विदेशी राइफल सहित अवैध असलहों के साथ गिरफ्तार कुख्यात बदमाश अब्दुल रज्जाक के खौफ का साम्राज्य खड़ा करने की कहानी दिलचस्प है। 8वीं पास रज्जाक का परिवार 62 साल पहले रॉकई नरसिंहपुर से सब कुछ बेच कर जबलपुर नया मोहल्ला शिफ्ट हुआ था। गौर में दूध की डेयरी से रज्जाक ने पैसे कमाए तो टोल टैक्स के धंधे में उतर गया। व्यावसायिक प्रतिस्पर्धा बढ़ी तो गैंग बना लिया। इसके बाद उसके जुर्म की दास्तां लंबी होती चली गई।
पुलिस के रिकॉर्ड में इस कुख्यात के जुर्म का हर स्याह पन्ना है। अब्दुल रज्जाक का जन्म 1959 में रॉकई करेली नरसिंहपुर में हुआ था। पिता अब्दुल वहीद अपनी पैतृक संपत्ति बेचकर डेरी का धंधा करने परिवार सहित नया मोहल्ला जबलपुर आकर बस गया। रज्जाक ने क्राइस्ट चर्च स्कूल से 8वीं तक पढ़ाई की और फिर पिता के साथ दूध की डेरी में लग गया। बचपन से कसरत और पहलवानी का शौक रखता था। वह पहलवान के नाम से चर्चित हो गया। रज्जाक की दूध की डेयरी गौर नदी के पास बरेला में है। डेयरी के धंधे में खूब पैसे कमाए। उसने गौर में ही 40 एकड़ जमीन खरीद ली।
31 साल पहले टोल टैक्स के धंधे में उतरा
दूध डेयरी से हुई कमाई के बाद रज्जाक 1990 में टोल टैक्स बैरियर के ठेके में उतरा। आरोपी ने प्रकाश खंपरिया (अमित खंपरिया का चाचा), लखन घनघोरिया (कांग्रेस विधायक एवं पूर्व कैबिनेट मंत्री), शमीम कबाड़ी, सिविल लाइंस स्थित पुराने आरटीओ परिसर में रहने वाले मुन्ना मालवीय (फैक्ट्री में तब एकाउंटेंट था।) के साथ मिलकर बीजाडांडी छपारा, भंडारा, नागपुर, तिलवारा, मेरेगांव में टोल बैरियर का ठेका लेना शुरू किया था। देखते ही देखते इस ठेकेदारी में भी वह स्थापित हो गया।
प्रतिस्पर्धा बढ़ी तो गैंग बना लिया
टोल बैरियर के ठेके में स्थापित होने के साथ ही व्यावसायिक प्रतिस्पर्धा भी शुरू हो गई। अपनी बादशाहत कायम रखने के लिए रज्जाक ने गैंग बनाना शुरू कर दिया। टोल टैक्स ठेकेदारी को लेकर ही उसकी प्रतिस्पर्धा गोरखपुर निवासी महबूब अली गैंग से शुरू हो गई। महबूब भी टोल बैरियर का ठेका लेता था। इसी प्रतिस्पर्धा और वर्चस्व स्थापित करने की होड़ में रज्जाक ने बस स्टैंड मदनमहल में पहली बार 6 फरवरी 1996 को जानलेवा हमला किया। अक्कू उर्फ अकबर अली की शिकायत पर मदनमहल में बलवा, हत्या के प्रयास का प्रकरण दर्ज हुआ था।
दोनों गिरोह में शुरू हो गया गैंगवार
टोल ठेका में वर्चस्व स्थापित करने से शुरू हुई गिरोबंदी गैंगवार में तब्दील हो गई। बीच में दोनों गैंगों में सुलह कराने के प्रयास भी हुए, लेकिन रंजिश की खाई अधिक गहरी निकली। महबूब अली गैंग ने 29 अगस्त 2000 को हाईकोर्ट के पास अब्दुल रज्जाक पर गोली चलाकर जान लेने की कोशिश की। रज्जाक की शिकायत पर ओमती थाने में बलवा व हत्या के प्रयास का प्रकरण दर्ज हुआ। अभी न्यायालय में प्रकरण विचाराधीन है। इस वारदात के बाद दोनों गैंग एक-दूसरे के खून के प्यासे बन गए। दोनों गिरोह के गुर्गे हथियारों के साथ एक-दूसरे को निपटाने की ताक में जुट गए।
2003 में महबूब के छोटे भाई की कर दी थी हत्या
अब्दुल रज्जाक ने अपने ऊपर हुए कातिलाना हमले का बदला 2003 में लिया। गोरखपुर क्षेत्र में महबूब अली के छोटे भाई अक्कू उर्फ अकबर की गोली मारकर 14 जुलाई 2003 में हत्या कर दी गई। इस हत्या में अब्दुल रज्जाक सहित उसके गैंग के 19 गुर्गे आरोपी बने। आरोपी ने अकूत कमाई और अपने प्रभाव का उपयोग कर गवाहों को प्रभावित कर लिया। इसके चलते कोर्ट से वह दोषमुक्त हो गया। रज्जाक इस मामले में 120-बी का आरोपी बना था। वह ग्वालियर स्टेशन पर आरपीएफ में बिना टिकट में खुद का चालान करा कर प्रकरण से बचने के प्रयास में सफल रहा।
रज्जाक का बेटा भी बाप के नक्शेकदम पर
दोनों गैंगों के बीच की रंजिश का परिणाम 7 अप्रैल 2004 को कपूर क्रॉसिंग के पास दिखा। मंडला से रेत नाका का टेंडर लेकर जबलपुर लौटे महबूब अली के भाई पर रज्जाक के बेटे सरफराज अपने दो साथी मजीद करिया, अब्बास और अन्य साथियों के साथ मिलकर रहमान अली की कार पर फायर कर दिया था। इस वारदात में कार में सवार रजनीश सक्सेना की मौत हो गई थी। फायरिंग में बबलू खान और चमन कोरी घायल हुए थे।
विवेचना में पलट गई हत्या की थ्योरी
इस प्रकरण में भी गोरखपुर थाने में हत्या, हत्या के प्रयास का प्रकरण दर्ज हुआ था। कपूर क्रॉसिंग पर हुई हत्या के प्रकरण की जांच में रहमान अली का दावा पलट गया। जांच में सामने आया कि रहमान अली ने अपने साथियों के साथ मिलकर रजनीश की हत्या की गई और सरफराज और उसके दोस्तों को फंसाने की साजिश रची गई थी। पुलिस ने प्रकरण में रहमान अली व अन्य को गिरफ्तार कर जेल भेजा था।
रज्जाक गैंग पर 86 प्रकरण दर्ज हैं
अब्दुल रज्जाक इसके बाद जमीन कब्जाने, खाली कराने से लेकर धमकी देकर पैसे वसूलने सहित कई तरह के अपराध करने लगा। उसकी दहशत इस तरह कायम हुई कि कई राजनीतिक दल से जुड़े लोग भी उससे अपने राजनीतिक विराधियों को ठिकाने लगाने या फिर धमकाने के लिए इस्तेमाल करने लगे। रज्जाक पर पूर्व में बीजेपी के कुछ कद्दावर नेताओं का वरदहस्त मिला। वर्तमान में वह कांग्रेस नेताओं का खास बन गया था। अब्दुल रज्जाक और उसकी गैंग के सदस्यों पर विभिन्न थानों में कुल 86 अपराध दर्ज हैं। इसमें बलवा, मारपीट, हत्या, हत्या का प्रयास, लूटपाट, बमबाजी आदि के प्रकरण शामिल हैं।
दंगा फैलाने की भी कोशिश कर चुका है रज्जाक का बेटा
रज्जाक के बेटे सरताज ने जेल में कुरान फाड़े जाने की अफवाह फैलाकर शहर में दंगे करने का भी प्रयास किया था। इस मामले में कई थानों में उसके खिलाफ प्रकरण दर्ज हुए थे। आरोपी सरताज के खिलाफ NSA की कार्रवाई हुई तो रज्जाक के प्रभाव से वह 5 साल तक फरार रहने में सफल रहा। इसके बाद वह गिरफ्तार हो पाया। 2009 में रज्जाक ने बरेला निवासी सुमन पटेल की जमीन कब्जा करने का प्रयास किया गया। विरोध करने पर उसके घर में घुसकर गुर्गों से धमकी दिलवाई थी।
दहशत में पलट जाते थे गवाह
2006 में रज्जाक ने गोहलपुर निवासी मोहम्मद अकरम के घर में घुसकर जान से मारने की धमकी दी थी। इन सभी मामलों में आरोपी ने गवाहों को धमकाकर अपने पक्ष में कर लिया था। उसके खौफ के चलते या तो गवाह बदल जाते थे या फिर शिकायतकर्ता ही अपनी रिपोर्ट वापस ले लेते थे। आरोपी के भय के चलते कई लोगों ने अपनी कीमती जमीन उसे औने-पौने दामों पर बेच दिए।
कई तो दहशत में उसके खिलाफ थाने में शिकायत तक नहीं कराने पहुंचे। आरोपी ने जबलपुर, कटनी, नरसिंहपुर सहित हैदराबाद, गोवा, मुम्बई, दुबई, साउथ अफ्रीका तक होटल, खनिज, प्रॉपर्टी का बिजनेस खड़ा कर लिया है। आरोपी खुद दुबई शिफ्ट होने की तैयारी कर रहा था। उसका बेटा सरताज पहले से दुबई में शिफ्ट हो चुका है।
विजय यादव को अपराध का ककहरा सिखाया था
नरसिंहपुर में पुलिस एनकाउंटर में ढेर जबलपुर के कुख्यात बदमाश गोरखपुर निवासी विजय यादव को रज्जाक ने ही अपराध का ककहरा सिखाया। एक वक्त ऐसा भी आया जब विजय यादव को वह अपना चौथा बेटा बना लिया था। विजय यादव घर भी नहीं जाता था। पर बाद में उनके रिश्तों में खटास आ गई। यही खटास विजय यादव के अंत की वजह भी बनी। बताते हैं कि विजय यादव ने रज्जाक को मारने की कसम खा ली थी। रज्जाक कुछ दिनों तक दो गनमैन के साथ घूमता रहा। विजय यादव के पुलिस मुठभेड़ में ढेर होने के बाद ही वह चैन की सांस ले पाया।
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