शहर में कोविड की संभावित तीसरी लहर को देखते हुए सरकारी तथा निजी अस्पतालों में गर्भवती महिलाओं, एक माह तक के नवजात शिशुओं व 14 वर्ष तक के बच्चों के इलाज की ठोस व्यवस्था की जा रही है। दरअसल यह 28 फीसदी उन लोगों का समूह है जो वैक्सीनेशन के दायरे में नहीं है। इसके चलते संभावित तीसरी लहर में इनके इलाज के लिए जो 40 निजी अस्पतालों को तैयार किया जा रहा है, उसे लेकर इनकी व्यवस्थाओं की मॉनिटरिंग के लिए कलेक्टर मनीषसिंह ने जनप्रतिनिधियों, अधिकारियों व डॉक्टरों की मॉनिटरिंग टीम बनाई है। कोविड टॉस्क फोर्स के रूप में यह टीम इन अस्पतालों में एक-एक व्यवस्था की मॉनिटरिंग कर रही है।
उक्त मॉनिटरिंग टीम में विधायक मालिनी गौड को अध्यक्ष व अपर कलेक्टर अभय बेड़ेकर को सचिव बनाया गया है। इसमें स्टेट लेवल कोविड टॉस्क फोर्स के सदस्य डॉ. निशांत खरे, इण्डियन मेडिकल एसोसिएशन के डॉ. जितेन्द्र गुप्ता, नर्सिंग होम एसोसिएशन के डॉ. सुरेश वर्मा व सीएमएचओ डॉ. बी.एस. सैत्या सदस्य हैं। हाल ही में नए पैरामीटर के तहत इन 40 निजी अस्पतालों में इसे लेकर बेड, इलाज, ऑपरेशन, सुविधाओं आदि की व्यवस्था की जा रही है। मामले में अस्पताल के संचालक, उनके प्रतिनिधियों, जिला क्राइसेस मैनेजमेंट कमेटी के सदस्यों के साथ बैठकें भी हो चुकी हैं। अब मॉनिटरिंग कमेटी अस्पतालों की सारी व्यवस्था देख रही है कि वे पैरामीटर के तहत है या नहीं। मामले में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन से भी कोविड टास्क फोर्स के रूप में सहयोग लिया जा रहा है। मॉनिटरिंग टीम द एपिडेमिक डिसीज एक्ट 1897 एवं नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट 2005 के तहत 40 अस्पतालों में एक-एक बिंदु पर अपनी रिपोर्ट तैयार कर रही है।
अभी खाली बेड होने का दावा लेकिन दूसरे मरीज भर्तीं
दरअसल, संभावित तीसरी लहर को देखते हुए जिला प्रशासन ने 10 हजार से ज्यादा रेमडेसिविर, 100 से ज्यादा टोसिलिजुमैब व एंटी बॉडी कॉकटेल, ब्लैक फंगस के इलाज के एम्फोटेरेसिन 11 हजार से ज्यादा इंजेक्शन सहित जरूरी दवाइयों का इंतजाम कर लिया है। ऐसे ही सरकारी पीसी सेठी अस्पताल में कोविड मरीज व गर्भवती महिलाओं व 14 साथ तक के बच्चों के लिए बेड से लेकर सारी व्यवस्थाएं कर ली है लेकिन निजी अस्पतालों की अंदरुनी व्यवस्था को मजबूत किया जाना है। अभी इन निजी अस्पतालों में कोविड मरीजों के लिए बेड व सारी सुविधाओं का दावा किया जा रहा है लेकिन मैदानी हकीकत यह है कि इन अस्पतालों में कोविड के लिए रिजर्व बेड अन्य मरीजों के लिए उपयोग में लाए जा रहे हैं। ऐसे में अचानक अगर कोविड मरीजों की संख्या बढ़ी तो उनकी इन 40 अस्पतालों में फजीहत न हो इसके लिए मॉनिटरिंग की जा रही है।
इन कारणों के चलते गर्भवती महिलाएं व बच्चों पर है कमेटी का फोकस
- स्टेट लेवल कोविड टॉस्क फोर्स के सदस्य डॉ. निशांत खरे ने बताया कि तैयारियां तो काफी पहले से चल रही है लेकिन अब इसे संस्थागत व मजबूत ढांचे का रूप दिया जा रहा है। 40 अस्पतालों के अलावा और भी अस्पताल बढ़ाए जा रहे हैं और हर अस्पताल की व्यवस्था देखी जा रही है।
- अभी 18 साल से कम उम्र के बच्चे और गर्भवती महिलाएं वैक्सीनेशन के दायरे में नहीं हैं। प्रोटोकॉल के तहत इन दोनों समूहों का वैक्सीनेशन नहीं किया जा सकता। अगर संभावित तीसरी लहर आती है तो इनमें संक्रमण फैल सकता है। इस संभावना को देखते हुए अच्छी तैयारियां यह हो कि जरूरत पड़ने पर बच्चे व गर्भवती महिलाएं भर्ती हो। ऐसी महिलाएं जिनका डिलीवरी का समय पास में आ जाता तो वह बिना किसी परेशानी के हो। इसे लेकर मॉनिटरिंग की जा रही है।
- दूसरा यह कि इंदौर जिले का दायित्व 20-25 जिलों को संभालना भी रहता है। इन जिलों के लोग भी सीधे इंदौर ही आते हैं। ऐसे में तैयारियों का अनुपात भी वैसा ही चाहिए। तैयारियां अच्छी से हो जाए इसके लिए बच्चों, गर्भस्थ शिशु आदि को लेकर मॉनिटरिंग की जा रही है। तैयारियों में ऑक्सीजन की पर्याप्त व्यवस्था खास तौर पर चाहिए। पिछले दिनों इंदौर की जो पीक ऑक्सीजन जरूरत थी वह एक दिन में 135 मैट्रिक टन थी। शहर की खुुद की क्षमता एक दिन में 10 से 15 मैट्रिक टन है जिसे 30 मैट्रिक टन पहुंचाया था। अब निजी अस्पताल 60 मैट्रिक टन ऑक्सीजन प्लांट लगा रहे हैं लेकिन अब यह सीधे 90 मैट्रिक टन क्षमता वाले हो जाएंगे। इस तरह अगस्त अंत तक जिले में ऑक्सीजन बनाने की क्षमता 95 मैट्रिक टन तक हो जाएगी यानी तीन गुना ज्यादा।
- इन अस्पतालों में अति आवश्यक के रूप में आईसीयू, वेंटिलेटर आदि को लेकर भी ऑडिट किया जा रहा है कि ये पर्याप्त मात्रा में हैं या नहीं।
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