शहर में कोरोना के केसेस औसत 30 फीसदी की दर से बढ़ रहे हैं। प्रशासनिक अधिकारी कई बार बयान दे चुके कि इनमें 40 फीसदी ओमिक्रॉन और लगभग इतने ही डेल्टा व अन्य वैरिएंट के हो सकते हैं, लेकिन आधिकारिक तौर पर इसकी कहीं पुष्टि नहीं है। जीनोम सीक्वेसिंग के लिए दिल्ली भेजे गए 250 सैंपल की रिपोर्ट दो महीने बाद भी नहीं आ पाई है।
हद यह है कि छह महीने पहले अफसरों ने एमवाय में जीनाेम सीक्वेसिंग लैब शुरू करने के लिए प्रक्रिया प्रारंभ करने के निर्देश दिए थे। एमवाय में बायोसेफ्टी लेवल तीन की वायरोलॉजी लैब पहले से ही चल रही हैं। यहीं आरटीपीसीआर जांच सबसे पहले शुरू हुई। जीनोम सीक्वेिसंग के लिए डेढ़ करोड़ रुपए की मशीन की आवश्यकता है।
एमवाय अस्पताल का सालाना बजट 100 करोड़ रुपए से ज्यादा है। बावजूद इसके मशीन को लेकर कोई फैसला नहीं हो पा रहा है, जबकि इस बीच निजी अस्पताल ने विदेश से मशीन बुलवा ली और लैब शुरू भी कर दी। हालांकि उनकी रिपोर्ट मान्य नहीं की जा रही है।
ये है सरकारी ढर्रा- छह महीने में शासन को प्रस्ताव तक नहीं भेजा गया
जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए अलग से मशीन की जरूरत है। करीब डेढ़ करोड़ का खर्च अनुमानित है। इसे लेकर कई बार चर्चा हो चुकी है। जुलाई में हुई बैठक में प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश भी दिए गए, लेकिन छह माह में प्रस्ताव तक नहीं भेजा गया।
भास्कर एक्सप्लेनर- वायरस के वैरिएंट से तय होता है लाइन ऑफ ट्रीटमेंट
जीनोम सीक्वेंसिंग क्याें जरूरी?
- प्रिवेंटिव मैकेनिज्म के लिए जरूरी है कि तुरंत यह पता लगाया जाए कि वायरस कैसे रूप बदल रहा है। ओमिक्रॉन के लिए सामान्य व डेल्टा में अलग दवा देना होती है।
निजी को मान्यता क्यों नहीं ?
- अनुमति देने का काम केंद्र सरकार करती है। जीनोम के लिए कुछ ही लैब तय हैं। इंदौर में ओमिक्रॉन के जो 9 मरीज सामने आए उनकी रिपोर्ट निजी लैब ने पहले ही दे दी थी।
वैरिएंट से क्या बदलेगा?
- वायरस का वैरिएंट पता चलने से यह स्पष्ट हो पाएगा कि वह कितना संक्रामक है। उसी हिसाब से बीमारी को रोकने की रणनीति बनाई जा सकेगी। प्रोटोकॉल तय होगा।
अब कह रहे- जरूरत हुई तो इंदौर में भी इंस्टाल करेंगे एक मशीन
संभागायुक्त डॉ. पवन कुमार शर्मा का कहना है कि जीनोम सीक्वेंसिंग की पहली मशीन भोपाल में इंस्टॉल की जा रही है। 30 जनवरी के बाद सैंपल वहीं भेजे जाएंगे। यदि जरूरत होगी तो इंदौर में भी इसे इंस्टॉल किया जाएगा।
एक्सपर्ट- महीनों तक रिपोर्ट न मिलना दुखद
इंदौर मप्र का सर्वाधिक संक्रमित शहर है। यहां लैब नहीं होना दुःखद है। यह बहुत बड़ी लापरवाही है कि महीनों तक वैरिएंट्स की रिपोर्ट नहीं मिल रही है। वैरिएंट के हिसाब से लाइन ऑफ ट्रीटमेंट तय होता है।
- डॉ. संजय लोंढे, पूर्व उपाध्यक्ष मप्र आईएमए
1104 नए केस मिले दुबई जा रहे 5 यात्री भी संक्रमित निकले
उधर, शहर में बुधवार को 1104 नए मरीज मिले। संक्रमण दर 10.95 फीसदी पर पहुंच गई है। हालांकि आंकड़ा मंगलवार से 5.56% कम है। इन्हें मिलाकर एक्टिव मरीजों की संख्या 5620 पर पहुंच गई है। इंदौर एयरपोर्ट पर दुबई जा रहे पांच यात्री काेराेना संक्रमित मिले। यह पहला मौका है जब एयरपोर्ट पर एक साथ पांच यात्रियों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई। इनमें तीन भोपाल निवासी एक ही परिवार के हैं। एक बड़वानी और एक यात्री इंदौर का है।
दरअसल, इंदौर से फ्लाइट में 95 यात्री जा रहे थे। इनमें 17 बच्चे शामिल थे। सुबह एयरपोर्ट पहुंचने के बाद 78 यात्रियों की जांच हुई। पहले खातीवाला टैंक में रहने वाले एक व्यक्ति पॉजिटिव आए। इसके बाद बड़वानी निवासी दूसरे व्यक्ति की रिपोर्ट भी पॉजिटिव आई।
दोनों को वैक्सीन के चार डोज लग चुके हैं। पांच लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद एयरपोर्ट प्रबंधन और मेडिकल टीम को सूचना दी गई। एयरपोर्ट पर मेडिकल टीम की ओर से डॉ. प्रियंका कौरव की निगरानी में सभी को उपचार के लिए भेजा गया। सभी को होम क्वारेंटाइन किया गया।
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