बाणगंगा पुलिस द्वारा बीकॉम के 2 छात्रों को नकली दस्तावेज और प्रमाण पत्र बनाने के जुर्म में गिरफ्तार किया गया था। आरोपी ने बताया कि महज 10 हजार रुपए में वह किसी भी व्यक्ति का जाति प्रमाण पत्र बनाकर उसे दे दिया करते थे। आरोपियों को जिला कोर्ट से 19 तारीख तक की रिमांड पुलिस मिली है। आरोपियों ने बताया कि महज 5 मिनट में वह सॉफ्टवेयर पर किसी भी व्यक्ति की जानकारी डालकर उसे सर्टिफिकेट बना दिया करते थे।
जांच अधिकारी जबरसिंह ने बताया कि अजय और प्रदीप नौकरी की तलाश में इंदौर आए थे, लेकिन काम नहीं मिला तो उन्होंने गूगल पर पोर्टल सर्च किया। पोर्टल में आधार कार्ड या दूसरे दस्तावेजों के प्रिंट निकालने की जानकारी मिली है। प्रदीप के नाम से रजिस्ट्रेशन करवाया और मात्र चार सौ रुपए देने के बाद काम शुरू कर दिया। दोनों ने साफ्टवेयर तैयार किया जिसमें आधार कार्ड, पेन कार्ड, वोटर आईडी, आयुष्मान कार्ड, ड्रायविंग लायसेंस बनाना शुरू कर दिए। मुलजिमों के पास से दो अंकसूची का रिकार्ड भी मिला है, जिसमें उन्होंने उम्र के हेरफेर के साथ-साथ उनकी रैंक बढ़ा दी है।
दो अंक सूची भी बनाई
आरोपियों ने पुलिस को बताया कि उन्होंने 2 अंक सूचियां भी बनाई है जिसमें संबंधित व्यक्ति की रैंक बनाई थी। सेकंड डिवीजन पास था उसे फर्स्ट डिवीजन में परिवर्तित किया है। आरोपी 10 हजार में जाति प्रमाण पत्र बनाते थे। रिकॉर्ड में अब तक 5 जाति प्रमाण पत्र मिले हैं लेकिन सरवर से कई जानकारियां डिलीट होने के बाद पुलिस ने अब साइबर की सहायता ली है।
रोजाना 2 हजार कमाने का टारगेट
आरोपी ने बताया कि रोजाना वह महज दो से तीन हजार रुपए कमाने का ही टारगेट रखते थे। इलाके में रोजाना आधार कार्ड, जाति प्रमाण पत्र और कभी-कभी उनके पास मार्कशीट बनवाने भी कोई व्यक्ति आ जाता था जिस दिन मार्कशीट बनाने कोई व्यक्ति आता था वह जल्दी से फर्जी मार्कशीट बनाकर दुकान बंद कर रवाना हो जाते थे।
सॉफ्टवेयर की है तगड़ी सिक्योरिटी
जांच अधिकारी ने बताया कि सॉफ्टवेयर की इतनी तगड़ी सिक्योरिटी है कि उससे डाटा रिकवर होना थोड़ा मुश्किल है लेकिन जानकारी के अनुसार पश्चिम बंगाल में इसका सरवर हो सकता है। पुलिस सॉफ्टवेयर बनाने वाले की तलाश कर रही है। वहीं पुलिस ने साइबर को एक पत्र लिखकर सॉफ्टवेयर बंद करने के लिए एक आवेदन भी देंगी ।
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