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जवाहर मार्ग से पागनीसपागा तक बनने वाली रिवर साइड रोड का काम चंद्रभागा ब्रिज तक आने से पहले ही विवादों में फंस गया है। रहवासियों का आरोप है कि चंद्रभागा ब्रिज के आगे 20 से ज्यादा खास मकानों को बचाने के लिए सियासत होने लगी है। इन मकानों को बचाने के लिए चंद्रभागा ब्रिज से पहली ही सेंट्ल लाइन का अलाइनमेंट बदल दिया गया है। इससे एक तरफ महल कचहरी वाला हिस्सा तो टूट रहा है, लेकिन सामने की पट्टी के निर्माण नहीं तोड़े जा रहे।
निगम अफसरों के मुताबिक कबूतरखाना वाले हिस्से में 30 मीटर तक कब्जे हटाने की तैयारी हो गई है। वहीं महल कचहरी के मुकाती महल को तोड़ा जाना तय है, क्योंकि यह जर्जर निर्माण है। उधर, जवाहर मार्ग ब्रिज की तरफ से महल कचहरी तक भी निर्माण हटा दिए गए हैं।
23 सितंबर 2020 को चितावद में हुए कार्यक्रम में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जवाहर मार्ग से पागनीसपागा तक मास्टर प्लान की 24 मीटर (80 फीट) रिवर साइड रोड का शुभारंभ किया था। शहर के ट्रैफिक के लिए वरदान इस रोड में निगम ने 350 से ज्यादा परिवारों को विस्थापित भी कर दिया और अब महल कचहरी स्थित मुकाती महल और नदी के अलाइनमेंट को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। चंद्रभागा से पागनीसपागा तक की रोड को अगले चरण में लेने का कहकर टालने की कोशिश शुरू हो गई है। अधीक्षण यंत्री डीआर लोधी ने बताया पहले चरण में जवाहर मार्ग से लेकर चंद्रभागा पुल तक ही काम किया जा रहा है। आगे के हिस्से के लिए अधिकारियों को निर्णय लेना है। जबकि हकीकत में मामला 20 मकानों को टूटने से बचाने का है।
रहवासी बोले- 80 फीट सड़क को लेकर है विवाद
चंद्रभागा पुल से पागनीसपागा के बीच 80 फीट रोड में सबसे पहला बाधक मकान दिलीप मुंगी और विनोद मुंगी का है। उन्होंने बताया यहां 80 फीट रोड बनती है तो हमारे मकान का आधे से ज्यादा हिस्सा टूट जाएगा। इसके साथ ही पीछे रहने वाले 20 मकानों का भी यही हश्र होगा। हमने 60 फीट रोड की ही मांग की है। इससे ज्यादा यहां चौड़ी सड़क की जरूरत भी नहीं।
आरोप- धीरे-धीरे नदी को साउथतोड़ा की तरफ मोड़ दिया
मुकाती महल इस रोड की सबसे बड़ी बाधा के रूप में सामने आया है। होलकर के पहले परमार कालीन इस महल का नक्शा यहां रहने वाले सतनाम गुरु के पास अभी भी है। उन्होंने और मुकाती महल में रह रहे सागर पालीवाल ने बताया नदी को निगम के अधिकारियों ने साउथतोड़ा की तरफ मोड़ दिया है। इससे जहां चैंबर बनाए गए हैं, वहां नदी का घाट हुआ करता था। यह नक्शे में स्पष्ट है। नदी के बीच में एक पीपल का पेड़ था, जो अब दूसरे किनारे पर हो गया है।
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