स्वच्छता के पंच का जश्न इंदौर ने शनिवार सुबह से शाम तक मनाया। शाम को सांसद शंकर लालवानी, संभागायुक्त डॉ. पवन शर्मा, कलेक्टर मनीष सिंह, निगमायुक्त प्रतिभा पाल व अन्य अफसर जैसे ही एयरपोर्ट पहुंचे, उनका स्वागत हुआ। पूर्व महापौर मालिनी गौड़ के साथ ही नेताओं ने एयरपोर्ट पर स्वच्छता की ट्रॉफी के प्रतीक गांधी प्रतिमा को नमन किया और कहा आप हर बार इंदौर ही आना।
कोरोना काल के बाद पहला मौका था कि एयरपोर्ट परिसर में इतना उत्साह और जश्न का माहौल दिखा। ढोल-ताशों के साथ सैकड़ों सफाईकर्मी, नेता व लोगों ने स्वच्छता का तमगा लेकर लौटे अधिकारियों के साथ नेताओं का स्वागत किया। एयरपोर्ट से ही बड़ा गणपति तक जगह-जगह स्वागत हुआ। इसके बाद विजय जुलूस राजबाड़ा पहुंचा।
10 स्थानों से प्रसारण
अवॉर्ड समारोह के सीधे प्रसारण के लिए निगम ने राजबाड़ा, रणजीत हनुमान, पलासिया चौराहा सेल्फी पॉइंट, मेघदूत गार्डन परिसर, राजेंद्र नगर रेलवे स्टेशन के पास, निगम मुख्यालय परिसर, खजराना मंदिर, मूसाखेड़ी चौराहा, मरीमाता चौराहा, कालानी नगर चौराहे पर सुबह 11 बजे से व्यवस्था कर रखी थी।
अब छठी बार नंबर 1 की तैयारी में जुटेंगे
धन्य है इंदौर की जनता, जिन्होंने इंदौर को 5वीं बार स्वच्छता में शीर्ष पर बनाए रखा। बधाई जनप्रतिनिधियों को, प्रशासन, स्वच्छता कर्मियों, स्वयंसेवी संगठनों को। बधाई इंदौर।
-शिवराज सिंह चौहान, मुख्यमंत्री
सभी का धन्यवाद। माता-बहनें जो सुबह से गीला, सूखा सहित अन्य कचरा अलग करती हैं, दुकानदार, व्यापारी, उद्योगपति, होटल वाले व हॉस्पिटल वालों, ठेलेवालों सभी के प्रयासों से जीते हैं।
-शंकर लालवानी, सांसद
जनता और जनप्रतिनिधियों को बधाई। पांचवीं बार नं. आना बहुत बड़ी बात है क्योंकि 400 शहर इसके लिए प्रयास करते हैं। अगली बार भी इंदौर नं. 1 आएगा।
- डॉ. पवन शर्मा, संभागायुक्त
इंदौर की जनता को बधाई, शुभकामनाएं। आने वाले 10-15 सालों में शहर का विकास ऐसा होगा कि इंदौर की गिनती देश के टॉप शहरों में होगी।
-मनीष सिंह, कलेक्टर
नई चुनौती यह
इंदौर अब रहने लायक शहरों में भी नंबर 1 बने
जैकब रोगनहॉग, हेड, सेग्रीगेशन टेक्नॉलॉजी टोमरा, नार्वे
इंदौर पांचवीं बार नं. 1 बनकर सर्कुलर इकोनॉमी का यूनिक मॉडल बन गया है। अब इंदौर को ग्लोबल शहरों की चुनौती लेना चाहिए। सूखे कचरे को अभी 12 प्रकार से सेग्रीगेट किया जा रहा है। ग्लोबल टॉप सिटी जैसे नार्वे में यह सेग्रीगेशन 35 प्रकार का होता है। यहां की ऑटोमैटेड मशीनों द्वारा रोबोटिक हैंड में ही सेंसर लगाकर प्लास्टिक को ही 20 प्रकार से सेग्रीगेट किया जाता है। रहने लायक शहरों के पैरामीटर भी इसमें जुड़ जाते हैं। सबसे जरूरी है क्लीन एयर और ट्रैफिक सेंस। इंदौर को अब इन पहलुओं पर काम करना चाहिए।
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