ट्रांसपोर्टेशन को लोगों की जिंदगी हिस्सा बनाएं:पब्लिक ट्रांसपोर्ट को बढ़ावा देने के लिए इंसेंटिव का सहारा ले प्रशासन

इंदौर4 महीने पहले
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रविवार को सेवा सुरभि, जन आक्रोश और इंदौर प्रेस क्लब के द्वारा आनंदमोहन माथुर सभागार में लोक-परिवहन : कल, आज और कल विषय पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। मुख्य वक्ता प्रो.आशीष वर्मा थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता यातायात विशेषज्ञ और प्रमुख सिविल इंजीनियरिंग विभाग एसजीएसआईटीएस ओपी भाटिया ने की। कार्यक्रम में प्रो.वर्मा ने लोक परिवहन को किस तरह से लोगों की जिंदगी का हिस्सा बनाया जा सकता है, इस पर सुझाव भी दिए। कार्यक्रम में कलेक्टर इलैयाराजा टी, प्रेस क्लब अध्यक्ष अरविंद तिवारी, जन आक्रोश संस्था के तरूण मिश्रा आदि मौजूद थे।

प्रो.आशीष वर्मा ने साल 1999 में इंदौर में एसजीएसआईटीएस से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। इंदौर की स्वच्छता को लेकर कहा ‘मैं बेंगलुरु की म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन को कहता हूं कि आप इंदौर जाकर देखिए। स्वच्छता के संबंध में स्टडी कीजिए। खासकर इंदौर ने सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट कैसे किया है और वो किस तरह से सक्सेसफुल हुआ है।

कार्यक्रम के दौरान अपने उद्बोधन में प्रो.वर्मा ने कहा कि पब्लिक ट्रांसपोर्ट को बढ़ावा देने के लिए इंसेंटिव का सहारा भी लिया जा सकता। जो जितना ज्यादा पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल करेगा, उसे उतने पॉइंट्स दिए जाएंगे। पॉइंट्स का बाद में किराए या अन्य चीजों में उपयोग हो सके।

ट्रैफिक और ट्रांसपोर्ट में कैसे योगदान दें
इंदौर के रहने वाले प्रो.आशीष वर्मा ने कहा कि इंदौर के ट्रैफिक और ट्रांसपोर्ट की जहां तक बात है तो लगता है कि कैसे योगदान दे सकते हैं। पब्लिक ट्रांसपोर्ट, वॉकिंग और सायकिलिंग को भविष्य में आकर्षित कैसे बनाया जाए। साथ‌ ही पर्सनल व्हीकल का यूज कितना कम कर सके। इस पर ध्यान देने की जरुरत है।

...और मेट्रो को लेकर ये बोले
वहीं मेट्रो प्रोजेक्ट को लेकर प्रो.आशीष वर्मा ने कहा कि करोड़ों रुपए इस पर खर्च होंगे। प्रति किलोमीटर एलिवेटेड मेट्रो की 250 से 300 करोड़ रुपए के बीच में आती है। ये इन्वेस्टमेंट गलत नहीं हो, उसके लिए जरूरी है कि जो मास्टर प्लानिंग एक्सरसाईज से वो बहुत ही साइंटिफिक होना चाहिए। उस पर अगर आज गलती कर दी तो बाद में उसको सुधारना मुश्किल है। ऐसा तो होगा नहीं कि मेट्रो आज बना दो और फिर सिटी को चेंज करो। बेस्ट ये है कि सिटी के अनुसार मेट्रो का उपयोग किया जाए। अभी तक मेट्रो का जो कंस्ट्रक्शन हो गया है ठीक है लेकिन आगे के कॉरिडोर को लेकर यह देखना चाहिए कि किस कॉरिडोर पर कितना डिमांड आएगा, फिर निर्णय करना चाहिए।

कौन हैं प्रो. वर्मा

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस बेंगलुरु में ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम इंजीनियरिंग के प्रो.आशीष वर्मा का इंजीनियरिंग में फाइनल ईयर का प्रोजेक्ट ट्रैफिक जंक्शन के पर था। एमटैक भी ट्रांसपोर्टेशन इंजीनियरिंग में किया। पीएचडी भी ट्रांसपोर्टेशन इंजीनियरिंग सिस्टम में की। इस तरह लगातार इंटरेस्ट बढ़ता गया। प्रो.ओपी भाटिया मेरे गुरु रहे है एसजीएसआईटीएस में उनकी जो टीचिंग थी ट्रांसपोर्टेशन की वो इतनी इंटरेस्टिंग, इफेक्टिव थी कि उससे ट्रांसपोर्टेशन को लेकर मेरा इंटरेस्ट जागा।

कार्यक्रम में मौजूद गणमान्य नागरिक।
कार्यक्रम में मौजूद गणमान्य नागरिक।