बैतूल में मंगलवार को एंबुलेस की लापरवाही का मामला सामने आया है। दामजीपुरा में हॉस्पिटल से छोड़ने जा रही एंबुलेंस ने प्रसूता को घर से 20 km पहले सुनसाल इलाके में ही छोड़ दिया। महिला ने दो दिन पहले ही बच्चे को जन्म दिया था। महिला के साथ उसकी सास भी थी। सुनसाल इलाके और रात होने के डर से दोनों ने घर को ओर पैदल चलना ही शुरू कर दिया। इसके बाद कुछ समाजसेवियों ने उसे किसी गाड़ी से घर तक पहुंचवाया।
दामजीपुरा में मंगलवार की शाम करीब 6 बजे तहसीलदार कार्तिक मोरया शांति समिति की बैठक ले रहे थे। तभी हांफते पहुंची एक वृद्धा ने उनसे बहू और उसे घर छुड़वाने की गुहार लगाई। बैठक में मौजूद तहसीलदार ने जब उसकी कहानी सुनी तो वहां मौजूद समाजसेवियों की मदद से उसे उसकी बहू के साथ घर पहुंचाया।
दो दिन के बच्चे को लेकर चली 3 किमी
भीमपुरखंड के भुरभुर गांव की रहने वाली बुललो सलामे को प्रसूति के लिए गांव से 80 किमी दूर भीमपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया था। रविवार को उसने एक शिशु को जन्म दिया। मंगलवार को उसकी अस्पताल से छुट्टी कर दी गई। जननी एक्सप्रेस को उसे उसके गांव छोड़ने की जिम्मेदारी दी गई थी। जननी एक्सप्रेस ने बुललो और उसकी सास सुगवंती को बैठाया और 60 किमी का सफर तय करने के बाद दामजीपुरा गांव से 3 किमी दूर बटकी में खराब सड़क बताकर वहीं छोड़ दिया।
ढलती शाम के वक्त दोनों सास, बहू दो दिन के बच्चे को गोद में उठाए किसी तरह पैदल दामजीपुरा पहुंचीं। यहां शांति समिति की बैठक में मौजूद तहसीलदार को उन्होंने अपना दुखड़ा सुनाया। यहां मौजूद समाजसेवी इदरीश वीरानी के वाहन से उन्हें 20 किमी दूर उनके घर भेजा गया। इस दौरान तहसीलदार ने बीएमओ से संपर्क करने का प्रयास किया, लेकिन फोन बंद होने से संपर्क नहीं हो सका।
दोषियों पर सख्त कार्रवाई होगी
मामले में सीएमएचओ डॉ. एके तिवारी का कहना है कि आपके द्वारा संज्ञान में मामला लाया गया है। किसी प्रसूता को घर तक छोड़ने जाने का प्रावधान है। अगर उसे रास्ते मे छोड़ा गया है तो इस मामले में सख्त कार्रवाई की जाएगी।
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