जीएसटी में असेसमेंट आदेश पारित होने के बाद जब प्रथम अपील में भी करदाता के विरुद्ध आदेश पारित होकर टैक्स की डिमांड की जाती है, उस दशा में ऑर्डर के बाद रिकवरी की कार्रवाई पर स्टे लेने के लिए मध्यप्रदेश में भी महाराष्ट्र की तरह के विकल्प दिए जाना चाहिए। यह मांग शहर के व्यापारियों ने हाल में केंद्रीय जीएसटी विभाग के साथ हुई करदाताओं की बैठक में उठाई, ताकि उन्हें भी सुविधा मिल सके। व्यापारियों ने महाराष्ट्र सरकार द्वारा जारी सर्कुलर का हवाला देते हुए बताया कि वहां प्रथम अपील में आदेश करदाता के विरुद्ध जारी होने पर करदाता 20% टैक्स राशि जमा करके ट्रिब्यूनल के समक्ष अपनी अपील दर्ज करने की मंशा एक डिक्लेरेशन के माध्यम से दर्ज करवा सकते हैं।
यह डिक्लेरेशन दे देने से करदाताओं के खिलाफ विभाग रिकवरी और टैक्स वसूली की कार्रवाई शुरू नहीं कर सकता। चूंकि अभी देशभर में कहीं भी जीएसटी ट्रिब्यूनल गठित नहीं हुआ है, ऐसे में प्रथम अपील का आदेश करदाता के विरुद्ध आने पर एकमात्र रास्ता हाई कोर्ट जाने का बचता है। बॉम्बे हाई कोर्ट ने ऐसे ही एक अपील का निराकरण करते हुए विभाग को आदेशित किया की वो करदाता को यह डिक्लेरेशन देने का अवसर दे। अगर करदाता दूसरी अपील ट्रिब्यूनल के समक्ष करना चाहता है तो उसके खिलाफ वसूली की कार्रवाई शुरू न करें। बॉम्बे हाई कोर्ट के इस आदेश के तारतम्य में मध्यप्रदेश में भी यह डिक्लेरेशन की सुविधा करदाताओं को दिए जाने की मांग उठ रही है।
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