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शिक्षा, क्षमा और कर्तव्य काे सार्थक करने वाले शिक्षकगणाें के लिए 5 सितंबर का दिन शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। अपने छात्र-छात्राओं के लिए सर्वस्व न्याेछावर कर देने वाले शिक्षकाें में ऐसे भी कई शिक्षक हैं जाे निरंतर बच्चाें की पढ़ाई के अलावा आर्थिक मदद करते रहे, लेकिन सामने नहीं आए। ऐज हम धार के सेवानिवृत्त शिक्षक जगदीश वर्मा और राज्य स्तर पर सम्मान प्राप्त कर चुकीं शिक्षिका अरुणा बाेड़ा द्वारा किए गए उपलब्धिपूर्ण कार्याें काे बता रहे हैं।
शिक्षक जगदीश वर्मा 30 जुलाई 2020 काे सेवानिवृत्त हुए। 43 साल का सेवाकाल रहा। बिलाेदा, उमरिया बड़ा और धार में पांच हजार बच्चाें काे पढ़ा चुके हैं। इनमें 3-4 डाॅक्टर व 7-8 इंजीनियर हैं। धार के क्र. एक हाईस्कूल घाेड़ाचाैपाटी में 12 साल पढ़ाया। वर्मा बताते हैं गांवाें के निर्धन वर्ग के बच्चाें की पुस्तकाें की व्यवस्था अपने खर्च से करते थे। उनकी फीस भी भरी। बड़ा घर हाेने से बच्चाें काे अपने यहां कमरे भी दे देते थे। ऐसे करीब 40 बच्चे हैं, जिनकी मदद की। आर्थिक स्थिति अच्छी हुई ताे आय का 10 प्रतिशत जरूरतमंद बच्चाें पर खर्च करते थे। महीने में 7 से 8 हजार रुपए खर्च हाे जाते हैं। उनके पढ़ाए राधेश्याम मुजाल्दा ग्वालियर में डाॅक्टर है। निधि वर्मा खरगाेन के बाेरावां में इंजीनियरिंग काॅलेज में प्राेफेसर है। वर्मा ने लाॅकडाउन में भाेजन बांटा। सेवा भारती संस्था ने सम्मान किया है।
जाे बच्चियां बाल बनाकर नहीं अाती तो उनकी चाेटी भी कर देती हैं बाेड़ा मैडम
शिक्षिका अरुणा बाेड़ा बिलोदा के मिडिल स्कूल में 2013 से पदस्थ हैं। यहां बिजली की व्यवस्था की। तीन पंखे घर से ले जाकर लगाए। पानी की व्यवस्था के लिए कैंपर 6 लगवाए। भाेजन के लिए थालियां और गिलास की व्यवस्था की। 6 जुलाई से घर-घर जाकर बच्चाें काे मास्क, पुस्तकें-काॅपियां अपने खर्च से बांटे। ड्रेस शासन से मिली थी। बच्चाें काे माैजे और जूते स्कूल के स्टाफ ने मिलकर दिए। बालिकाओं काे रिबिन बांटी और जाे बालिकाएं बाल बनाकर नहीं अाती थी उनकी चाेटी भी स्वयं ही कर देती थी। शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने पर 2007 में आचार्य सम्मान से भाेपाल में राज्य शिक्षा केंद्र ने सम्मानित किया था। तत्कालीन शिक्षा मंत्री पारस जैन ने सम्मान प्रदान किया था। साल 2010 में यूनिसेफ संस्था ने असम के गुवहाटी में प्रशिक्षण देने के लिए चयनित किया था। पश्चिम बंगाल में आपदा प्रबंधन का प्रशिक्षण देने के लिए गई थीं।
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