लगातार कई उपलब्धियां पाकर देश में अव्वल रहे इंदौर ने अब लिंगानुपात में 147 अंकों की छलांग लगाई है। कन्या भ्रूण हत्याओं पर लगाम कसने को लेकर सोनोग्राफी सेंटरों की सतत मॉनिटरिंग का बेहतर परिणाम यह रहा कि 2015-2016 में लिंगानुपात प्रति 1 हजार पुरुष पर 849 महिलाएं थी जो 2019-21 में बढ़कर अब 997 हो गई हैं। मामले में कलेक्टर मनीष सिंह ने इसके लिए गठित मॉनिटरिंग कमेटी को बधाई दी है।
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे 5 के आंकड़ों में यह तथ्य सामने आया है कि इंदौर ने 147 अंकों की बढ़ोतरी की है।
वैसे इस अंतर को कम करने में सलाहकार समिति के सदस्यों की खास भूमिका रही है। मामले में कलेक्टर ने PCPNDT एक्ट के जमीन स्तर पर बेहतर और प्रभावी इम्पिलिमेेंटेशन को लेकर एसडीएम लेवल की मॉनिटरिंग कमेटी गठित करने के निर्देश दिए है। उन्होंने कहा कि जिले में दवाइयों की दुकानों पर बिना प्रिस्क्रिप्शन व योग्य डॉक्टर द्वारा परामर्श के एमटीटी पील्स के बिक्री पर रोक लगाने के लिए जल्द आदेश जारी किए जाएंगे। उन्होंने निर्देश दिए कि जो भी सोनोग्राफी सेंटर PCPNDT एक्ट के नियमों का उल्लंघन करता है उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
सोनग्राफी सेंटरों की फिर से होगी मैपिंग
कलेक्टर ने कहा कि आने वाले समय में न केवल जन्म के समय लिंगानुपात को बेहतर करना है बल्कि शिशु लिंगानुपात में भी सुधार लाना है। इसके लिए जागरुकता अभियान चलाया जाएगा। प्रसव के पहले लिंग जांच को रोकने के लिए सोनग्राफी सेंटरों की फिर से मैपिंग कराई जाएगी। इसके साथ ही गर्भवती महिलाओं के पहचान पत्र भी अनिवार्य किए गए हैं।
कुछ सकारात्मक स्थितियां ऐसी भी
- इंदौर में 83% महिलाएं फैमिली प्लानिंग करती हैं। 5 साल पहले 54% करती थीं। बाल विवाह यानी 18 वर्ष से पूर्व विवाह का प्रतिशत 21.7 रह गया है, जो पहले 23.4% था। इंदौर की 80% महिलाएं शिक्षित हैं।
- अब छह सात साल से अधिक आयु की 78% बच्चियां स्कूल जाती हैं, पहले 75.3% जाती थीं। इंदौर में पांच साल पहले केवल 15.7% परिवार ही हेल्थ इंश्योरेंस में कवर होते थे। यह आंकड़ा अब 40.3% हो गया है।
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