इंदौर की स्वर्ण बाग काॅलोनी में शुक्रवार देर रात दो मंजिला इमारत में भीषण अग्निकांड की कहानी झकझोर देने वाली है। घटना में सात लोगों की जिंदा जलने और दम घुटने से मौत हो गई, वहीं 12 से ज्यादा वाहन जलकर खाक हो गए। लपटों के बीच घिरने के बाद बच कर निकले लोगों से जानिए पूरे खौफनाक मंजर की कहानी...
बिल्डिंग की पहली मंजिल पर रहने वाले अरशद बताते हैं...
मैं नागदा का रहने वाला हूं। मेरा फ्लैट पहली मंजिल पर है। मैं सो रहा था। रात में अचानक मेरा दम घुटने लगा।। नींद खुली तो कमरे में धुआं भरा हुआ था। फ्लैट का मेन गेट खोला तो बाहर भी धुआं था और लपटें उठ रही थीं। वो सब बहुत भयानक था। मैंने घबराकर फ्लैट का दरवाजा लगा लिया। फिर खिड़की से चिल्लाकर कर मदद मांगी। लोगों ने नीचे से उनकी खिड़की की तरफ पत्थर फेंके। करीब 15 से 20 मिनट तक लोहे की जाली वाली खिड़की को तोड़ने का प्रयास करता रहा। दो जाली निकालने के बाद जैसे-तैसे बाहर की तरफ लटका और कूद गया। उंचाई से कूदने के कारण मेरा पैर फ्रैक्चर हो गया है। मैंने पहली मंजिल पर रहने वाली सोनाली को भी बाहर निकाला।
मेरे परिवार में बड़ा भाई और माता-पिता है। तीन महीने पहले ही इस बिल्डिंग में रहने आया था। एमआईजी इलाके के पास एक टेली कॉलर कंपनी में नौकरी करता हूं। सोनाली भी मूल रूप से नागदा की रहने वाली है। वह टास्कअस नाम की टेली कॉलर कंपनी में जॉब करती है।
हादसे में घायल मुनीरा ने बताया...
मैं सो रही थी। अचानक चीखों की आवाज आने लगी। थोड़ा दम घुट रहा था। दरवाजे की तरफ गई तो वह लपटों से घिरा हुआ था। घबराकर वापस कमरे में आ गई। पहले मकान मालिक इंसाफ को कॉल किया, लेकिन उसने कॉल रिसीव नहीं किया। बालकनी में आई तो वहां फ्लोर काफी गर्म था। बाहर सड़क से लोग चिल्ला रहे थे। पड़ोस के फ्लैट की बालकनी से एक व्यक्ति ने मुझे पास वाली बिल्डिंग में आने के लिए कहा। उन्होंने मेरा हाथ पकड़ा और दूसरी तरफ अंदर खींच लिया। मैं काफी देर तक सांस नहीं ले पाई। बाद में मुझे एमवाय अस्पताल पहुंचाया गया।
मैं उज्जैन की रहने वाली हूं। पिछले कई सालों से इंदौर में रहकर टेली कॉलर की जॉब कर रही हूं। डेढ़ माह पहले ही इस बिल्डिंग में रहने आई थी। परिवार में उसके दो भाई और माता-पिता है।
अस्पताल में भर्ती विनोद सोलंकी ने बताया...
मैं विदिशा का रहने वाला हूं। तीन-चार दिन पहले सेकंड फ्लोर के फ्लैट में अपने तीन साथी तुषार, आशीष और एक अन्य के साथ रहने आया था। मेरे दोस्त पहले से ही इस फ्लैट में रह रहे थे। रात में धुएं से दम घुटने लगा। बड़ी मुश्किल से लपटों के बीच बाहर आया। बालकनी से मदद मांगता रहा। यहां से बाहर नहीं निकल पाया तो लपटों के बीच ही छत की तरफ भागा। वहां से नीचे आ गिरा।
मुझे इस फ्लैट में अच्छा नहीं लग रहा था। फ्लैट खाली करने ही वाला था, उससे पहले ये हादसा हो गया। मुझे नहीं पता कि मेरे तीन साथी कहां है। मुझे बस इतना पता है कि प्रजाप्रति भी घायल है, जो ऊपर के ही फ्लैट में रहता है। मैं इंदौर में ओला रिक्शा चलाने का काम करता हूं। पिता किसान हैं। परिवार में एक भाई है, जो पिता के साथ रहता है।
तुषार ने बताया...
मैं, विनोद, विनीत और आशीष के साथ सेकंड फ्लोर के फ्लैट में रहता हूं। एक दिन पहले ही देवास से यहां नौकरी की तलाश में आया था। शुक्रवार को आकांक्षा के जन्मदिन की पार्टी छत पर अरेंज की थी। पार्टी के बाद रात में मैं और दोस्त छत पर ही सो गए। तीन बजे के लगभग विनोद जलता हुआ ऊपर आया। आसपास धुआं था। मैंने पास की छत पर छलांग लगा दी। विनोद नीचे जा गिरा। उसके शरीर पर कई चोटें आई हैं। मेरे परिवार में माता-पिता और एक छोटा भाई है, जो देवास में रहते हैं।
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