शहर में इन दिनों कोरोना की तीसरी लहर का दौर जारी है। इस बार रविवार को कोरोना के सबसे अधिकतम 1890 नए मरीज मिले हैं। इसके साथ ही एक्टिव केस 10 हजार से ज्यादा हो गए हैं। राहत वाली बात यह कि तीसरी लहर में जितने भी नए मरीज मिले हैं 98% ए सिम्टोमैटिक ही मिले हैं। खास यह कि नए वैरिएंट भले ही इतना घातक नहीं है लेकिन इसके पीछे मरीजों का वैक्सीनेटेड होना भी खास कारण रहा है।
16 जनवरी 2021 को जब देशव्यापी वैक्सीनेशन महाभियान शुरू हुआ था तो इंदौर में पहले दिन 368 हेल्थ केयर वर्कर्स ने पहला डोज लगाया था। इस तरह 368 लोगों की स्वास्थ्य सुरक्षा से शुरू हुआ सफर को 16 जनवरी 2022 को पूरा एक साल हो गया। जिला प्रशासन, स्वास्थ्य, नगर निगम, सामाजिक संगठन व धर्म गुरुओं के संयुक्त प्रयास से इस एक साल में 33 लाख लोगों ने वैक्सीन लगाई है जिसमें से 29 लाख ने दोनों डोज लगाए हैंं। यही कारण है कि इतनी बड़ी आबादी में इस बार तीसरी लहर में पॉजिटिव आने के बाद भी सुरक्षित हैं।
दरअसल, पहली लहर के खौफ के बाद वैक्सीनेशन के प्रति लोगों की जागरुकता रही और संयुक्त प्रयास के चलते 228 दिनों में पात्र 28 लाख लोगों को पहला डोज का टारगेट पूरा कर इंदौर में देश में परचम लहराया। फिर हाल ही में दूसरे डोज का टारगेट भी पूरा किया गया है। इसके बाद अन्य युवा भी 18 वर्ष के होकर वैक्सीनेशन के पात्र हुए और अब तक कुल 29 लाख लोगों को दोनों डोज लग चुके हैं। अब स्थिति यह है कि अब रोज कई बच्चे 15 वर्ष के होकर वैक्सीन के पात्र हो रहे हैं, उन्हें वैक्सीन लगाई जा रही है।
राष्ट्रीय अभियान में सहयोग की अपील
उधर, 10 जनवरी 2022 से शुरू हुए बूस्टर डोज को लेकर अब गति काफी धीमी है। 6 दिनों में मात्र 26 हजार बुजुर्गों, हेल्थ वर्कर्स व फ्रंट लाइन वर्कर्स ने ही बूस्टर डोज लगवाए हैं जबकि जनवरी में 1 लाख बूस्टर डोज का टारगेट है। ऐसे में बूस्टर डोज में इंदौर अभी काफी पीछे है। दूसरी ओर 15 वर्ष से 18 वर्ष के बीच करीब 70 हजार बच्चों को अभी वैक्सीन का पहला डोज लगना बाकी है। कलेक्टर मनीष सिंह ने लोगों से अपील की है कि वे वैक्सीन के प्रति जागरूक रहे ताकि खुद की व दूसरों की स्वास्थ्य सुरक्षा हो सके।
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