कोरोना काल में पढ़ाई का तरीका भी बदला है। जो बच्चे स्कूल जाकर किताबों से पढ़ते थे, अब उनके हाथों में मोबाइल आ गया है। ऑनलाइन पढ़ाई के इस वक्त में माता-पिता को ऑनलाइन क्लासेस में किन बातों का ध्यान रखने की जरूरत है। वे कैसे अपने बच्चों के साथ डील कर सकते हैं। ये हम जानेंगे एजुकेशन एक्सपर्ट यूके झा (प्रिंसिपल चोइथराम स्कूल, निपानिया) से… जो हमें बता रहे हैं कि ऑनलाइन क्लासेस में बोथ वे कम्युनिकेशन की जरूरत है।
यूके झा के मुताबिक ऑनलाइन क्लासेस में अब टीचर्स नेविगेटर की तरह काम कर रहे हैं, जबकि पेरेंट्स जो हैं, वे ड्राइविंग सीट पर आ चुके हैं। पेरेंट्स को चाहिए कि टीचर्स जो स्टूडेंट्स को पढ़ा रहे हैं, उसे आब्जर्व करें, जो होमवर्क दे रहे हैं। उसे बच्चों से कराएं, क्योंकि अभी स्टूडेंट्स उनके पेरेंट्स के कंट्रोल में हैं। पेरेंट्स को अपने बच्चों के साथ समय देना पड़ेगा, जिससे की लर्निंग गेप न बने।
बच्चे गंभीरता से ऑनलाइन क्लास अटेंड करें और इंटरेक्ट भी करें। क्योंकि ये वन-वे कम्युनिकेशन न रहें। क्लास में टीचर्स सवाल पूछते थे, तो स्टूडेंट्स जवाब देते थे। ऑनलाइन में कई बार ऐसा नहीं हो पाता है, इसलिए पेरेंट्स को इसमें इनिशिएटिव लेने की जरूरत हैं कि टीचर्स ने जो सवाल पूछा है। स्टूडेंट उसका जवाब दें। उन्होंने कहा कि बोथ वे कम्युनिकेशन बनेगा, तो लर्निंग गेप नहीं आएगा। ऑनलाइन क्लासेस और भी मजेदार हो जाएगी।
कैजुअल अप्रोच न रखें पेरेंट्स, राइटिंग हैबिट बनाए रखना भी जरूरी
यू.के.झा की माने तो ऑनलाइन क्लासेस को इंटरेस्टिंग बनाने के लिए टीचर्स अपनी तरफ से पूरी कोशिश करते है। वे कोर्स से जुड़े वीडियो भी चलाते है, इसके साथ ही कई प्रक्रिया अपनाते है, ताकि क्लास में स्टूडेंट्स का इंटरेस्ट बना रहे। इन कोशिशों से स्टूडेंट्स का भी इंटरेस्ट बना रहता है।
मगर, कई बार स्टूडेंट्स ऑनलाइन क्लास में ध्यान नहीं देते। वहीं, पेरेंट्स भी कैजुअल अप्रोच रखते हैं। पेरेंट्स को चाहिए कि वे कैजुअल अप्रोच न रखें। पेरेंट्स को पूरा कॉन्सनट्रेशन करना होगा कि स्टूडेंट्स ऑनलाइन क्लास का पूरा सेंशन अटेंड करें और पूरा इंटरेक्ट करें। जो काम टीचर्स ने स्टूडेंट्स को दिया हैं वे उसे पूरा करें जिससे उनकी राइटिंग हैबिट बनी रही, गेप होने पर बच्चा लिखने की आदत भूल जाएगा।
पेरेंट्स को बनने होगा और जिम्मेदार
उन्होंने कहा कि अब पेरेंट्स को ओर भी जिम्मेदार बनना होगा क्योंकि जो काम पहले टीचर्स स्टूडेंट्स से कराते थे। वहीं अब पेरेंट्स को करना है जिससे की लर्निंग गेप न बने। पेरेंट्स को ध्यान रखने की जरूरत है कि स्टूडेंट्स जो ऑनलाइन क्लास में पढ़ाया जा रहा है, उसे स्टूडेंट नोट कर रहा हैं या नहीं। अधिकतर सभी को उम्मीद रहती है कि ऑनलाइन नोट भेज दिया जाएगा, उसका प्रिंट आउट ले लेते है लेकिन स्टूडेंट्स को चाहिए कि वे उसे पूरा नोट करें, प्रैक्टिस करें। इसलिए इस ऑनलाइन प्लेटफार्म पर पेरेंट्स की जिम्मेदारी काफी बढ़ जाती हैं।
पेरेंट्स देखे टीचर्स कैसे सिखाते हैं स्टूडेंट्स को
छोटे बच्चों की क्लास करीब एक से डेढ़ घंटे की होती है। इसमें पेरेंट्स को देखना और सीखना चाहिए कि टीचर्स कैसे बच्चों को कंट्रोल करते हैं, उन्हें कैसे सीखाते है। इसलिए पेरेंट्स को भी छोटे बच्चों के लिए सीखना पड़ेगा। टीचर्स का थोड़ा डर स्टूडेंट्स में रहता है।
कई बार देखा गया है कि पेरेंट्स भी अपने बच्चों से कहते हैं कि अगर आपने पढ़ाई नहीं कि तो टीचर्स से शिकायत कर देंगे। इसके बाद बच्चा पढ़ाई को गंभीरता से लेते है। पेरेंट्स को चाहिए कि वे टीचर्स से को-ऑपरेट कर, उनसे मदद लें। इससे बच्चा बेहतर तरीके से सीख सकता है। ऑनलाइन क्लासेस में पेरेंट्स को ही बच्चों की राइटिंग हैबिट डेवलप करना होगी।
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