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जमीन की धोखाधड़ी में जिन 18 आरोपियों पर केस दर्ज हुआ है, उनमें मुख्य आरोपी दीपक मद्दा है। मद्दा का नाम सभी छह एफआईआर में है। मद्दा ने ही 15 साल पहले मजदूर पंचायत की दो हेक्टेयर जमीन बेचकर धोखाधड़ी का खेल शुरू किया। आरोपियों पर जो धाराएं लगाई गई हैं, उनमें अधिकतम 10 साल की सजा और सभी जमानती धाराएं हैं। इस पूरे मामले की जांच अपर कलेक्टर अभय बेडेकर व एसडीएम महू अभिलाष मिश्रा की टीम ने की।
दीपक मद्दा : साले और भाई के साथ मिलकर जमीन का फर्जीवाड़ा
सभी छह एफआईआर में दीपक मद्दा का नाम है। इस पर आरोप है कि मजदूर पंचायत संस्था का नंदानगर सहकारी संस्था में अनधिकृत खाता खुलवाया। अपने भाई कमलेश जैन और संस्था के अध्यक्ष दीपेश वोरा के साथ मिलकर संस्था की दो हेक्टेयर जमीन केशव नाचानी और ओमप्रकाश धनवानी को साल 2006 में बेची। इसमें दो करोड़ का सौदा था, लेकिन 50 लाख के चेक ही संस्था के खाते में आए, डेढ़ करोड़ मद्दा को नकद मिले।
सिटी बैंक के अपने खाते में मद्दा ने 54 लाख रुपए मजदूर पंचायत से लिए। मद्दा ने हिना पैलेस से जुड़ी श्रीराम संस्था की पांच हेक्टेयर जमीन इसी सौदे से मिली 1.60 करोड़ की राशि से उसी साल 2006 में खरीद ली। मद्दा ने हिना पैलेस जो केवल वैध रूप से दो हेक्टेयर में थी, इसमें श्रीराम के साथ ही सारथी, हरियाणा व शताब्दी संस्था की जमीन भी शामिल कर दस हेक्टेयर की अवैध बनाकर नगर निगम से वैध कराने का आवेदन कर साल 2013 में कूटरचित दस्तावेज से वैध कराई।
मद्दा ने इसी तरह देवी अहिल्या संस्था की काटी आयोध्यापुरी कॉलोनी में सिम्पलेक्स मेगा इन्वेस्टमेंट कंपनी के नाम पर चार एकड़ जमीन साल 2007 में खरीद ली। इस कंपनी में मद्दा डायरेक्टर था।
सुरेंद्र संघवी व प्रतीक संघवी : अयोध्यापुरी की चार एकड़ जमीन 2007 में सिम्पलेक्स कंपनी ने चार करोड़ में खरीदी लेकिन पेमेंट केवल 1.80 करोड़ ही किया। इसी कंपनी में बेटा प्रतीक संघवी डायरेक्टर।
मुकेश खत्री, पुष्पेंद्र नीमा : अयोध्यापुरी की जमीन खरीदने वाली सिम्पलेक्स कंपनी में यह भी डायरेक्टर थे। इन्हें भी लाभ मिला।
ओमप्रकाश धनवानी व केशव नाचानी : मद्दा के साथ मिलकर इन्होंने पुष्पविहार में जमीन खरीदी और बाद में पूरा भुगतान भी संस्था को नहीं किया। नकद में मद्दा को डेढ़ करोड रुपए दिए।
दीपेश वोरा, कमलेश जैन और नसीम हैदर : मद्दा के रिश्तेदार साला दीपेश वोरा मजदूर पंचायत में अध्यक्ष थे। भाई कमलेश उपाध्यक्ष थे और नसीम हैदर प्रबंधक। हैदर ने ही भूखंड धारकों की जमीन धनवानी और नाचानी को रजिस्ट्री कराई और इस सभी में मद्दा के साथ वोरा, जैन व हैदर भी संलग्न थे। हैदर ने दो हेक्टेयर जमीन मल्हार होटल प्रालि को बेचा एक करोड पांच लाख में।
रणवीर सिंह सूदन व विमल लूहाड़िया : देवी अहिल्या संस्था में रणवी सिंह सूदन अध्यक्ष व लुहाड़िया प्रबंधक थे। इन्होंने ही सिम्पलेक्स कंपनी के कर्ताधर्ताओं प्रतीक, मद्दा, मुकेश खत्री, नीमा इन्हें जमीन बेचने का काम किया।
धवन बंधु जितेंद्र व राजीव धवन : हिना पैलेस में शामिल की गई हरियाणा संस्था की जमीन जितेंद्र धवन ने और सारथी व शताब्दी गृह निर्माण संस्था की जमीन वैभव महालक्ष्मी रियल एस्टेट के जितेंद्र व राजीव धवन ने खरीदी।
-श्रीधर, श्रीराम सेवक पाल, गुलाम हुसैन, रमेश चंद्र डी जैन
हिना पैलेस में जोड़ी गई सारथी, शताब्दी, हरियाणा संस्था में जमीन की खरीदी-बिक्री करने में मद्दा के साथ मिलकर इनकी भूमिका थी।
दो थानों में दर्ज छह एफआईआर
1. खजराना थाना
फरियादी- एसडीएम अक्षय सिंह मरकाम
धारा- 406, 420, 467, 468, 471, 120 बी
आरोपी- दीपक मद्दा, ओमप्रकाश धनवानी, दीपेश कुमार वोरा, कमलेश जैन, नसीम हैदर और केशव नाचानी
2. खजराना थाना
फरियादी- तहसीलदार सुदीप मीणा
धारा- 406, 420, 467, 468, 471 और 120 बी
आरोपी- दिलीप सिसौदिया, जितेंद्र धवन, राजीव धवन, श्रीधर, श्रीराम सेवक पाल, गुलाम हुसैन, रमेश चंद्र डी जैन
3. खजराना थाना
फरियादी- पीड़ित डी देवराजन
धारा- 420, 467, 468, 471 और 120 बी
आरोपी- मद्दा, दीपेश वोरा, कमलेश जैन, नसीम हैदर, केशव नाचानी, ओमप्रकाश धनवानी
4. खजराना थाना
फरियादी- निगम की ओर से अरुण शर्मा।
धारा- 420, 467, 468, 471 और 120 बी, 292 सी।
आरोपी- दिलीप, वैभव महालक्ष्मी रियल एस्टेट तर्फे भागीदार जितेंद्र, राजीव धवन
5. एमआईजी थाना
फरियादी- एसडीएम अंशुल खरे
धारा- 406, 420, 467, 468, 471 और 120 बी
आरोपी- रणवीर सिंह सूदन, विमल लुहाडिया, पुष्पेंद्र नीमा, दिलीप सिसौदिया, दिलीप जैन, मुकेश खत्री, प्रतीक सुरेंद्र संघवी और सुरेंद्र संघवी
6. एमआईजी थाना
फरियादी- भूखंड पीड़ित संजय सिरोलिया
धारा- 406, 420, 467, 468, 471 और 120 बी
आरोपी- विमल लुहाड़िया, पुष्पेंद्र नीमा, दिलीप सिसौदिया, रणवीर सिंह सूदन, दिलीप जैन, मुकेश खत्री प्रतीक व सुरेंद्र संघवी
19 साल बाद भी प्लॉट नहीं मिला, चक्कर काट रहे
ये हैं भगवान दास चौरे। पेशे से सरकारी कर्मचारी हैं। 2002 में इन्होंने जागृति गृह निर्माण संस्था की राजगृही कॉलोनी में प्लॉट लिया था। उस समय 1.67 लाख का लोन लेकर मकान बनाने का सपना देखा था। कई बार संस्था के चक्कर काटे। ऐसे ही उनकी भाभी अनुसुइया चौरे ने भी प्लॉट लिया था। बावजूद 19 साल बाद प्लॉट नहीं मिला। रजिस्ट्री के दस्तावेज आज भी मौजूद है।
शहर में जमीन धोखाधड़ी से जुड़े 2300 से ज्यादा मामले
धोखाधड़ी और जमीनों से जुड़े विवाद के इंदौर में 2300 तो भोपाल में 1500 से ज्यादा मामले सामने आए थे। तत्कालीन सहकारिता मंत्री डॉ. गोविंद सिंह, प्रमुख सचिव अजीत केसरी ने तय किया था कि माफिया पर कार्रवाई तेज करने के लिए भोपाल और इंदौर में दो-दो अतिरिक्त उप पंजीयक तैनात किए जाएंगे।
इनके जिम्मे हाउसिंग सोसायटी के मामले सुनकर कार्रवाई करना होगा। तब भी तय हुआ था कि भोपाल, इंदौर, जबलपुर और ग्वालियर में ऐसी हाउसिंग सोसायटियों को चिन्हित किया जाएगा, जिनकी सबसे अधिक शिकायतें हैं।
शिकायतों को देखने के लिए अपर आयुक्त की अध्यक्षता में हाउसिंग सोसायटी सेल बनना थी। ऐसी सहकारी समिति, जिनका संचालक एक व्यक्ति सहकारिता के नाम से कर रहा है और रिकॉर्ड भी समिति को नहीं सौंप रहा है, ऐसी समितियों की समय सीमा में टीम बनाकर जांच कराने की बात हुई थी।
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