इंदौर का 1300 साल पुराना श्री जूना चितांमण गणेश मंदिर वैसे तो अपने आप में अनूठा है, लेकिन इस मंदिर की खास बात यह है कि यहां भगवान गणेश अपने भक्तों की फरियाद मोबाइल और चिट्ठी के माध्यम से सुनते हैं। यहां की मान्यता है कि भगवान अपने भक्तों की मनोकामना भी पूरी करते है। इस मंदिर की ख्याति देश के विभिन्न राज्यों के साथ ही विदेशों में भी हैं। तभी तो देश के विभिन्न राज्यों के अलावा विदेशों से भक्त भगवान को फोन कर अपनी मनोकामना बताते हैं।
मंदिर के पुजारी पंडित मनोहरलाल पाठक ने बताया कि भगवान से अपनी प्रार्थना करने के लिए जर्मनी, आस्ट्रेलिया, अमेरिका, न्यूयार्क, USA के अलावा देश के हरियाणा, नेपाल, कोलकत्ता, बैंगलुरू, मुंबई, दिल्ली सहित अन्य राज्यों से भक्तों के फोन और चिट्ठी आती है। विदेशों में रहने वाले कई भक्त ऐसे हैं जो पहले इंदौर में ही रहते थे, मगर अब वे विदेश में रह रहे हैं।
32 साल पहले शुरू हुआ था चिठ्ठी का सिलसिला
उन्होंने बताया करीब 32 साल पहले भगवान गणेश को चिट्ठी भेजने का सिलसिला शुरू हुआ। धार में पंक्चर बनाने वाले एक व्यक्ति ने सबसे पहले भगवान गणेश को पोस्टकार्ड भेजा था, जिसमें उन्होंने अपनी परेशानी लिखकर उसे दूर करने और परेशानी दूर होने पर सवा पाव लड्डूओं का प्रसाद चढ़ाने की मनोकामना की थी। परेशानी दूर होते ही कुछ माह बाद ही उनका दूसरा पोस्टकार्ड आया। इसमें उन्होंने फिर मनोकामना की कि वे उन्हें प्रसाद चढ़ाने मंदिर आ सके।
भगवान ने उनकी यह मनोकामना भी पूरी की और वह व्यक्ति इंदौर में भगवान के मंदिर पहुंचा और भगवान को प्रसाद अर्पित किया। इसके बाद जब इस बात का प्रचार हुआ तो भक्त अलग-अलग स्थानों से भगवान पहले पोस्टकार्ड फिर चिट्ठी भेजने लगे। इसके बाद 2007-2008 में भक्त मोबाइल फोन के माध्यम से भगवान गणेश को अपनी मनोकामना सुनाने लगे। तब से यह सिलसिला चला आ रहा है।
ऐसे पहुंचती है भगवान के पास भक्तों की मनोकामना
मंदिर में पुजारी मनोहरलाल पाठक के पास भक्तों के फोन आते हैं। फोन आने पर वे फोन लेकर भगवान के गर्भगृह में भगवान गणेश की प्रतिमा के पास जाते हैं और वहां पहुंचकर भक्तों को उनकी मनोकामना कहने को बोलते हैं। इसके बाद वे फोन भगवान के समीप ले जाते हैं और भक्त अपनी मनोकामना भगवान गणेश को सुनाते हैं। उन्होंने बताया कि रोजाना करीब 5 से 6 फोन उनके पास आते हैं, जबकि कोरोना काल में जब मंदिर बंद थे, तब कई भक्तों ने वीडियो कॉल के माध्यम से भगवान के दर्शन भी किए और उनके समक्ष अपनी मनोकामना भी सुनाई।
देवी अहिल्याबाई भी आती थीं दर्शन करने
मंदिर के पुजारी ने बताया कि यह मंदिर परमारकालीन है। मंदिर में देवी अहिल्याबाई होलकर भी यहां दर्शन करने आया करती थीं। इसके अलावा यहां छत्रपति शिवाजी और उनके गुरु समर्थ रामदास भी यहां आ चुके हैं। समर्थ रामदास द्वारा इस मंदिर में भगवान हनुमान की प्रतिमा भी प्रतिष्ठित की है। पुजारी ने बताया औरंगजेब भी इस मंदिर में लूटपाट करने आया था, लेकिन भगवान के चमत्कार के आगे कुछ न कर सका।
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मनोकामना होती है पूरी
स्कीम नंबर 71 में रहने वाले भक्त गोपाल सोनी ने बताया कि वे बीते पांच सालों से हफ्ते में दो बार दर्शन करने के लिए मंदिर आ रहे है। उन्होंने बताया कि यहां भक्तों की मनोकामना पूरी होती है। भक्त विक्रम जायसवाल ने कहा कि वे बीते 13 सालों से भगवान गणेश के दर्शन करने आ रहे हैं। यहां भक्तों की मनोकामना पूरी होती है।
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