देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी अब पीएचडी वायवा वर्चुअल (वीडियो कॉन्फ्रेंस) ही करवाएगी। यूजीसी की नई गाइडलाइन जारी हाेने के बाद अब इस मामले काे स्टैंडिंग कमेटी में लाकर यूनिवर्सिटी इसे स्थायी ताैर पर लागू करने जा रही है, यानी अब आगे से जाे भी पीएचडी वायवा हाेंगे, वह वर्चुअल हाेंगे। डीएवीवी में हर साल करीब पांच साै पीएचडी वायवा हाेते हैं। यही सिस्टम अलग-अलग काेर्स जिनमें डिजर्टेशन बनाना अनिवार्य है, उनमें लागू हाेता है ताे फिर ताे 1000 से ज्यादा वायवा वर्चुअल हाे सकेंगे।
दरअसल, मार्च 2020 में काेविड-19 के कारण यह व्यवस्था लागू हुई थी। यह व्यवस्था न केवल बहुत सफल रही, बल्कि कई शाेधार्थियाें ने यूजीसी काे भेजे फीडबैक में इसे बहुत अच्छा कदम बताया था। इतना ही नहीं, कुछ स्टेट यूनिवर्सिटी ने भी इस व्यवस्था काे स्थायी ताैर पर लागू करने का सुझाव दिया था। उसी के बाद दाे दिन पहले यूजीसी ने यह सिस्टम स्थायी ताैर पर लागू करने के लिए गाइडलाइन जारी की। हालांकि यूजीसी ने इसे अनिवार्य नहीं किया है, बल्कि इसे ऐच्छिक रखा है, लेकिन देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी इसे स्थायी ताैर पर लागू करने जा रही है।
फायदा : आने-जाने और ठहरने का खर्च बचेगा
वायवा के लिए देशभर से तीन से पांच प्राेफेसर पहुंचते हैं। इनके आने-जाने और ठहरने का खर्च बचेगा। यह खर्च सामान्य ताैर पर शाेधार्थी काे ही करना हाेता है।
कई बार समय के अभाव में अन्य राज्याें के प्राेफेसर आने के लिए अनुमति नहीं देते। इससे पीएचडी वायवा में देरी हाेती है। कई बार तीन से चार महीने तक लग जाते हैं।
सभी यूनिवर्सिटी-कॉलेज को पत्र लिखा
यूजीसी ने पीएचडी वायवा वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये करने पर विचार करने का सुझाव दिया है। यूजीसी के सचिव प्रो. रजनीश जैन ने भास्कर काे बताया कि इस विषय पर सभी यूनिवर्सिटी के कुलपतियों एवं कॉलेज प्राचार्यों को पत्र लिखा है। कोविड-19 के कारण 2020 में यूजीसी ने इस संबंध में दिशा निर्देश जारी किए थे।
स्टैंडिंग कमेटी में लाकर लागू करेंगे
यूजीसी की नई गाइडलाइन के बाद अब हम इस सिस्टम काे स्थायी ताैर पर लागू करने जा रहे हैं। पीएचडी वायवा वर्चुअल ही हाे, इसके लिए स्टैंडिंग कमेटी में निर्णय लेकर आगे से सारे वायवा ऑनलाइन ही करवाएंगे। हालांकि यह गुंजाइश रखेंगे कि विशेष परिस्थिति में ऑफलाइन का भी विकल्प खुला रहे। -डॉ. अनिल शर्मा, रजिस्ट्रार देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी
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