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रियल एस्टेट (रेग्युलेशन एंड डेवलपमेंट) एक्ट (रेरा) का चेयरमैन पद रिक्त होने से इंदौर के रियल सेक्टर के 1500 करोड़ के नए प्रोजेक्ट केवल रजिस्ट्रेशन नंबर नहीं होने के चलते अटक गए हैं। वहीं रेरा के नियमों में ही है कि प्रोजेक्ट के रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन होने के 30 दिन के अंदर रेरा नंबर जारी करेगा या फिर आवेदन निरस्त करेगा। यदि इसमें से कुछ नहीं करता है तो सात दिन में डीम्ड रजिस्ट्रेशन माना जाएगा। वहीं, 400 करोड़ के 37 प्रोजेक्ट ऐसे हैं, जो केवल समय पर रिटर्न दाखिल नहीं करने के चलते सस्पेंड कर दिए गए थे। इनके बैंक खाते भी अटैच कर दिए गए। इसके चलते इन प्रोजेक्ट के काम भी नई बुकिंग नहीं होने से अटक गए हैं।
प्रोजेक्ट की देरी यानी ग्राहकों को महंगी मिलेगी संपत्ति
एक प्रोजेक्ट औसतन 15-20 करोड़ रुपए का होता है। इस सेक्टर पर 300 अन्य सेक्टर सीमेंट, सरिया, सेनेटरी आदि निर्भर होते हैं। प्रोजेेक्ट में देरी के चलते इसकी लागत बढ़ती है और इसके चलते बिल्डर भी लागत के हिसाब से इसकी कीमत बढ़ाने को मजबूर होते हैं। इससे अप्रत्यक्ष रूप से असर ग्राहकों पर होता है। वहीं जिन प्रोजेक्ट को सस्पेंड किया है, उसमें सीधा असर बिल्डर पर पड़ता है, क्योंकि वह एक तय कीमत पर बुकिंग ले चुका होता है। रियल सेक्टर में इंदौर में ही करीब 30 हजार लोगों को रोजगार मिलता है, जो प्रोजेक्ट रुकने पर इन्हें भी प्रभावित करेगा।
एक्सपर्ट... नंबर नहीं मिले तो लागत बढ़ेगी
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