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गृह निर्माण संस्थाओं में प्लाॅट्स की गड़बड़ी सामने आने और फिर से पटरी पर लाने के लिए सहकारिता विभाग ताबड़तोड़ रिसीवर की नियुक्ति कर वसूली के लिए धारा 58-बी के तहत प्रकरण तो बना देते हैं, लेकिन जब वसूली की बारी आती है तो प्रकरण की हवा निकल जाती है। सालों पहले संस्थाओं पर करोड़ों रुपए की वसूली के प्रकरण बने, लेकिन रिसीवर, उपायुक्त एक भी भूमाफिया की गर्दन तक नहीं पहुंच सके।
अधिकारी बदलते गए और प्रकरण ठंडे बस्ते से बाहर नहीं निकल सके। सहकारिता विभाग ने धारा 58-बी के तहत 20 वसूली प्रकरण बनाए। पांच प्रकरणों में निर्णय भी पारित हुआ, मगर वसूली एक भी रुपए की नहीं हुई। विभाग की कार्रवाई का न तो भूमाफियाओं पर असर हो रहा है और न ही पीड़ित सदस्यों अथवा संस्था को इसका लाभ मिला।
16 साल पुराने घोटाले में 1 करोड़ 84 लाख रुपए की वसूली का आदेश
देवी अहिल्या संस्था के कर्ताधर्ताओं के खिलाफ सहकारिता विभाग ने 1.84 करोड़ की वसूली का आदेश जारी किया। इसके सहित चार मामलों में 5 करोड़ से ज्यादा की राशि वसूली किए जाने के आदेश हुए हैं, पर वसूली नहीं हो सकी है।
अध्यक्ष, प्रबंधक, संचालक गिरफ्तार भी हुए पर 12 साल में कुछ नहीं बदला
इस संस्था पर 2009 में कार्रवाई हुई थी। पुलिस ने संस्था प्रबंधक विमल लुहाड़िया, तत्कालीन संचालक जगदीश भावसार, मुकेश गोयल को गिरफ्तार किया था। अध्यक्ष रणबीरसिंह सूदन सहित अन्य को भी पकड़ा। वसूली अब भी ठंडे बस्ते में है।
इन संस्थाओं से नहीं हुई 5 करोड़ 79 लाख 76 हजार 448 रु. की वसूली
संस्था दोषी पदाधिकारी/अधिकारी राशि (रुपए में)
महात्मा गांधी संस्था पूर्व अध्यक्ष और संचालक 35 लाख जाग्रति गृह निर्माण पूर्व अध्यक्ष और संचालक 28 लाख 60 हजार जाग्रति गृह निर्माण पू.अध्यक्ष जयेंद्र शांतिलाल बम 2 करोड़ 59 लाख 98 हजार 300 कर्मचारी मित्रबंधु तत्कालीन संचालक मंडल 71 लाख 54 हजार 300 देवीअहिल्या गृह निर्माण तत्कालीन प्रभारी, प्रबंधक 1 करोड़ 84 लाख 63 हजार 848
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