राजेंद्र नगर फ्लायओवर पर हुए गड्ढे कौन भरेगा, यही तय नहीं है। ब्रिज का रखरखाव एक चिट्ठी की वजह से उलझ गया है। लोक निर्माण विभाग ने इसे बनाया और पांच साल पूरे होने पर एक चिट्ठी के भरोसे इसे नगर निगम को सौंप दिया। अब दोनों विभाग जिम्मेदारी तय नहीं कर पा रहे हैं।
इंजीनियर अतुल सेठ के मुताबिक शहर में ब्रिज की सेहत जांचने की कोई व्यवस्था नहीं है। हर तीन महीने में सभी ब्रिज का ऑडिट होना चाहिए। ब्रिज में किसी तरह की परेशानी आने वाली है तो ऑडिट से पता चल जाएगा। एसजीएसआईटीएस, संबंधित विभाग के इंजीनियर की टीम इस काम के लिए बनाई जानी चाहिए।
प्राधिकरण ने नोटिस देकर सुधरवाए थे ब्रिज
इससे पहले पीपल्याहाना ब्रिज पर गैप आई, वहीं आठ लेन सुपर कॉरिडोर ब्रिज पर गड्ढा हुआ था तो इंदौर विकास प्राधिकरण ने कॉन्ट्रैक्टर को नोटिस देकर तत्काल काम शुरू कराया। मुंबई से उसकी सलाहकार कंपनी का दल भी आया और पूरे ब्रिज की जांच की। जहां-जहां और खराबी आने की संभावना थी, उसे भी दुरुस्त किया।
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