पाएं अपने शहर की ताज़ा ख़बरें और फ्री ई-पेपर
Install AppAds से है परेशान? बिना Ads खबरों के लिए इनस्टॉल करें दैनिक भास्कर ऐप
शहर के श्वेतांबर जैन समाज का 19 वर्षीय युवक बुधवार को आहोर (राजस्थान) में जैन भगवती दीक्षा ग्रहण करेगा। जैन समाज के विभिन्न संप्रदाय को मिलाकर झाबुआ से यह सातवीं दीक्षा है। जबकि श्वेतांबर मूर्तिपूजक जैन समाज में सवा सौ साल के दरमियान शहर से पहली बार कोई दीक्षा लेने जा रहा है।
श्वेतांबर मूर्तिपूजक श्री संघ के अध्यक्ष संजय मेहता के पुत्र और सुश्रावक धर्मचंद मेहता के पौत्र शाश्वत मेहता ने संयम जीवन अंगीकार करने का निर्णय लिया है। वह 24 फरवरी को आहोर में आचार्यश्री जयानंद सूरीश्वरजी से दीक्षा ग्रहण करेगा। शाश्वत इस दिन सुबह 6.30 सांसारिक जीवन छोड़कर संयम मार्ग को अपनाएगा। पुत्र की प्रबल भावना को देखते हुए झाबुआ के मेहता परिवार ने शाश्वत को दीक्षा लेने की अनुमति प्रदान की है।
श्री संघ प्रवक्ता डाॅ. प्रदीप संघवी ने बताया बचपन से ही वह धार्मिक प्रवृत्ति का लड़का रहा है। शाश्वत दो वर्षों से आचार्यश्री जयानंद सूरीश्वरजी के सान्निध्य में धार्मिक अध्ययन कर रहा था। आचार्यश्री 2 वर्ष पूर्व झाबुआ आए थे इसके बाद राजगढ़ में उनका चातुर्मास हुआ। वहीं पर शाश्वत उनके प्रवचन से प्रभावित हुआ और उसके अंदर दीक्षा के भाव जाग्रत हुए। 12वीं तक मिशन स्कूल में पढ़े शाश्वत ने हाल ही में बी-कॉम प्रथम वर्ष की परीक्षा झाबुआ कॉलेज से दी थी।
दीक्षा की अनुमति लेने गए थे परिजन, आचार्यश्री ने 24 फरवरी का मुहूर्त दिया
पिता संजय मेहता ने बताया 24 फरवरी को होने वाली दीक्षा महोत्सव में शामिल होने और बेटे की दीक्षा की अनुमति लेने हम दीक्षा की अनुमति लेने के लिए पूरे परिवार के साथ झाबुआ से 22 फरवरी को 50 सदस्यों के साथ आहोर पहुंचे थे। हमने आचार्यश्री के समक्ष शाश्वत की दीक्षा झाबुआ में करने की विनती की। लेकिन आचार्यश्री ने इस कार्य में देरी ना करने की बात कहते हुए 24 फरवरी को दीक्षा का मुहूर्त दिया। जिसकी परिवार ने सहर्ष अनुमति दे दी।
झाबुआ से ये ले चुके हैं दीक्षा
वर्धमान स्थानकवासी समाज : कैलाश श्रीमाल की पुत्री आशा श्रीमाल ने 15 जून 2010 को आचार्यश्री उमेशमुनिजी से मोहनखेड़ा में दीक्षा ली थी। बाद में वह आशाश्री कहलाई।
दिगंबर जैन समाज : 17 अप्रैल 1991 को मणीलाल डोशी ने राजस्थान के अर्थुना (बासवाड़ा) में आचार्यश्री सिद्धांत सागरजी से दीक्षा ली थी। बाद में वे अजीत सागरजी कहलाए। इसके अलावा झाबुआ पिठवा परिवार के मथुरालाल पिठवा ने सवंत 1965 में मोजमाबाद (जयपुर) में दीक्षा ली थी। थी। वे सिद्धि सागरजी कहलाए।
तेरापंथ समाज : 18 अप्रैल 1986 को तीन भाई-बहनों ने एक साथ दीक्षा ली थी। शहर के मांगीलाल चौधरी के पुत्र कांतिलाल, पुत्री चंदा और निर्मला ने आचार्यश्री तुलसी से राजसमंद में दीक्षा ली थी। दीक्षा के बाद वे क्रमश: अमृतमुनिजी, चेतन्य प्रज्ञाजी व निर्वाण प्रज्ञाजी कहलाए।
(नाेट : जानकारी समाजजनों के अनुसार)
पॉजिटिव- आप प्रत्येक कार्य को उचित तथा सुचारु रूप से करने में सक्षम रहेंगे। सिर्फ कोई भी कार्य करने से पहले उसकी रूपरेखा अवश्य बना लें। आपके इन गुणों की वजह से आज आपको कोई विशेष उपलब्धि भी हासिल होगी।...
Copyright © 2020-21 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.