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पूरे भारत में मध्यप्रदेश में आठवीं की फीस प्रतिपूर्ति की राशि सबसे कम है। इसे राज्य शासन द्वारा बढ़ाया जाना चाहिए। शिक्षा के अधिकार के तहत निजी स्कूलों में जरूरतमंद व निर्धन वर्ग के छात्रों को नि:शुल्क प्रवेश दिया जाता है। सभी निजी स्कूलों में छात्रों के लिए 25 फीसदी सीटें आरक्षित रहती हैं। इंदौर में करीब ढाई हजार स्कूलों में 40 से 50 हजार आरटीई के छात्र पढ़ते हैं।
यह बात सहयोग अशासकीय विद्यालय के प्रतिनिधियों व संगठन के पदाधिकारियों ने सांसद शंकर लालवानी को ज्ञापन सौंपते हुए कही। संगठन के पदाधिकारी आशीष तिवारी के मुताबिक राज्य शासन द्वारा 2018 से हमें 20% फीस प्रतिपूर्ति की राशि और 2019 में 30% प्रतिपूर्ति की आंशिक राशि देने के लिए कहा जा रहा है। शासन इसे अग्रिम राशि बता रहा है, जबकि स्कूल छात्रों को पूर्व में ही पढ़ा चुके हैं।
कोविड-19 के दौरान कई स्कूलों को फीस नहीं मिली है। सांसद से मांग की है कि जब केंद्र सरकार से फीस प्रतिपूर्ति की राशि तय समय पर मिल रही है तो राज्य शासन की ओर से इसमें देरी क्यों की जा रही है। इसका निराकरण करवाकर समय पर दिलवाएं। इस मौके पर संस्था के अजय कुशवाह, विजय शर्मा, मुन्ना ठाकुर, अक्षत गौतम, सत्य कुमार पटेल और मनोज जैन उपस्थित थे।
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