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उज्जैन की एक 15 वर्षीय नाबालिग को बस बैठाकर इंदौर लाए। यहां उसे आरोपी ने बाणगंगा क्षेत्र स्थित बाड़े में रखा। मामले में उज्जैन पुलिस ने संज्ञान नहीं लिया है, जबकि नाबालिग को रिहा करवाने आए मामा के ऊपर आरोपियों ने हमला किया और उनकी कार में आग भी लगा दी। बाणगंगा पुलिस ने भी तीन दिन तक केस दर्ज नहीं किया। जब पीड़ित ने आईजी से संपर्क किया तब बाणगंगा थाने में कार में आग लगाने का केस दर्ज किया गया।
परिजन का आरोप है कि उज्जैन पुलिस ने नाबालिग के बयान लिए और बोल दिया कि इसमें कोई केस ही नहीं बनता है। पीड़ित मामा का आरोप है कि आरोपी इंदौर में भाजपा नेता गोलू शुक्ला के यहां काम करता है। उन्हीं के बाड़े में रहता है। वहीं उसने बच्ची को कैद करके रखा था। दबाव के कारण ही बाणगंगा पुलिस केस दर्ज नहीं कर रही थी।
आईजी को शिकायत के बाद और इंदौर के यादवनंद नगर निवासी प्रफुल्ल तोमर और उसके साथी बादल के खिलाफ आगजनी का केस दर्ज किया है। बादल शुक्ला का कर्मचारी है और उन्हीं के बाड़े में रहता है। बाणगंगा पुलिस का कहना है कि फरियादी ने बताया कि बादल उसका दूर का रिश्तेदार भी है। वह भी इस षड्यंत्र में शामिल था। अभी दोनों आरोपी फरार हैं।
झांसा देकर आरोपी ने बस में बैठा नाबालिग को इंदौर भेजा
फरियादी का कहना है कि 13 जनवरी को नाबालिग भांजी को प्रफुल्ल तोमर ने झांसा देकर एक बस से इंदौर बुलवा लिया था। फिर उसे शुक्ला के बाड़े में रखा था, क्योंकि बादल वहीं रहता है। भांजी के जाने की जानकारी मिलते ही वह अपने भाइयों के साथ बादल के घर पहंचे। पहले तो आरोपियों ने मना कर दिया कि भांजी नहीं है, लेकिन अंदर से एक आवाज आई तो पहुंचे तो नाबालिग मौजूद थी। वह भांजी को लेकर बाहर निकला दोनों ने उस पर हमला कर दिया।
वे भांजी को लेकर रोड पर आए तो उन्होंने कार पर पथराव भी कर दिया। जब वे बचकर सड़क पर आए तो एक आरोपी ने कार में अंदर से आग लगा दी। जब वे थाने पहुंचे तो पुलिस ने जांच की बात कही। फिर उन्हें टाल दिया। घटना के तीन दिन तक इधर-उधर चक्कर लगाए। पता चला कि राजनैतिक प्रभाव के कारण पुलिस केस ही दर्ज नहीं कर रही है। आईजी से मिले तब जाकर आगजनी का केस दर्ज किया गया।
उज्जैन पुलिस ने भी केस दर्ज नहीं किया
पीड़ित के मुताबिक लोग 13 जनवरी को ही बच्ची को लेकर उज्जैन थाने पहुंचे। वहां उसने बताया कि मोबाइल पर बात होने के बात वह बस में बैठी। फिर उसे रिश्तेदार बादल और प्रफुल्ल ने समझाया और बस वाले से बात करके उसे इंदौर में उतार लिया। यदि परिजन नहीं पहुंचते तो वे अगले दिन शादी करने वाले थे।
परिजन का आरोप है कि यह जानकारी उज्जैन के माधव नगर थाने में दी गई। इसके बाद भी टीआई ने केस दर्ज करने से मना कर दिया। कहा कि इसमें कोई केस ही नहीं बनता है। लड़की के बयान ही ऐसे हैं। परिजन का कहना है कि यदि बच्ची बालिग होती और वह अपनी मर्जी से जाती तो बात अलग थी, लेकिन यहां पुलिस मनमानी कर रही है।
अपहरण की कोई शिकायत नहीं आई
लड़की गमी में जाने का बोलकर बस खुद इंदौर आई, इसलिए कोई केस दर्ज नहीं होता है। फिर दूसरी बार कार जलने के बाद बोला तो मैंने ही बाणगंगा टीआई राजेंद्र सोनी को बोलकर केस दर्ज करवाया है। वहां भी पता चला था कि इन्होंने आपस में समझौता कर लिया था। अभी तक हमारे पास अपहरण जैसी कोई शिकायत ही नहीं आई है।
- दिनेश प्रजापति, टीआई माधव नगर
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