स्वच्छता में देश में पांच बार परचम लहराने, वैक्सीनेशन, वाटर प्लस, ऑर्गन्स डोनेशन आदि में अग्रणी होने के बाद अब शहर में स्टार्टअप्स कैपिटल को लेकर संभावनाएं तलाशी जा रही है। इसके लिए तीन सदस्यीय कमेटी बड़ी जमीन व अन्य बिंदुओं पर अध्ययन कर रही है। इसके साथ ही डाटा सेंटर को लेकर भी काम किया जा रहा है।
कलेक्टर मनीष सिंह ने बताया कि इंदौर में स्टार्टअप का बहुत बड़ा स्कोप है। स्टार्टअप कैपिटल अगर डेवलप होता है तो काफी संभावनाएं हैं। इसके लिए स्टैक होल्डर भी एक्टिव होने लगे हैं। अगर बड़ी कंपनी का डाटा सेंटर आ जाता है तो आईटी कंपनियां भी एट्रेक्ट होती हैं। इसके चलते स्टार्टअप पार्क के लिए दो जगह देखी गई है। एक सुपर कॉरिडोर के एयरपोर्ट छोर के आगे हैं। यहां 200 एकड़ जमीन उपलब्ध है जो आईडीए की है। इसी तरह इकोनॉमिक कॉरिडोर पर इंटिग्रेटेड डाटा सेंरल व स्टार्टअप पार्क बन सकता है। इसके लिए तीन लोगों की एक टीम बनाई है जो इन दोनों को लेकर रूपरेखा बना रही है। इसमें उद्योगों की तरह कम रेट में जमीन उपलब्ध कराने, अलग-अलग जोन सहित कई बिंदुओं पर खाका तैयार किया जा रहा है। इसमें समान सुविधाओं वाला बिंदु मुख्य है।
दरअसल, स्टार्टअप्स को लेकर मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान काफी गंभीर है। 26 जनवरी को ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर में आयोजित स्टार्ट अप्स के एक कार्यक्रम में उन्होंने इसे बढ़ावा देने के साथ हर स्तर पर सुविधाएं देने की बात कही थी। साथ ही यह भी कहा था कि वे जल्द ही हर माह अब स्टार्टअप्स से वर्चुअली रूबरू होंगे और इसे गति दी जाएगी। मामले में सांसद शंकर लालवानी भी प्रयासरत है और उन्होंने भी दुबई में आयोजित एक्सपो में इंदौर के स्टार्टअप्स को लेकर चर्चा की थी।
इसके बाद सांसद की पहल पर फरवरी में इंदौर के 25 स्टार्टअप्स को केंद्रीय मंत्री डॉ. भागवत कराड ने सम्मानित किया था। इस दौरान प्रमुख सचिव पी. नरहरि ने भी हैदराबाद के टी-हब की तर्ज़ पर इंदौर में आई-हब बनाने की बात कही थी। इसके साथ प्रदेश की स्टार्टअप पॉलिसी और वेंचर कैपिटल फंड बनाने पर जोर दिया था। इसी कड़ी में अब जिला प्रशासन द्वारा अब इसे लेकर गति देने के प्रयास किए जा रहे हैं।
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