एमपी बोर्ड का परीक्षा परिणाम बुधवार को घोषित किया। कोरोना संक्रमण के कारण पहली बार ऐसा रिजल्ट आया कि सभी बच्चे उत्तीर्ण हो गए। जिले में दसवीं में कुल 25 हजार 298 बच्चे थे। इसमें 22 हजार 705 नियमित तथा 2 हजार 593 प्राइवेट परीक्षार्थी हैं।
बेस्ट फाइव के अनुसार आए रिजल्ट को लेकर बच्चों में उत्साह नहीं था। अधिकांश बच्चे रिजल्ट से संतुष्ट नहीं हैं। वे अब लिखित परीक्षा देने का मन बना रहे हैं। कोरोना के कारण इस बार दसवीं की बोर्ड परीक्षा हुई। इस वजह से माध्यमिक शिक्षा मंडल ने बेस्ट फाइव के आधार पर रिजल्ट घोषित किया। हर बार बोर्ड परीक्षा को लेकर जो उत्साह बच्चों और शिक्षकों में रहता था। वह इस बार देखने को नहीं मिला।
हर साल जिलेवार रिजल्ट घोषित किया जाता था, लेकिन इस बार केवल प्रदेश का रिजल्ट घोषित किया। हालांकि बोर्ड परीक्षा में सभी बच्चे पास हुए। इस बार दसवीं के नियमित विद्यार्थियों के लिए अर्द्ध वार्षिक, प्री बोर्ड, व यूनिट टेस्ट और आंतरिक मूल्यांकन के अंक के आधार पर रिजल्ट तैयार किया। इन परीक्षाओं में उपस्थित नहीं रहने वाले विद्यार्थियों को 33 प्रतिशत अंक देकर पास किया। वहीं प्राइवेट विद्यार्थियों को भी 33 प्रतिशत अंक देकर उत्तीर्ण किया। स्कूलों से रिजल्ट बनाकर भिजवाया था।
रिजल्ट से असंतुष्ट विद्यार्थी दें सकेंगे लिखित परीक्षा: इस रिजल्ट से संतुष्ट नहीं रहने वाले बच्चों को लिखित परीक्षा देने का अवसर भी दिया जा रहा है। इसके लिए 1 से 25 सितंबर के बीच परीक्षा आयोजित की जाएगी। इसके बाद प्राप्त अंकों के अनुसार उनकी मार्कशीट जारी की जाएगी। इसके लिए माध्यमिक शिक्षा मंडल ने आदेश जारी किए हैं। इसके लिए छात्रों को 1 से 10 अगस्त तक ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होगा।
परीक्षा होती तो लाते 95 प्रतिशत अंक
आठनेर ब्लॉक के हिड़ली निवासी धनेश्वरी पिपरोले मॉडल स्कूल में पढ़ती है। दसवीं के रिजल्ट में उसे 86 प्रतिशत अंक मिले हैं। जिस फार्मूले पर रिजल्ट तैयार किया है। उससे वह संतुष्ट नहीं है। छात्रा का कहना है इस रिजल्ट से वह संतुष्ट नहीं है। यदि लिखित परीक्षा होती तो वह 95 प्रतिशत अंक हासिल करती। धनश्वेरी को 500 में से 430 अंक मिले हैं।
रिजल्ट से हैं संतुष्ट, और अधिक अंक ला सकते थे
मॉडल स्कूल शाहपुर में पढ़ने वाले मुलताई के पांढरी गांव की अश्विनी कावड़कर ने बताया उसका रिजल्ट 92 प्रतिशत रहा। वह इस रिजल्ट से संतुष्ट है। अश्विनी को सभी विषयों में डिस्टेंक्शन मिला है। छात्रा ने बताया यदि लिखित परीक्षा होती तो वह 95 प्रतिशत अंक हासिल करती। उसे 500 में से 450 अंक मिले हैं। छात्रा का कहना है परीक्षा देना तय नहीं किया है।
बोर्ड परीक्षा होती तो अधिक अंक लाती
हिड़ली गांव निवासी हर्षा बघेल ने बताया उसे 90 प्रतिशत अंक मिले हैं। वह रिजल्ट से संतुष्ट नहीं है। दसवीं में अच्छे अंक लाने के लिए रोजाना 5 से 6 घंटे तक पढ़ाई करती थी। बोर्ड के इस फार्मूले से 500 में से 450 अंक मिले हैं। उसे 95 प्रतिशत अंक मिलने का अनुमान था। छात्रा ने बताया वह आगे होने वाली लिखित परीक्षा देगी और अधिक अंक हासिल करेगी।
छमाही में नहीं थी तैयारी, कम मिले अंक
बडोरा हाईस्कूल में पढ़ने वाले छात्र आकाश सरले ने बताया उसे बहुत कम 73 प्रतिशत अंक मिले हैं। यदि लिखित परीक्षा होती तो इससे अधिक अंक ला सकते थे। छमाही और प्री-बोर्ड की परीक्षा में हमने अधिक मेहनत नहीं की थी। बोर्ड परीक्षा नहीं होगी, ऐसा हमने सोचा नहीं था। बोर्ड परीक्षा के लिए ही सारी तैयारी की थी। सितंबर में लिखित परीक्षा देंगे या नहीं, यह अभी तय नहीं किया है।
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