• Hindi News
  • Local
  • Mp
  • Betul
  • Children Are Laid In Cow Dung In The Name Of Faith, By Doing So, Children Are Saved From Disease Throughout The Year.

बैतूल में अनूठी परंपरा:आस्था के नाम पर बच्चों को गोबर में लिटाया, मान्यता ऐसा करने से सालभर बच्चे बीमारी से बचे रहते हैं

बैतूल2 वर्ष पहले
  • कॉपी लिंक
बैतूल के कृष्णपुरा वार्ड में गोवर्धन पूजा के बाद बच्चों को परिवारवालों ने गोबर में लिटाया। - Dainik Bhaskar
बैतूल के कृष्णपुरा वार्ड में गोवर्धन पूजा के बाद बच्चों को परिवारवालों ने गोबर में लिटाया।

बच्चों को सालभर निरोगी रखने के लिए गोबर में डालने की अनोखी परंपरा का बैतूल में शुक्रवार को एक बार फिर से निर्वहन किया गया। सालों से यह परंपरा दीपावली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा पर निभाई जाती है। गोबर से बनाए जाने वाले गोवर्धन पर्वत में पूजा के बाद नौनिहालों को गोबर में लिटाया जाता है। लोगों कि मान्यता है कि गोबर में डालने से बच्चे सालभर तंदुरुस्त रहते हैं, जबकि डाॅक्टर इस परंपरा को खतरनाक करार दे रहे हैं।

बैतूल के कृष्णपुरा वार्ड में गोवर्धन पूजा के बाद बच्चों को परिवारवालों ने गोबर में लिटाया। लोगों कि भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत उठा कर ग्वालों की रक्षा की थी, तभी से समाज की ऐसी मान्यता है कि गोवर्धन उनकी रक्षा करते हैं। इसी को लेकर बच्चों को गोबर में डाला जाता है। यह सब गांव में नहीं बल्कि शहर में भी हो रहा है। डॉक्टर्स के मुताबिक यह बच्चों के लिए न केवल खतरनाक है, बल्कि कई बीमारियों की वजह बन सकता है।

पीडब्ल्यूडी में कर्मचारी कैलाश यादव बताते हैं कि यह पुरानी परंपरा है। सभी ग्वाल कृष्ण की पूजा करते थे। उस समय इंद्र कहते थे कि मेरी पूजा करो। लेकिन ग्वाल नहीं करते थे। उन्होंने इसी वजह से मूसलाधार बारिश की थी। त्रस्त होकर ग्वाल कृष्ण के पास गए। उन्होंने अपनी एक उंगली पर गोवर्धन उठाकर सभी की रक्षा की थी। बच्चों को गोबर में डालने से वे साल भर निरोगी, सुखी रहते हैं। मांगलिक कार्यों में भी गोबर से लिपाई कर घर को शुद्ध करते हैं। आज तक इससे कोई इफेक्ट नहीं पड़ा है। जबकि ललित यादव मानते हैं कि आज का विज्ञान भले ही इसे न माने, लेकिन इससे कोई साइड इफेक्ट नहीं होता। हम पर यही भगवान का आशीर्वाद है।

शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. नितिन देशमुख मानते हैं कि वैसे तो गोबर में बहुत सारे कीटाणु होते हैं, जो बच्चो के स्वास्थ्य पर विपरीत असर डालते हैं। गोबर में बैक्टीरिया होता, जिससे सांस संबंधी बीमारी के साथ चर्म रोग होता है, जो बहुत ही घातक हो सकता है।