इंदौर के एमआईजी थाने के कॉन्स्टेबल ने 26 बस यात्रियों की जान बचाई है। लखनऊ से इंदौर आ रही हंस ट्रैवल्स की बस शनिवार तड़के 4 बजे विदिशा के पास सिरोंज में मामा-भांजे ट्रैवल्स की बस से भिड़ गई थी। हंस ट्रैवल्स की बस के कांच फूट गए। गेट भी लॉक हो गए थे। यात्रियों की चीख पुकार मची थी।
हंस ट्रैवल्स की बस में 26 यात्री थे। करीब 45 मिनट तक सभी यात्री बस में घायल हालत में पड़े रहे। इंदौर के एमआईजी थाने के कॉन्स्टेबल गोविंद द्विवेदी भी परिवार के साथ यात्रा कर रहे थे। उन्होंने साहस दिखाते हुए सभी घायल यात्रियों को बाहर निकाला।
गोविंद ने दैनिक भास्कर से पूरी घटना को साझा किया। उन्होंने बताया कि कानपुर में उनकी ससुराल है। दोनों बच्चों और पत्नी को कानपुर से बस से लौट रहे थे। टक्कर होने पर नींद खुली। रोने-चीखने की आवाजें आ रही थीं। उनकी बस में सबसे ज्यादा बुजुर्ग थे। बस का दरवाजा जाम हो गया था। मोबाइल टॉर्च की रोशनी में देखा तो एक रॉड दिखी। रॉड से दरवाजा तोड़कर सबसे पहले बुजुर्ग और बच्चों को बाहर निकाला।
टक्कर के बाद बस में यहां-वहां गिरे यात्री
गोविंद ने बताया कि उनकी बस को 7.30 बजे कानपुर से इंदौर के लिए चलना था, लेकिन बस 8.30 बजे आई। 1 घंटा कवर करने के लिए ड्राइवर तेज रफ्तार में बस दौड़ा रहा था। स्लीपर कोच होने से यात्रियों को इसकी जानकारी नहीं थी। जैसे ही, सिरोंज के आगे टक्कर हुई, तो सभी यात्री बस में इधर-उधर गिर गए। ऊपर की बर्थ पर सो रहे यात्री नीचे आ गिरे। सभी को सिर, हाथ, पैर और कमर में चोट आई। बरखेड़ा पुलिस एम्बुलेंस और अन्य मदद लेकर पहुंची। इसके बाद सभी को अस्पताल ले जाया गया।
ड्राइवर अंकल गाड़ी तेज चला रहे थे
कॉन्स्टेबल के सात साल के बेटे आरुष ने बताया कि जब से बस में बैठे तभी से उसे ठीक नहीं लग रहा था। ड्राइवर अंकल गाड़ी काफी तेज चला रहे थे। जब हादसा हुआ, तो लगा कि गाड़ी किसी पुल के नीचे गिरी है। पापा ने एक बार आवाज लगाई। इसके बाद मोबाइल टॉर्च चालू कर हमें ठीक देखकर लोगों की जान बचाने में जुट गए। इसके बाद हमारे पास आए।
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