ग्राउंड रिपोर्टउस बावड़ी ने लीं 36 जानें, जो दिखती नहीं थी:इंदौर मंदिर हादसे की वजह- भराव किए बगैर ही गर्डर डालकर लगवा दी थी टाइल्स

कपिल राठौर/देवेंद्र मीणा, इंदौर2 महीने पहले
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इंदौर में बेलेश्वर महादेव झूलेलाल मंदिर में रामनवमी पर बावड़ी में गिरने से 36 लोगों की मौत हो गई। इस घटना को लेकर बड़ी लापरवाही सामने आई है। इलाके के लोगों ने खुलासा किया है कि मंदिर प्रबंधन ने इस बावड़ी को भराव किए बगैर ही पैक कर ऊपर से गर्डर और फर्शियां डाल दीं। उसके बाद टाइल्स लगा दी थी। जो लोग मंदिर में आ रहे थे, उनमें से अधिकतर को पता ही नहीं था कि वे जिस जगह खड़े होकर दर्शन और हवन-पूजन करते हैं, उसके नीचे बावड़ी है।

आखिर इतनी मौतों का जिम्मेदार कौन है? हादसे की मुख्य वजह क्या है? इन सवालों का उत्तर जानने के लिए दैनिक भास्कर ने स्नेह नगर और पटेल नगर के बीच इस घटनास्थल को बारीकी से देखा और मंदिर से जुड़े लोगों से बात की तो ये वजह सामने आई। पहले तीन बड़ी वजहें जान लीजिए...

1. मंदिर से जुड़े लोग

मंदिर पुराना है। यह पहले बहुत छोटा था। करीब 25 साल पहले इसके विस्तार की योजना बनी। बावड़ी बंद करने का फैसला किया गया। ट्रस्ट ने बावड़ी का भराव नहीं किया और सिर्फ गर्डर और फर्शियां डाल दीं। इस पर टाइल्स लगवा दी गईं। यानी जहां लोग रोज दर्शन के लिए खड़े हो रहे थे, वहां नीचे जमीन खोखली थी। यहीं पर रामनवमी पर आरती के दौरान भीड़ जुटने से हादसा हुआ।

2. बावड़ी के खोखले इलाके के पास अवैध निर्माण

जिस बावड़ी को बरसों पहले बिना भरे पैक किया गया उसी के पास दो साल पहले नया निर्माण शुरू कर दिया गया। नगर निगम ने इस अवैध निर्माण पर आपत्ति ली, लेकिन कार्रवाई नहीं की।

3. राजनीतिक हस्तक्षेप के कारण कार्रवाई टलती रही

नगर निगम ने बावड़ी को लेकर कभी नोटिस दिया ही नहीं। उसने नए निर्माण को अवैध मानते हुए रोकने के लिए कहा, लेकिन कार्रवाई नहीं की गई। इसके पीछे एक बड़े भाजपा नेता का राजनीतिक दबाव था, यह बात अफसर स्वीकार रहे हैं।

श्रद्धालुओं को नहीं पता, नीचे बावड़ी है...

स्नेह नगर निवासी और प्रत्यक्षदर्शी जीतू भाई ने ‘दैनिक भास्कर’ से कहा कि मुझे भी कन्या पूजन के लिए परिवार से बच्चियों को लेकर जाना था। घर से निकल रहा था तभी सूचना आई कि बावड़ी धंस गई है। हम बरसों से यहां आ रहे हैं। करीब 20 साल पहले इसे बंद किया गया था। तब बावड़ी को पूरी तरह बंद नहीं करते हुए सिर्फ गर्डर फर्शी ऊपर डाली थी। आशंका है कि पुरानी गर्डर कमजोर होने के कारण वजन नहीं झेल पाए और ऊपरी हिस्सा टूट गया।

20 साल से मंदिर में दर्शन करने के लिए आ रहे श्रद्धालु दिनेश माकीजा का कहना है कि मुझे नहीं पता था कि नीचे बावड़ी है। बरसों पहले ही बंद कर दी होगी। इतना पता था कि मंदिर कैम्पस को बड़ा किया जा रहा है, इसलिए निर्माण चल रहा था।

बावड़ी की छत गर्डर-फर्शी से बनी थी। जिस समय हादसा हुआ उस समय 60 से ज्यादा लोग वहां पर मौजूद थे। किसी को संभलने का मौका नहीं मिला।
बावड़ी की छत गर्डर-फर्शी से बनी थी। जिस समय हादसा हुआ उस समय 60 से ज्यादा लोग वहां पर मौजूद थे। किसी को संभलने का मौका नहीं मिला।

लोग बोले- रेस्क्यू टीम देर से पहुंची

घटनास्थल पर मौजूद लोगों ने रात में हंगामा भी किया। उनका कहना था कि रेस्क्यू टीम और फायर ब्रिगेड डेढ़ घंटे बाद आई। एम्बुलेंस भी एक ही पहुंची।

बावड़ी में गिरे लोगों को रस्सियों के सहारे निकाला गया। 19 लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इनमें से दो लोगों ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया।
बावड़ी में गिरे लोगों को रस्सियों के सहारे निकाला गया। 19 लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इनमें से दो लोगों ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया।

मंदिर में मौजूद लोगों की आपबीती...

आरती से ठीक पहले हादसा

अस्पताल में इलाज करवाने आए मंदिर के पुजारी लक्ष्मीनारायण शर्मा ने बताया कि पूर्णाहुति के बाद आरती होने वाली थी, तभी अचानक हादसा हो गया। मंदिर करीब 50-60 साल पुराना है। घटना के वक्त 50 से ज्यादा लोग तो होंगे।

धक्का लगा और चाची का हाथ छूटा, मैं बच गई

BDS की पढ़ाई करने वाली पूजा कुकरेजा ने बताया कि मैं अपनी चाची भारती के साथ दर्शन करने गई थी। हवन चल रहा था, तभी किसी ने कहा कि थोड़ा रुक जाओ। काफी भीड़ थी, इसलिए जिसको जहां जगह मिली वो वहीं बैठ गया। मैं चाची के पास थी, तभी अचानक धक्का लगा। इससे मेरा हाथ चाची के हाथ से छूट गया। पता नहीं चाची कहां गई, लेकिन मैं पानी में गिरी। जैसे-तैसे मैं ऊपर की तरफ रही। कुछ लोग बचाने आए। इस दौरान मुझे निकाल लिया, लेकिन मेरी चाची नहीं मिली।

मां की मौत से अनजान बेटियां, बोलीं- मंदिर गए थे, गिर गए

श्रीकृष्ण एवेन्यू नगर में रहने वाली भूमिका खानचंदानी और डेढ़ साल का भतीजा हितांश भी नहीं रहा। इस हादसे में उनकी सास रेखा का पैर टूट गया है, जिनका ऑपरेशन होना है। इसी हादसे में उनके साथ बावड़ी में गिरी मासूम बेटियां एलिना (6) और 3 साल की वेदा हैं। दोनों को समझ ही नहीं है कि अब उनकी मां इस दुनिया में नहीं रहीं। हादसे से अनजान निजी अस्पताल में भर्ती दोनों बहनें मोबाइल फोन में उलझी थीं। किसी ने पूछा तो बोली कि भगवान शिव के मंदिर में गए थे। हम इसी दौरान गिर गए थे। मासूम बच्चियों को इससे ज्यादा कुछ नहीं पता है। अब पूरा परिवार उनकी देखरेख में जुटा है। मेडिकल कारोबारी पति उमेश भी सदमे में हैं। पूरा परिवार सुबह कार से रामनवमी पर हवन के लिए लिम्बोदी से आया था।

हादसे में डेढ़ साल के हितांश की भी मौत हो गई। रामनवमी पर गुरुवार सुबह मंदिर पहुंचने के बाद यह उसका आखिरी फोटो है।
हादसे में डेढ़ साल के हितांश की भी मौत हो गई। रामनवमी पर गुरुवार सुबह मंदिर पहुंचने के बाद यह उसका आखिरी फोटो है।
एमवाय अस्पताल में रात करीब डेढ़ बजे हर आंखें तब नम हो गईं, जब डेढ़ साल के हितांश खानचंदानी का शव लेकर एम्बलुेंस पहुंची। शव देखकर पिता प्रेमचंद खानचंदानी उससे लिपट गए। जिसने यह दृश्य देखा, उसका कलेजा मुंह को आ गया। हादसे में हितांश की ताईजी की भी मौत हो चुकी है।
एमवाय अस्पताल में रात करीब डेढ़ बजे हर आंखें तब नम हो गईं, जब डेढ़ साल के हितांश खानचंदानी का शव लेकर एम्बलुेंस पहुंची। शव देखकर पिता प्रेमचंद खानचंदानी उससे लिपट गए। जिसने यह दृश्य देखा, उसका कलेजा मुंह को आ गया। हादसे में हितांश की ताईजी की भी मौत हो चुकी है।

मेरी पत्नी, मां और बेटा अंदर है, बचा लो उन्हें...

नौलखा निवासी रवि पाल ने बताया कि मैं भी लोगों की तरह मंदिर दर्शन के लिए गया था। मेरे साथ पत्नी वर्षा, बेटा तन्नू और मां पुष्पा पाल भी थे। सभी हवन में शामिल थे। तभी हादसा हुआ। मैं तैरना जानता था। इसलिए मैं नीचे गिरा तो तैरकर बावड़ी के किनारे आ गया। यहां देखा कि लोगों का शोर मचा हुआ है। मैंने एक और व्यक्ति को खींचकर बचाया, लेकिन मेरा परिवार नहीं दिखा। फिर रेस्क्यू के बाद मैं निकला। अभी तक मेरा परिवार नहीं मिल रहा है। प्लीज उन्हें निकाल लो।

घायल बेटी ने कहा- पापा नहीं मिल रहे हैं, मम्मी परेशान होंगी

हादसे में जख्मी 15 वर्षीय नंदिनी दशोरे का पीआईसीयू में इलाज चल रहा है। वह अपने 40 वर्षीय पिता राजेंद्र दशोरे निवासी अग्रवाल नगर के साथ दर्शन करने गई थीं। नंदिनी की मां सरकारी स्कूल में शिक्षिका हैं और दिव्यांग हैं। नंदिनी भी बावड़ी में गिरी थी, वह किसी का हाथ पकड़ कर बच गई। अब अस्पताल में भर्ती है। उसका कहना है कि मैं तो हादसे में किसी तरह से बच गई, लेकिन मेरे पापा नहीं मिल रहे हैं। वह बार-बार कह रही है कि पापा को खोजो, मम्मी परेशान हो रही होंगी। परिजन नंदिनी को हौसला दे रहे हैं। वह रह-रहकर पापा को याद कर रही है।

इंदौर नगर निगम के बिल्डिंग ऑफिसर ने मंदिर प्रबंधक को बिना अनुमति निर्माण करने पर नोटिस भी भेजा था, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। यहां काम चलता रहा।
इंदौर नगर निगम के बिल्डिंग ऑफिसर ने मंदिर प्रबंधक को बिना अनुमति निर्माण करने पर नोटिस भी भेजा था, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। यहां काम चलता रहा।

नगर निगम ने अप्रैल 2022 में दिए थे नोटिस

पड़ताल में सामने आया कि जिस जगह हादसा हुआ, उसके ठीक सामने मंदिर स्थित है, जो पहले नहीं था। मंदिर कैंपस तीन हिस्सों में बंटा हुआ है। पहले मंदिर बगीचे के पास था। बाद में उसे बावड़ी के पास शिफ्ट कर दिया गया। इसके बाद बावड़ी के दूसरी तरफ पांच से छह फीट दूर मंदिर में नया निर्माण किया जा रहा था। अप्रैल 2022 में नगर निगम के बिल्डिंग ऑफिसर ने मंदिर प्रबंधक को नोटिस दिया, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। रहवासियों और क्षेत्रीय नेताओं के दबाव में काम भी नहीं रोका गया था।

नोटिस पर कार्रवाई नहीं होने पर भास्कर से चर्चा करते हुए महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने कहा कि हमने अप्रैल 2022 में नोटिस अवैध निर्माण को रोकने के लिए दिया था, ना कि बावड़ी के संदर्भ में। हाल ही में जनवरी में निर्माण तोड़ने के भी आदेश किए जा चुके थे। बावड़ी का धंसना नए और अवैध निर्माण से ही जुड़ा है या नहीं, यह मजिस्ट्रियल जांच में साफ हो पाएगा। इसके लिए इंतजार करना होगा। वैसे हमने किसी भी धर्मस्थल पर कुएं, बावड़ी पर अवैध कब्जे और निर्माण को हटाने के निर्देश दिए हैं, यह कार्रवाई पूरे शहर में सख्ती से की जाएगी।

नगर निगम के नोटिस के जवाब में मंदिर कमेटी की ओर से दो दिन बाद जवाब दिया गया। इसमें निर्माण की बजाया जीर्णोद्धार करना बताया गया।
नगर निगम के नोटिस के जवाब में मंदिर कमेटी की ओर से दो दिन बाद जवाब दिया गया। इसमें निर्माण की बजाया जीर्णोद्धार करना बताया गया।

बेलेश्वर महादेव झूलेलाल मंदिर ट्रस्ट ने ये दिया था जवाब

बेलेश्वर महादेव झूलेलाल मंदिर ट्रस्ट ने नगर निगम के नोटिस का जवाब दिया। 25 अप्रैल 2022 में दिए जवाब में लिखा गया कि नोटिस में बताए कारण असत्य होकर अस्वीकार्य है। मंदिर जीर्ण-शीर्ण हालत में होने से उस स्थान का जीर्णोद्धार किया जा रहा है। ये मंदिर की चिन्हित जमीन पर ही किया जा रहा है। यह एक सार्वजनिक मंदिर होकर हिंदू भावना एवं धर्म का प्रेरक है। यहां कोई भवन का निर्माण नहीं हो रहा है। सार्वजनिक उपयोग के लिए बावड़ी का जीर्णोद्धार होना भी प्रस्तावित है।

जवाब में ये भी लिखा गया कि मंदिर के जीर्णोद्धार के संबंध में असत्य जानकारी देकर नोटिस भेजा गया। जो कि न सिर्फ हिंदू धर्म के सिद्धांतों के विपरीत है, बल्कि हिंदुओं की भावनाओं को भड़काने का कार्य है।

मंदिर से जुड़े अधिकतर लोग गायब

इस घटना के बाद से मंदिर के पुजारी और यहां हो रहे निर्माण से जुड़े तीन लोग लापता हो गए हैं। प्रशासन उनकी तलाश में है, ताकि पूछताछ की जा सके।

बावड़ी में गिरे लोगों को रेस्क्यू टीम ने रस्सियों से बाहर निकालकर अस्पताल पहुंचाया।
बावड़ी में गिरे लोगों को रेस्क्यू टीम ने रस्सियों से बाहर निकालकर अस्पताल पहुंचाया।

भराव करके छह इंच की स्लैब भरी थी: मंदिर सेवादार

दैनिक भास्कर ने घटना के बाद सेवादार सुनील केसवानी को ढूंढ निकाला। उन्होंने चर्चा करते हुए बताया कि 20 साल पहले कुएं को भराव कर बंद कर दिया गया था। मंदिर को बड़ा करने के लिए ही बावड़ी को बंद किया गया था। भराव करने के बाद ऊपर से छह इंच की स्लैब भी भरी गई थी।

मंदिर के नाम में झूलेलाल होने की यह है वजह

तीन कॉलोनियों के बीच स्थित इस मंदिर का निर्माण सिंधी समाज के एक सदस्य ने कराया था। लेकिन यहां सभी समाजों के लोगों का सामान्य रूप से आना-जाना था। रहवासियों ने बताया था कि सिंधी समाज के व्यक्ति द्वारा निर्माण के कारण ही मंदिर में झूलेलाल नाम जुड़ा हुआ था।

किसानों ने बनवाया था मंदिर

ट्रस्ट के अध्यक्ष सेवाराम गलानी का कहना है कि मंदिर बहुत पुराना है। कोई अतिक्रमण नहीं है। किसानों की जमीन थी। उन्होंने बनवाया था। हमें क्या पता था कि हादसा हो जाएगा। शिवरात्रि में तो हजारों लोग वहां थे। कई आयोजन होते हैं। यह फ्लोरिंग भी मैंने नहीं करवाई है। यह पहले से ही थी।

निगम के पास बावड़ी का रिकॉर्ड नहीं

निगमायुक्त प्रतिभा पाल ने बताया कि इस बावड़ी का नगर निगम के पास कोई रिकॉर्ड नहीं था। बगीचे में अवैध निर्माण का नोटिस दिया गया था। इसके बाद जनवरी में फिर उन्हें नोटिस जारी हुआ था।