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राजा जनक ने अपनी बेटी सीता का ब्याह रचाने के लिए स्वयंवर करने का निर्णय लिया। इसके बाद दरबार सजा। इसमें आसपास के कई राज्याें से एक से एक सुंदर सुशील राजकुमार अपनी किस्मत आजमाने और सीताजी काे अपना जीवन साथी बनाने के लिए स्वयंवर में शामिल हुए। लेकिन जी जान से काेशिश करने और ऐढ़ी चाेटी का जाेर लगाने के बाद भी धनुष नहीं ताेड़ पाए।
आखिर में श्रीरामजी ने धनुष उठाया और ताेड़ दिया। इसके बाद जानकी ने स्वयंवर सभा में श्रीराम के गले में वरमाला पहनाई। पूरा सदन ने हर्षित मुद्रा में श्रीराम व सीताजी पर पुष्प बरसाए। रामायण के इस दृश्य का सजीव मंचन मंगलवार रात काे महारानी लक्ष्मीबाई वार्ड की जाेशी काॅलाेनी में दुबे आटा चक्की के पास चल रही रामलीला में किया। यहां श्री रामलीला संस्कृति जनजागरण मंडल प्रयागराज यूपी के 15 कलाकाराें की टीम बीते 4 दिनाें से रामलीला का आकर्षक वेशभूषा में मंचन कर रही है। जिसे देखने राेज बड़ी संख्या में धर्म प्रेमी दर्शक आ रहे हैं।
रात 9.30 बजे से हाे रहा रामलीला का मंचन
आयाेजन स्थल पर रात 9.30 बजे से रामलीला का मंचन शुरू हुआ। इसमें विभिन्न पात्र अपनी वेषभूषा धारण कर मंच पर आए। इसके बाद सीताजी के ब्याह के लिए स्वयंवर सजा। इस दाैरान सीताजी काे ब्याहने के लिए दूर दूर से आए याेद्धाओं ने मूंछाें पर ताव देते हुए धनुष उठाने की पुरजोर काेशिश की, लेकिन आखिर में निराशा हाथ लगी। अंत में श्रीराम ने धनुष उठाया और ताेड़ दिया। जिसके बाद श्रीराम जानकी के जयकाराें का जयघाेष हुआ। वरमाला के साथ मंचन का समापन हुआ।
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