खरगोन में 26 अक्टूबर को हुए टैंकर ब्लास्ट हादसे के बाद झुलसे 17 लोग इंदौर के एमवाय अस्पताल में भर्ती हुए थे। ये घायल एक के बाद एक दम तोड़ते जा रहे हैं। घायलों में से 12 की मौत इलाज के दौरान हो चुकी है। वहीं 6 लोग अब भी वहां भर्ती हैं। ये सभी हादसे में 50 से 100 प्रतिशत तक जल गए थे। आज बुधवार को एक और महिला की मौत हो गई। बता दें कि इस हादसे में अब तक कुल 13 लोगों की जान जा चुकी है।
दैनिक भास्कर रिपोर्टर जब बर्न यूनिट में पहुंचा, तो वहां झकझोर कर रख देने वाला मंजर दिखा। यहां दो मासूम बच्चियों सहित 6 घायल भर्ती हैं। ये अभी भी जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष कर रहे हैं।
40% से ज्यादा जलने पर बचना मुश्किल...डॉक्टरों से समझिए
एमवाय अस्पताल की बर्न यूनिट में भर्ती हुए मीरा 100%, मालू 99%, नत्थू 90%, कान्या 80%, राहुल 80%, मुनीम 67%, सपना 64%, हीरालाल 63% अनिल 63%, सुरमा 50%, रामसिंह 46% और कमला पति कालू (30) बुरी तरह झुलसे हुए थे। डॉक्टर्स पूरी कोशिश के बाद भी इन लोगों को नहीं बचा सके। डॉक्टरों के मुताबिक 40% से ज्यादा जलने पर मरीजों को बचाना बहुत चुनौतीपूर्ण हो जाता है, क्योंकि इसमें शरीर के महत्वपूर्ण अंग ठीक से काम करना बंद कर देते हैं। जले हुए मरीज को बात करते देख ऐसा लगता है कि वह बच जाएगा, लेकिन कई बार ऐसी ही स्थिति में वह दम तोड़ देता है। अब तक हादसे में कुल 13 की मौत हो चुकी है।
अब जानिए हादसे में घायल दो बच्चियों की स्थिति
बीते बुधवार को खरगोन में हुए टैंकर ब्लास्ट में 12 साल की शिवानी पिता प्रकाश 41% और 13 साल की लक्ष्मी पिता गोरेलाल 43% तक झुलस गई थी। दोनों बच्चियां इंदौर के एमवाय अस्पताल में भर्ती हैं। अपने आसपास परिवार और रिश्तदारों को देखकर बार-बार सिसकियां भर रही हैं। परिवार के लोग भी इनके सामने बहुत हिम्मत जुटाकर खड़े रहते हैं। हालांकि कम उम्र होने के कारण उन्हें तीसरी मंजिल के PICU में रेफर किया गया है।
मौत देखकर मरीजों के मन में गहरा रहा डर
बर्न यूनिट की स्थिति भयावह बनी हुई है। वार्ड में आमतौर पर चार या पांच बर्न पेशेंट्स ही एडमिट रहते हैं। लेकिन खरगोन हादसे के बाद यहां एक साथ 20 मरीज भर्ती हुए। वार्ड का दृश्य इतना झकझोर देने वाला है कि घायल और उनके परिजन लगातार रोते रहते हैं। वार्ड में किसी की मौत होने पर उपचार करा रहे मरीजों के मन में डर और गहरा जाता है। परिजनों का कहना है कि वार्ड में ठहरना मुश्किल है, लेकिन अपने घायल परिजनों को हिम्मत देने के लिए वार्ड नहीं छोड़ सकते।
कंकाल बनी युवती की बहन ने भी दम तोड़ा
चौथे दिन बर्न यूनिट में एडमिट मीरा (27) पिता गोरेलाल की हालत बिगड़ी और उसकी मौत हो गई। वह हादसे में मौके पर कंकाल बनी गुडिया की ममेरी बहन थी। मीरा भी 100% जल गई थी, लेकिन परिजन ने उम्मीद नहीं छोड़ी थी। उसकी मौत के बाद यहां एडमिट लोगों और परिजन की उम्मीदें टूटने लगी हैं। वार्ड में रुदन, चीख-पुकार ने उन्हें कमजोर कर दिया है।
अस्पताल में एक बाद एक दम तोड़ रहे घायल
बर्न यूनिट में भर्ती अनिल (25) की मौत हुई। वह 63% झुलसा हुआ था। दूसरी ओर इसी बर्न यूनिट में एडमिट उसके पिता नत्थू पिता नानसिंह (45) की भी हालत बिगड़ती गई। तीन घंटे बाद उन्होंने भी दम तोड़ दिया। वे 90% झुलसे हुए थे। इसके कुछ ही देर बाद हीरालाल पिता सरदार (25) की मौत हो गई। वह 63% जल गया था। मुनीम पिता भावसिंह (20) ने भी दुनिया को अलविदा कह गया। वह 67% जल गया था, इसके दो घंटे बाद कान्या पिता तेरसिंह (35) भी चल बसा। वह 80% जल चुका था। बुधवार को हादसे में जली कमला ने भी दम तोड दिया।
मौतों से खाली होता गया बर्न यूनिट
गांव वाले एक-एक का शव अस्पताल से गांव ले जाकर संस्कार करते कि फिर किसी और की मौत की सूचना आ जाती। शनिवार को मौतों का शुरू हुआ सिलसिला रविवार को भी जारी रहा। यहां एडमिट राहुल पिता गोरेलाल (16) की मौत हो गई। वह हादसे में मौके पर मृत रंगू का सबसे छोटा भाई था और 80% जला हुआ था। फिर इन्हीं की रिश्तेदार मालूबाई पति वीरसिंह 40) ने दम तोड़ दिया। वह टैंकर के पास में खड़ी थी, जिसके चलते 99% झुलस गई थी। इसके बाद रमेश पिता सुभाष (30) की मौत हो गई। वह हादसे में 46% जल चुका था।
…और तीनों भाई-बहनों की हो गई मौत
इस तरह कुल 10 मौतें होने के बाद रविवार रात सपना पति गोरेलाल (18) की भी मौत हो गई। वह 64% झुलस गई थी। उसके परिवार में उसकी बड़ी बहन गुडिया और छोटा भाई राहुल भी अब इस दुनिया में नहीं रहें। मौतों का सिलसिला सोमवार को भी नहीं थमा। 11 मौतों के बाद सोमवार को बर्न यूनिट में एडमिट सुरमा पति प्रकाश (50) ने भी अंतिम सांस ली। वह 50% झुलस गई थी।
ये लोग जिंदगी और मौत से संघर्ष कर रहे
अस्पताल में अब बादल पिता भावसिंह, कमला पति गोरेलाल और रामसिंह पिता नानसिंह एडमिट (25) हैं। ये तीनों क्रमश: 35%, 36% और 41% झुलसे हुए हैं। इनमें से कमला पति गोरेलाल हादसे में मृत गुडिया, सपना और राहुल की मां है। उसकी सबसे छोटी बेटी लक्ष्मी (13) ऊपर बर्न यूनिट में एडमिट है। उस मासूम को उसके तीनों भाई-बहन की मौतों की सूचना नहीं दी गई है, जबकि मां कमला जिंदगी और मौत की जंग लड़ रही है।
26 अक्टूबर को हुआ था टैंकर में ब्लास्ट
26 अक्टूबर को बिस्टान थाना क्षेत्र के मोगरगांव-गढ़ी मार्ग पर स्थित ग्राम अंजनगांव में टैंकर अनियंत्रित होकर पलट गया था। टैंकर झिरनिया जा रहा था। टैंकर पलटने के करीब दो घंटे बाद धमाका हुआ था। जिसमें एक युवती घटनास्थल पर ही कंकाल बन गई। फायर ब्रिगेड से आग पर काबू पाया गया। घायलों को 108 एंबुलेंस से जिला अस्पताल पहुंचाया गया था। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
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