहे हैं। बड़ा सवाल यह है कि जब शालाएं ही नहीं खुल रहीं तो आखिर शाला विकास शुल्क क्यों लिया जा रहा है।
बिना परीक्षा रिजल्ट जारी फिर भी कई गतिविधियों की राशि वसूली: सरकारी स्कूलों में छात्रों की ट्यूशन फीस स्थायी तौर से माफ है। ऐसे में हाईस्कूल व हायर सेकंडरी स्कूलों में बच्चों से स्काउट, रेडक्राॅस, खेलखूद, साइंस प्रयोगशाला, शाला विकास के नाम पर फीस वसूली जाती है। चूंकि स्कूल एक साल बंद हैं तो यह सभी गतिविधियां भी बंद हैं। ऐसे में इन मदों के नाम पर बच्चों से फीस वसूलना कोरोना काल में अभिभावकों को ठगने जैसा है। कई परिवार आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं, फिर भी सरकारी स्कूलों में ऐसी गतिविधियों की फीस ली जा रही है, जो हो ही नहीं रहीं। वही कोरोना के चलते इस बार परीक्षाएं भी नहीं हुई है।
इनमें सबसे खास है शाला विकास
शाला विकास के नाम पर 200 से 400 रुपए तक वसूले जा रहे हैं। सभी मदों को मिलाकर कक्षा नौंवी तक की एक से डेढ़ हजार एवं कक्षा दसवीं में एडमिशन कराने पर दो हजार रुपए तक फीस वसूली जा रही है। यही हाल हायर सेकंडरी स्कूलों का है।
सीएम की घोषणा, फिर भी शाला विकास के नाम पर मनमानी कर वसूल रहे फीस
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि स्कूलों में परीक्षा शुल्क एवं नामांकन शुल्क के अलावा अन्य कोई फीस नहीं वसूली जाएगी। लेकिन सरकारी स्कूलों में ही उनकी बात नहीं मानी जा रही। आम छात्र-छात्राओं के साथ ही गरीबी रेखा के नीचे आने वाले एवं संबल कार्ड धारी छात्र छात्राओं से भी शाला विकास व अन्य मदों में फीस वसूली जा रही है। संतोष वर्मा निवासी दिनारा का कहना है कि कई लोग ऐसे बच्चे हैं की वे बीपीएल में आते हैं। उनके पास संबल कार्ड भी है। फिर भी कक्षा 9वीं के एडमिशन के लिए 1280 रुपए देने पड़े। शासकीय हायर सेकंडरी स्कूल दिनारा में कक्षा नवमी के छात्रों से 1280 रुपए एवं दसवीं के छात्राओं से 2000 वसूले जा रहे हैं। इसमें शाला विकास एवं विभिन्न मदों के नाम पर 500 रुपए से अधिक जोड़े गए हैं।
स्कूल बंद, फिर भी साइंस प्रयोग और लोकल परीक्षाओं की फीस ले रहे
स्कूल भले ही बंद हों लेकिन शाला विकास, खेलकूद, साइंस प्रयोग इत्यादि के साथ-साथ लोकल परीक्षा के नाम पर भी बच्चों से शुल्क लिया जा रहा है। शासकीय माध्यमिक उच्चतर विद्यालय दिनारा में 2000 रुपए शुल्क वसूला जा रहा है। इसमें 930 रुपए बोर्ड परीक्षा शुल्क है। शेष में 20 रुपए क्रियाकलाप शुल्क, 450 रुपए शाला विकास शुल्क, 60 रुपए क्रीड़ा शुल्क, 10 गर्ल्स गाइड शुल्क,100 विज्ञान शुल्क, 20 रुपए विवेकानंद कॅरियर शुक्ल एवं 20 रुपए रेडक्रॉस शुल्क, 350 रुपए परीक्षा शुल्क वसूला जा रहा है। इतना ही नहीं, 35 रुपए अन्य शुल्क के नाम पर वसूले जा रहे हैं।
शाला विकास का शुल्क लिया जा रहा है तो मना कर देंगे
अब अफसरों का कहना है कि सरकारी स्कूलों में ट्यूशन फीस नहीं लगती। रेडक्राॅस, खेलकूद आदि की फीस लगती है। निजी स्कूल हजारों रुपए ट्यूशन फीस के नाम पर लेते हैं। सरकारी स्कूलों में अगर शाला विकास शुल्क लिया जा रहा है।
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