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जिले में समर्थन मूल्य पर गेहूं और चना बेचने से पहले पंजीयन कराने के लिए किसान परेशान हाे रहे हैं। पंजीयन केंद्राें की संख्या किसानाें के मान से कम है। कभी सर्वर डाउन रहता है ताे कभी इंटरनेट नहीं चलता है। ऐसे में किसान पंजीयन के लिए पूरा दिन यहां वहां भटक रहे हैं। इसके अलावा पंजीयन के एवज में रुपए भी वसूले जा रहे हैं।
किसान कांग्रेस के प्रदेश सचिव माेहन सांई ने पंजीयन की तारीख 15 मार्च करने और बीते साल खरीदी में घटत बताने वाली समितियाें काे इस बार खरीदी से अलग रखने की मांग काे लेकर कलेक्टर काे पत्र लिखा है। सांई ने कहा जिले में चना करीब 60 हजार हेक्टेयर में बाेया गया है। इसे देखकर सरकार समर्थन मूल्य पर खरीदी से बचना चाहती है। यही कारण रहा सहकारी समितियाें से मिलीभगत कर हड़ताल कराई गई। जिससे किसान पंजीयन से वंचित रह जाएं।
उन्हाेंने कहा अब ऑपरेटर कभी साइड बंद हाेने ताे कभी नेट नहीं चलने और कभी सर्वर डाउन हाेने का हवाला दे रहे हैं, जिससे किसान परेशान हाे रहे हैं। इधर कांग्रेस प्रवक्ता एवं एडव्होकेट गगन अग्रवाल ने बताया कि कुछ साेसाइटी संचालकाें ने अपनी लाॅगिन आईडी और पासवर्ड दे रखे हैं।
अब ऐसे कियाेस्क संचालक किसानाें से निशुल्क पंजीयन के एवज में भी 50 से 100 रुपए वसूल रहे हैं। इस मिलीभगत की उन्हाेंने कलेक्टर, एआरसीएस और एनआईसी प्रभारी से शिकायत की, लेकिन काेई कार्रवाई नहीं हुई। अब उन्हाेंने सहकारिता मंत्री और सीएम से ई मेल कर शिकायत की है।
सीएम काे लिखा पत्र
सांई ने कलेक्टर व सीएम काे लिखे पत्र में कहा बीते साल 37 दिन में प्रशासन ने रिकार्ड 4.96 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदा। बारिश नहीं हुई। समय पर परिवहन हाे गया। फिर भी समितियाें ने 16 हजार क्विंटल घटत बताई। जबकि खरीदी के दाैरान हर समिति ने 50 किलाे की क्षमता वाली बोरियों पर किसानाें से 500 से 750 ग्राम गेहूं सूखत के नाम पर पहले ही ज्यादा ले लिया था। परिवहन भी समय पर हुअा। ऐसे में घटत कैसे हुई। उन्हाेंने घटत बताने वाली समितियाें काे इस साल खरीदी से दूर रखने की मांग की।
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